हालिया सैन्य कार्रवाइयों ने पाकिस्तान की परमाणु(Nuclear) सुरक्षा को लेकर चिंताओं को और अधिक गहरा कर दिया है, विशेष रूप से पंजाब प्रांत में स्थित किराना हिल्स (Kirana Hills) साइट को लेकर। भले ही भारत ने इस क्षेत्र को निशाना बनाए जाने की बात से इनकार किया है, लेकिन यहां मौजूद भूमिगत परमाणु ढांचे ने संभावित रेडियोधर्मी खतरे और हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
किराना हिल्स, पाकिस्तान में स्थित वह इलाका है जहां उसका भूमिगत परमाणु ढांचा मौजूद है। इन सुविधाओं को भारी विस्फोटों का सामना करने के लिहाज़ से डिज़ाइन किया गया है, जो यह दर्शाता है कि यह पाकिस्तान की परमाणु प्रतिरोधक रणनीति का अहम हिस्सा हैं। यह साइट सबक्रिटिकल परीक्षणों से भी जुड़ी रही है — ऐसे परीक्षण जिनमें परमाणु सामग्री पर प्रयोग किया जाता है, लेकिन पूर्ण परमाणु विस्फोट नहीं होता।
हालांकि भारत द्वारा लक्षित हमलों के बाद, इस क्षेत्र में विनाशकारी प्रभाव की अफवाहें तेज़ी से फैलने लगीं। भारत द्वारा कई ठिकानों पर सटीक हमलों के बाद, जिनमें से एक किराना हिल्स भी बताया गया, अचानक संयुक्त राज्य अमेरिका इस तनाव में कूद पड़ा। बताया गया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारतीय अधिकारियों को एक बेहद चिंताजनक जानकारी के साथ फोन किया। हालांकि इस बातचीत का विवरण अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसके तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सामने आए और दावा किया कि उन्होंने दोनों पक्षों के बीच किसी प्रकार की सहमति बनवाई है।
इसके बाद की घटनाएं और भी अधिक रहस्यमयी रहीं। भारत ने किसी औपचारिक युद्धविराम पर हस्ताक्षर से इनकार किया, लेकिन यह स्वीकार किया कि एक सहमति बनी है। संघर्ष थम गया। ट्रंप ने बाद में दावा किया कि उन्होंने एक परमाणु युद्ध को टालने में मदद की है और लाखों जानें बचाई हैं।
कवर-अप की अटकलें
जल्द ही सोशल मीडिया पर यूएस परमाणु विशेषज्ञों की टीम के पाकिस्तान पहुंचने की अफवाहें तेज़ हो गईं। कुछ ने यह भी दावा किया कि इजिप्ट (मिस्र) से पहुंची एयरलाइन्स की फ्लाइट्स में बोरॉन लाया गया, जो कि परमाणु आपात स्थितियों में उपयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण पदार्थ है, और जो नाइल नदी के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में उपलब्ध है।
बोरॉन परमाणु रिएक्टरों में न्यूट्रॉन को अवशोषित करने वाला तत्व होता है, जिसका इस्तेमाल कंट्रोल रॉड्स और आपातकालीन शटडाउन सिस्टम में किया जाता है ताकि परमाणु रिएक्शन को नियंत्रित किया जा सके और अनियंत्रित विखंडन से बचा जा सके। एक मिस्र का वायुसेना का ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, जो पाकिस्तान के हिल डिस्ट्रिक्ट मरी के एक छोटे एयरपोर्ट से उड़ान भरता देखा गया, ने इन अटकलों को और हवा दी है। यह उस समय हुआ जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा हो चुकी थी।
यह मिस्र का वायुसेना विमान, कॉल साइन EGY1916, ने 11 मई को दोपहर में भुर्बन एयरपोर्ट (BHC) से उड़ान भरी, फ्लाइटरडार24 के डेटा से यह जानकारी मिली है। विमान चीन से पाकिस्तान पहुंचा था, लेकिन इसकी अगली मंज़िल स्पष्ट नहीं है। इस विमान का आगमन ऐसे समय में हुआ जब यह कहा जा रहा था कि भारत ने पाकिस्तान के उन एयरस्ट्रिप्स को निशाना बनाया है जो देश के परमाणु हथियारों के भंडारण के निकट माने जाते हैं।
पाकिस्तान पर हमला
भारत द्वारा पाकिस्तानी एयरबेस पर मिसाइल हमलों के बाद, जिनमें इस्लामाबाद के पास स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नूर खान एयरबेस भी शामिल है, यह चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या इन हमलों में संवेदनशील परमाणु स्थलों को नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तान की सेना ने पुष्टि की है कि भारतीय मिसाइलों ने उसके तीन एयरफोर्स बेस पर हमला किया है, जिनमें रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस, जो कि पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय के पास है, भी शामिल है। यह एयरबेस पाकिस्तान की परमाणु कमांड संरचना का अहम हिस्सा माना जाता है।
11 मई को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से लंबे समय से परिचित एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को सबसे बड़ा डर अपने परमाणु कमांड अथॉरिटी के विघटन को लेकर है। रिपोर्ट के अनुसार, नूर खान पर हुआ मिसाइल हमला इस रूप में देखा जा सकता है कि भारत यह संदेश दे रहा था कि वह चाहे तो पाकिस्तान की परमाणु कमांड को खत्म कर सकता है। यह अमेरिका के हस्तक्षेप और “सीज़फायर” की कोशिशों के पीछे एक कारण बताया गया।
यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका के पास इस बात की कोई खुफिया जानकारी थी या नहीं कि संघर्ष तेजी से और शायद परमाणु स्तर तक पहुंच सकता था। कम से कम सार्वजनिक रूप से, एकमात्र प्रत्यक्ष परमाणु संकेत पाकिस्तान की ओर से आया। वहां की स्थानीय मीडिया ने रिपोर्ट किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की आपात बैठक बुलाई, जो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर निर्णय लेने वाला उच्चतम निकाय है। हालांकि भारत, पाकिस्तान और अमेरिका — तीनों ने इस पूरे घटनाक्रम की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन कई संकेत ऐसे हैं जो दर्शाते हैं कि मामला जितना बताया जा रहा है, उससे कहीं अधिक गंभीर है। अगर किराना हिल्स पर कुछ असाधारण हुआ है, तो वह केवल कुछ समय तक ही छिपा रह सकता है। इसके बाद सच्चाई सामने आएगी और बताएगी कि किराना हिल्स में वास्तव में क्या हुआ था।