पहलगाम में स्थानीय रेडिकल इस्लामिक आतंकियों की मदद से पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा पहचान पूछकर हिन्दू पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च करके पाकिस्तान को घर में घुसकर मारा है। जिसके बाद युद्ध जैसे हालात बने हैं। इस युद्धकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से एक वक्तव्य जारी किया गया है, जिसमें “ऑपरेशन सिंदूर” के लिए भारत सरकार के नेतृत्व और सैन्य बलों का हार्दिक अभिनंदन किया गया है। इस वक्तव्य में संघ ने माना है कि पाकिस्तान में आतंकियों, उनका ढॉंचा एवं सहयोगी तंत्र पर की जा रही सैनिक कार्रवाई देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक एवं अपरिहार्य कदम है। इस वक्तव्य के माध्यम से संघ ने उसी भावना का प्रकटीकरण किया है जो सन् 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरुजी ने प्रकट की थी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान श्री गुरूजी ने एक वक्तव्य दिया था। श्री गुरूजी समग्र खंड-10 के ‘युद्धस्व भारत’ नामक भाग में दिए 1965 में दिल्ली से प्रसारित इस वक्तव्य में उस समय श्री गुरूजी ने क्या कहा था, आईये जानते हैं:
“पाकिस्तान के आक्रमण के परिणामस्वरूप हमारे देश पर थोपा हुआ युद्ध गंभीर संघर्ष का रूप धारण करता जा रहा है। हम सबको परिस्थिति की चुनौती को स्वीकार करना होगा तथा दृढता और धैर्यपूर्वक पूर्ण सफलता प्राप्त करनी होगी। युद्धग्रस्त क्षेत्र के विस्तार के साथ हमारे सामने नई-नई समस्याएँ आएँगी और नई जिम्मेदारियों को हमें वहन करना होगा। शासन तो उन्हे निभाने का प्रयत्न करेगा ही, किन्तु उस पर काफी भार होगा। अतः देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे देशहित की सामान्य नीतियों को ध्यान में रखते हुए इन दायित्वों के निर्वाह मे हाथ बटाएँ। अतः मैं सभी देशवासियों तथा विशेषतः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बधुओं का आह्वान करता हूँ कि वे जो-जो समस्याएँ पैदा हों, उनको दूर करने में सरकार का पूरा सहयोग करें। विस्थापितों की तथा घायलों और बीमारों की सहायता, शांति और व्यवस्था, नागरिक सुरक्षा, जिसका काफी काम गैरसरकारी आधार पर किया जा सकता है, करें। जनता के मनोबल को बनाए रखने, प्रखर राष्ट्राभिमान को जागृत करने तथा अंतिम विजय तक दृढतापूर्वक लडने का संकल्प पैदा करने की ओर विशेष ध्यान देना होगा। हम सत्य के लिए तथा अपनी मातृभूमि की अखंडता और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। हमारी विजय सुनिश्चित है।”
इस बार के संघ के वक्तव्य और 1965 के श्री गुरूजी के वक्तव्य का भाव एक समान है, जो संघ की राष्ट्र के प्रति निष्ठा और कर्त्तव्य का प्रकटीकरण करता है।