दिल्ली के न्यायिक गलियारों में मचे हड़कंप में आज एक बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने के मामले में गठित इन-हाउस जांच समिति ने उन्हें दोषी ठहराया है। महीने भर पहले उनके बंगले में आग लगने की घटना ने पहले ही सनसनी फैला दी थी। लेकिन आग बुझने के बाद जब मलबे की जांच शुरू हुई, तो वहां से भारी मात्रा में नकदी का ढेर बरामद हुआ जिससे मामले ने गंभीर मोड़ ले लिया।
अब तक यह खबर सिर्फ शक के दायरे में थी, लेकिन 5 मई को समिति ने अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को सौंप दी है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा दोषी हैं। इस निष्कर्ष के बाद इन-हाउस पैनल का संदेश भी उतना ही सख्त है या तो इस्तीफा दीजिए, या फिर न्यायिक कार्रवाई और अनुशासनिक सज़ा के लिए तैयार रहिए।
9 मई तक का समय
दिल्ली के न्यायिक गलियारों में मचे हड़कंप के बीच एक और बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने के मामले में गठित इन-हाउस जांच समिति ने उन्हें दोषी ठहराया है। कुछ दिन पहले उनके बंगले में आग लगने की घटना ने पहले ही सनसनी फैला दी थी। लेकिन आग बुझने के बाद जब मलबे की जांच शुरू हुई, तो वहां से भारी मात्रा में नकदी का ढेर बरामद हुआ जिससे मामले ने गंभीर मोड़ ले लिया।
5 मई को समिति ने अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को सौंप दी है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा दोषी हैं।इस निष्कर्ष के बाद इन-हाउस पैनल का संदेश भी उतना ही सख्त है या तो जस्टिस वर्मा तुरंत इस्तीफा दें, या फिर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें।
बार एंड बेंच के सूत्रों के अनुसार, उन्हें इस्तीफा देना होगा और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी। सूत्र ने बार एंड बेंच को बताया, “रिपोर्ट में उन्हें दोषी ठहराया गया है। प्रक्रिया के अनुसार, सीजेआई ने उन्हें बुलाया है। उन्हें दिया गया पहला विकल्प इस्तीफा देना है। यदि वे इस्तीफा देते हैं, तो यह अच्छा है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो महाभियोग चलाने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी।” यह भी समझा जाता है कि न्यायमूर्ति वर्मा को सीजेआई को जवाब देने के लिए शुक्रवार, 9 मई तक का समय दिया गया है।
बता दें भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित समिति में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थीं।