TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    खालिदा जिया के निधन से शोक में बांग्लादेश

    बांग्लादेश की राजनीति में युग का अंत: खालिदा जिया के निधन पर शेख हसीना ने जताया दुख

    गांधी परिवार में खुशियों की दस्तक

    गांधी परिवार में खुशियों की दस्तक: रेहान वाड्रा ने की अवीवा बेग से सगाई

    प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को दी श्रद्धांजलि

    प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दी श्रद्धांजलि, 1943 में पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराने की घटना को किया याद

    हसीना से यूनुस तक

    हसीना के बाद यूनुस: बांग्लादेश में सत्ता और दिशा का मौन परिवर्तन

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी को ब्रह्मोस एयरोस्पेस का महानिदेशक नियुक्त किया था

    ब्रह्मोस एयरोस्पेस के DG & CEO की नियुक्ति रद्द,  ट्रिब्यूनल ने DRDO की चयन प्रक्रिया को बताया मनमाना

    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    बांग्लादेश में अमेरिकी जीएमओ मक्का का आगमन, क्षेत्रीय खाद्य संप्रभुता पर खतरा

    अमेरिकी जीएमओ मक्का पर पश्चिम का दबदबा, ठेकेदारों ने किया अधिग्रहण

    अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ

    नाटो के लिए सीधा संदेश: बेलारूस में रूस बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल बेस, अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा

    30 वर्षीय भारतीय मूल की महिला हिमांशी खुराना की भी हत्या

    टोरंटो कैंपस के पास 20 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या, आरोपी की तलाश में पुलिस

    कट्टर इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

    नाइजीरिया में ISIS आतंकियों पर अमेरिकी हमला, कट्टर इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ ट्रंप सख़्त

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औरंगज़ेब ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार मे ज़िंदा चुनवाने का आदेश दिया था

    वीर बाल दिवस: क्रिसमस-नववर्ष का जश्न तो ठीक है लेकिन वीर साहिबजादों का बलिदान भी स्मरण रहे

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल शासक औरंगज़ेब की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया

    वीर बाल दिवस: उत्सवों के बीच साहिबज़ादों के अमर बलिदान को नमन

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    खालिदा जिया के निधन से शोक में बांग्लादेश

    बांग्लादेश की राजनीति में युग का अंत: खालिदा जिया के निधन पर शेख हसीना ने जताया दुख

    गांधी परिवार में खुशियों की दस्तक

    गांधी परिवार में खुशियों की दस्तक: रेहान वाड्रा ने की अवीवा बेग से सगाई

    प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को दी श्रद्धांजलि

    प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दी श्रद्धांजलि, 1943 में पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराने की घटना को किया याद

    हसीना से यूनुस तक

    हसीना के बाद यूनुस: बांग्लादेश में सत्ता और दिशा का मौन परिवर्तन

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी को ब्रह्मोस एयरोस्पेस का महानिदेशक नियुक्त किया था

    ब्रह्मोस एयरोस्पेस के DG & CEO की नियुक्ति रद्द,  ट्रिब्यूनल ने DRDO की चयन प्रक्रिया को बताया मनमाना

    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    बांग्लादेश में अमेरिकी जीएमओ मक्का का आगमन, क्षेत्रीय खाद्य संप्रभुता पर खतरा

    अमेरिकी जीएमओ मक्का पर पश्चिम का दबदबा, ठेकेदारों ने किया अधिग्रहण

    अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट और सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ

    नाटो के लिए सीधा संदेश: बेलारूस में रूस बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल बेस, अमेरिकी रिपोर्ट से खुलासा

    30 वर्षीय भारतीय मूल की महिला हिमांशी खुराना की भी हत्या

    टोरंटो कैंपस के पास 20 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या, आरोपी की तलाश में पुलिस

    कट्टर इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील

    नाइजीरिया में ISIS आतंकियों पर अमेरिकी हमला, कट्टर इस्लामी आतंकवाद के ख़िलाफ़ ट्रंप सख़्त

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औरंगज़ेब ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार मे ज़िंदा चुनवाने का आदेश दिया था

    वीर बाल दिवस: क्रिसमस-नववर्ष का जश्न तो ठीक है लेकिन वीर साहिबजादों का बलिदान भी स्मरण रहे

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल शासक औरंगज़ेब की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया

    वीर बाल दिवस: उत्सवों के बीच साहिबज़ादों के अमर बलिदान को नमन

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

भगवान बुद्ध: मानवता के लिए शांति और करुणा का रास्ता

बौद्ध दर्शन का आधार सिद्धांत उसका आर्य सत्य है और भगवान बुद्ध का समस्त सिद्धांत इन्हीं आर्य सत्यों के अंतर्गत आता है, पढ़ें कौनसे हैं ये आर्य सत्य?

Dr Alok Kumar Dwivedi द्वारा Dr Alok Kumar Dwivedi
12 May 2025
in संस्कृति
दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है

दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है

Share on FacebookShare on X

आज जब सम्पूर्ण विश्व अपने विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं से जूझ रहा है तो मानवता को किसी ऐसे विचार की आवश्यकता है जो उसका पथ प्रदर्शन कर सके। विश्व मानवता के पथ प्रदर्शक के रूप में सनातन परंपरा ने समय समय पर विचार पुंज प्रकट किया है। ऐसे ही प्रेरणा पुंज के रूप में भगवान बुद्ध का आविर्भाव हुआ। सनातन धर्म और संस्कृति की यह सदैव से विशेषता रही है कि यह स्वयं के भीतर भी परिमार्जन और शोधन को लेकर काफी मुखर रही है। इतिहास गवाह है कि सनातन व्यवस्था मे देश काल के अनुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। जब जब समाज मे कोई ऐसा विचार पनपा जो कालखंड के किसी दौर में अनुपयोगी दिखाई पड़ता है तो तुरंत ही इसके संवर्धन और परिष्कार के लिए सनातन संस्कृति सदैव आग्रही रही है और यही प्रगतिशीलता ही सनातन व्यवस्था के जीवन होने का प्रमाण भी है। इसी विचार के क्रम में भगवान बुद्ध का आविर्भाव हुआ।भारतीय सनातन संस्कृति विश्व में सबसे अनूठी इस बात के लिए भी है कि यहाँ पर अपने विचार कि श्रेष्ठता और व्यवहार कि सुसंगतता के आधार पर देवत्व को भी प्रकट किया जा सकता है। योग दर्शन इस बात की पुष्टि भी करता है। इसी आधार पर राम, कृष्ण, शंकरचार्य और बुद्ध देवत्व को प्राप्त हो गए हैं।

बौद्ध परंपरा और पुरातात्विक निष्कर्षों के अनुसार, गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 563–483 ईसा पूर्व के बीच लुंबिनी, नेपाल में हुआ था। उनकी माता, रानी माया देवी एवं पिता राजा शुद्धोधन थे। लुंबिनी में स्थित मायादेवी मंदिर, उसके आस–पास के उद्यान और सम्राट अशोक द्वारा 249 ईसा पूर्व में स्थापित अशोक स्तंभ बुद्ध के जन्मस्थल को चिह्नित करते हैं। दक्षिण और दक्षिण–पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक‘ उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख‘ शब्द का अपभ्रंश है। इसमें उनके जन्म के साथ–साथ उनके ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण (निधन) की घटनाओं को भी सम्मिलित किया जाता है। अर्थात वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध के जीवन की यह तीनों घटनाएँ घटी थी इसीलिए इस दिन को त्रिविध पावनी भी कहा जाता है। यह उत्सव पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हालाँकि, तिब्बती बौद्ध परंपरा में बुद्ध के जन्म को अलग से मनाया जाता है, जिसे चौथे महीने की 7वीं तिथि को मनाया जाता है, जबकि उनकी बोधि और महापरिनिर्वाण को समर्पित वार्षिक उत्सव ‘सागा दावा दुचेन’ चौथे महीने की 15वीं तिथि को मनाया जाता है। पूर्वी एशिया में, विशेष रूप से वियतनाम और फिलीपींस में, बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु के लिए अलग–अलग तिथियाँ मनाई जाती हैं।

संबंधितपोस्ट

बिहार: एक गौरवशाली अतीत लेकिन अपमानित होते लोग, ऐसा क्यों हो रहा है?

3rd Highest Leader In Buddhism: दलाई लामा का एक दांव, और चीन चारों खाने चित्त

‘चंदशोक’ से ‘अशोका द ग्रेट’- रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों ने कैसे एक हिंसक राजा को ‘ग्रेट’ की उपाधि दी

और लोड करें

गौतम बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। उनका पालन–पोषण अत्यंत ऐश्वर्य और विलासिता में हुआ। उनके जन्म के समय यह भविष्यवाणी की गई थी कि वह एक महान सम्राट बनेंगे, इसलिए उन्हें वाह्य सांसरिक दुख रूप संसार से दूर रखा गया जिससे कि कोई भी घटना उनको वैराग्य की तरफ प्रवृत्त न कर सके। जब सिद्धार्थ गौतम 29 वर्ष के हुए, तो उन्होंने संसार को निकट से देखने की इच्छा जताई और रथ में बैठकर महल के बाहर भ्रमण पर निकाल पड़े। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने एक वृद्ध व्यक्ति, एक रोगी और एक मृत शरीर को देखा। चूँकि वे अब तक वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के दुखों से पूरी तरह अनभिज्ञ थे, अत: उनके सारथी को उन्हें इन दृश्यों का अर्थ समझाना पड़ा। यात्रा के अंत में उन्होंने एक भिक्षु (साधु) को देखा, जिसकी शांत मुद्रा ने उन्हें अत्यधिक प्रभावित किया। इस अनुभव से प्रेरित होकर सिद्धार्थ ने यह जानने का निश्चय किया कि उस साधु जैसी शांति और स्थिरता दुखों से भरे इस संसार में कैसे संभव है? इसके बाद उन्होंने महल त्याग दिया और एक संन्यासी (परिव्राजक तपस्वी) के रूप में अपने जीवन की यात्रा प्रारंभ की। उन्होंने आलार कालाम और उद्दक रामपुत्र से ध्यान और साधना की विधियाँ सीखी और शीघ्र ही उनके शिक्षण में निपुण हो गए। उन्होंने गहरे ध्यान और रहस्यमय अनुभूतियों को प्राप्त किया, परंतु वे संतुष्ट नहीं हुए। अतः वे निर्वाण — अर्थात् पूर्ण ज्ञान और मुक्ति की खोज में निकल पड़े। गृह त्याग के बाद सिद्धार्थ गौतम ने सत्य की खोज में सात वर्षों तक वनों में भटकते हुए कठोर तप किया। अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में स्थित एक वटवृक्ष (बोधिवृक्ष) के नीचे उन्हें बोधि प्राप्त हुई हुआ और वे बुद्ध बने। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने अपने अनुभवों का प्रचार–प्रसार करना शुरू किया और इस प्रकार बौद्ध धर्म की स्थापना की।

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण विहार—जहाँ भगवान बुद्ध ने अंतिम सांस ली थी— में एक महीने तक भव्य मेला लगता है। यद्यपि यह स्थान मूलतः बौद्ध तीर्थ है, परंतु इसके आसपास हिंदू जनसंख्या अधिक है, जो श्रद्धाभाव से यहाँ पूजा–अर्चना के लिए आते हैं। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हिंदू और बौद्ध – दोनों धर्मों के अनुयायियों द्वारा श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जिन्हें हिंदू परंपरा में भगवान विष्णु का नवम अवतार माना जाता है। इसी कारण से यह दिन न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए, बल्कि हिंदू श्रद्धालुओं के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। महापरिनिर्वाण विहार का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है और इसका विशेष महत्व बुद्ध के महापरिनिर्वाण से जुड़ा हुआ है। विहार में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा है, जो लाल बलुई पत्थर से बनी है और उन्हें भू–स्पर्श मुद्रा में दर्शाती है। यह मूर्ति उसी स्थान से प्राप्त हुई थी, जहाँ अब यह मंदिर निर्मित किया गया है। विहार के पूर्वी भाग में एक स्तूप भी स्थित है, जहाँ भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ था। यह मूर्ति अजंता की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति मानी जाती है।

भगवान बुद्ध द्वारा चलाया गया आंदोलन बौद्ध धर्म के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। बुद्ध के ही वचनों एवं शिक्षाओं को उनके महापरिनिर्वाण के पश्चात् लिपिबद्ध किया गया। इसे पिटक कहा गया। पिटक तीन है – अभिधम्मपिटक जो कि सिद्धांत परक है, सुत्तपिटक जोकि उपदेश परक है तथा विनय पिटक जोकि शील एवं नीतिपरक है। बौद्ध दर्शन का नीति दर्शन विनय पिटक से उद्घोषित होता है। बौद्ध दर्शन मानव जीवन के सर्वोच्च आध्यात्मिक लक्ष्यों को महत्व प्रदान करता है। बौद्ध दर्शन का यह आध्यात्मिक लक्ष्य जीवन के समस्त दुखों की निवृत्ति के साथ आत्मदीपो भव: तक की यात्रा है जिसके अंश भारतीय उपनिषद परंपरा में स्पष्ट रूप से विद्यमान रहे हैं। इस संबंध में सर्वदर्शन के अनुसार, “बुद्ध के कर्म बाद एवं निर्माण प्राप्ति संबंधी विचार मूल रूप में उपनिषदों में निहित है”।

दुख एवं पीड़ा मानव जीवन के विशिष्ट अंग हैं, यह बात उपनिषद सहित सभी भारतीय दर्शन मानते हैं। उनका लक्ष्य तो केवल दुखी और पीड़ित संसार को दुख एवं पीड़ा से मुक्ति पाने हेतु मार्ग निर्देशन करना था। बौद्ध दर्शन व्यक्ति के कर्म एवं उसके सामर्थ्य को महत्व देता है। यह व्यक्ति को इतनी संकल्प एवं कर्म की स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वह अपने व्यवहारिक समस्याओं का समाधान करते हुए आध्यात्मिक उत्कर्ष कर सके। वस्तुतः बौद्ध धर्म तत्कालीन समाज में मानवीय गरिमा को पुनर्स्थापित करने के रूप में एक युगांतकारी आंदोलन था। एम. हिरियन्ना के अनुसार, “बुद्ध के उपदेश स्वावलंबन पर विशेष बल देते हैं। प्रत्येक व्यक्ति स्वयं के प्रयासों के द्वारा निर्माण प्राप्त कर सकता है क्योंकि यह सोचना व्यर्थ है कि कोई किसी के लिए सुख–दुख उत्पन्न कर सकता है। यहां पर बौद्ध तथा गीता के कर्म सिद्धांत में समानता दिखलाई पड़ती है। जहां भगवतगीता में भी भगवान का स्पष्ट आदेश है कि व्यक्ति का अधिकार उसके कर्म पर है तथा कर्म के परिणामों को त्यागकर, कर्म को कर्तव्य मानकर कर्म करते हुए व्यक्ति व्यवहारिक एवं आध्यात्मिक उत्कर्ष कर सकता है”।

बौद्ध दर्शन का आधार सिद्धांत उसका आर्य सत्य है। भगवान बुद्ध का समस्त सिद्धांत इन्हीं आर्य सत्यों के अंतर्गत आता है। आर्य सत्य चार हैं –

1. दुख है ।

2. दुख का कारण है ।

3. दुख का निरोध संभव है ।

4. दुख निरोध का मार्ग भी है ।

इन्हीं आर्य सत्यों का ज्ञान पाकर सिद्धार्थ बुद्ध हुए। विचार पूर्वक देखें तो इन आर्य सत्यों में प्रत्येक की कल्पना किया जाना, उन सबको एक कार्य कारण सिद्धांत में पिरोया जाना निश्चित रूप में यह निरूपित करता है कि दुख का अंत उचित साधन के द्वारा किया जा सकता है । कुछ ऐसे तथ्य हैं जो मानव कल्याण के लिए सबसे अधिक उपयोगी है। सामान्यतः लोग दुख के अस्तित्व को तो मानते हैं परंतु वे दुख के संपूर्ण व्यवहारिक समाधान को लेकर संदेह करते हैं। तत्कालीन स्थिति में समाज दुख सहन को लेकर अभिशप्त भावों में था। ऐसी स्थिति में भगवान बुद्ध का पूरी दृढ़ता से दुख के संपूर्ण समाधान का व्यवहारिक प्रकटन निश्चित ही एक क्रांतिकारी सोच था। योगाभ्यासकार का कथन है कि, “जैसे चिकित्साशास्त्र चतुर्व्यूह है – रोग, रोगहेतु, आरोग्य और भेषज। ऐसे ही बौद्ध शस्त्र भी चतुर्व्यूह है, यथा – संसार, संसारहेतु, मोक्ष और मोक्षोपाय।

कालांतर में बौद्ध धर्म हीनयान और महायान में विभक्त हो गया। इनकी आचारनीति में कुछ भिन्नता भी दिखाई पड़ती है। उल्लेखनीय है कि बौद्ध धर्म में जब तक नैतिकता अलौकिकता से पृथक रही तब तक वह महात्मा बुद्ध के आत्म दीपो भव के अनुकूल बनी रही। हीनयान में व्यक्ति के व्यक्तिगत निर्वाण को अधिक महत्व दिया गया जबकि महायान अन्य व्यक्तियों के निर्वाण को भी संभव बनाता है। महायान का उद्घोष है कि मनुष्य को अन्य लोगों की मुक्ति के लिए भी प्रयत्नशील होना चाहिए। महात्मा बुद्ध एकमात्र अर्हत नहीं थे वरन वे लोकोत्तर पुरुष थे और इस प्रकार वह ऐतिहासिक सीमाओं से परे थे। महायानियों ने मुक्ति पाने के साधन के रूप में प्रज्ञा, शील, समाधि के बदले दान, शील, शांति, वीर्य, ध्यान तथा प्रज्ञा को स्वीकार किया। निर्वाण नकारात्मक अवधारणा न होकर एक सकारात्मक अवधारणा है ऐसा महायानियों का मानना था।

आज जब सम्पूर्ण विश्व आतंकवाद, गरीबी, भ्रष्टाचार और मानसिक दुर्बलता का शिकार हो रहा है तो बुद्ध और उनके वचन सार्थक विकल्प के रूप में सबके सामने उपस्थित होते हैं। बुद्ध एक व्यक्ति के रूप में इस रूप में महत्वपूर्ण हैं कि उन्होने जैसा किया वैसा बोला और जैसा बोला वैसा अपना जीवन जिया। उनके द्वारा दिया गया माध्यम मार्ग का सिद्धान्त आज के लोभ आधारित द्समज को आवश्यकता आधारित समाज कि तरफ दिशा देने का सर्वोत्तम उपाय है। इस रूप में भगवान बुद्ध मानवता के सदैव पाठ प्रदर्शक बने रहेंगे। 

Tags: buddha purnimaLord Buddhasiddhartha gautamaबुद्ध पूर्णिमाबौद्ध धर्मभगवान बुद्धसिद्धार्थ गौतम
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

पाकिस्तान के सेना ने आतंकवादियों का साथ दिया, भारत पर हमले के लिए चीन और तुर्की के हथियारों का हुआ इस्तेमाल: भारतीय सेना

अगली पोस्ट

भारत पाकिस्तान ‘सीजफायर’ की इनसाइड स्टोरी, क्यों अमेरिका के पास पहुंचा पाक?

संबंधित पोस्ट

भारतीय दर्शन और संविधान
इतिहास

भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

2 December 2025

भारतीय ज्ञान परंपरा में नागरिकता (Citizenship) का विचार आधुनिक “राज्य–नागरिक” (State–Citizen) ढाँचे से भले अलग रहा हो, पर इसका इतिहास अत्यंत प्राचीन, समृद्ध और बहुआयामी...

तालोम रुकबो
इतिहास

अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

1 December 2025

कुछ ऐसे राष्ट्रनायक हुए हैं, जिनके योगदान को सामने लाने में इतिहास ने हमेशा कोताही बरती है। अरुणाचल प्रदेश के तालोम रुकबो भी उन्ही में...

26 नवंबर भारतीय संविधान दिवस
इतिहास

संविधान दिवस: भारतीय चिंतन परंपरा की दृष्टि से संविधान 

26 November 2025

भारत में संविधान दिवस  प्रतिवर्ष  26 नवंबर को मनाया जाता है। यह मात्र एक स्मृति-दिवस नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक क्षण का उत्सव है जब 1949...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited