जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आंतकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जवाब देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया है। इसके बाद दोनों देशों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। लगातार पाकिस्तान की और से भारत के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले आम नागरिकों को निशाने बनाने की नापाक कोशिश की जा रही है। रात होते-होते कई शहरों में ब्लैक आउट करना पड़ा है और चेतावनी के लिए सायरन भी बजाए जा रहे हैं। ऐसे में इस तनाव को कवर रहे मीडिया चैनल्स में भी सायरन बजाए रहे हैं और अब मीडिया के सायरन को लेकर गृह मंत्रालय की तरफ से एडवाइज़री जारी कर दी गई है।
गृह मंत्रालय के अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षक विभाग के महानिदेशालय द्वारा जारी की गई इस एडवाइज़री में कहा गया है कि सभी मीडिया चैनल सामुदायिक जागरूकता अभियान के अलावा अपने कार्यक्रमों में नागरिक सुरक्षा हवाई हमले के सायरन की ध्वनि का उपयोग करने से बचें। इस एडवाइज़री में कहा गया है, “नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 की धारा 3(1) (w)(i) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सभी मीडिया चैनलों से अनुरोध है कि वे समुदाय को शिक्षित करने के अलावा अपने कार्यक्रमों में नागरिक सुरक्षा हवाई हमले के सायरन की आवाज़ का उपयोग करने से बचें।”
इस एडवाइज़री में चिंता जताई गई है कि अगर एयर रेड सायरन की आवाज का रोज़मर्रा के कार्यक्रमों में बार-बार इस्तेमाल होता रहेगा, तो लोगों की इस सायरन के प्रति संवेदनशीलता कम हो सकती है। इससे असली एयर रेड की स्थिति में लोग इसे मीडिया का सामान्य साउंड समझ सकते हैं और जरूरी सावधानी नहीं बरतेंगे। साथ ही, मंत्रालय ने मीडिया से इस मामले में सहयोग की अपील की है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए एडवाइज़री जारी की थी। केंद्र सरकार ने सभी मीडिया चैनलों को रक्षा अभियानों और सुरक्षा बलों की आवाजाही का लाइव कवरेज दिखाने से परहेज करने की सलाह दी थी। साथ ही, इस एडवाइज़री में पुराने आतंकी हमलों और युद्ध के दौरान हुए प्रतिकूल प्रभावों को लेकर भी जानकारी दी गई थी।