India Pakistan Tension: भारत के साथ जब-जब छल और नापाक हरकतों की बात आए तो कैसे हो सकता है कि पाकिस्तान का नाम न आए। कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को खूनी आतंकी हमला हुआ। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। तभी से दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल है। इससे ठीक पहले हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों का व्यापार करने वाली अमेरिकी कंपनी मैक्सार टेक्नोलॉजी को भारी संख्या में आर्डर मिले थे। ये आर्डर किसने दिये और इनका इस्तेमाल किस काम के लिए हुआ इस बात का तो खुलासा नहीं हो पाया है। हालांकि, पाकिस्तानी कंपनी बिजनेस सिस्टम इंटरनेशनल (BSI) से साझेदारी और इसके कर्ताधर्ता ओबैदुल्ला सैयद की गैरकानूनी गतिविधि ने कई तरह की आशंकाओं को जन्म दिया है। इनकी संदिग्ध गतिविधि इसलिए भी सवालों के घेरे में है क्योंकि, हमारी इसरो भी इसके कई सेवाओं की ग्राहक है।
मैक्सार टेक्नोलॉजी ने आंखें मूंदकर पाकिस्तान BSI के साथ हाथ मिलाया है। इसके कर्ताधर्ता ओबैदुल्ला सैयद को अमेरिकी अदालतों ने सजा भी सुनाई है। अब सैटेलाइट तस्वीरों के इस खेल में मैक्सार पर सवाल उठता है कि क्या वो बिना सोचे-समझे एक ऐसे सांप को दूध पिला रहा जो भारत में जहर उगलना चाहता है। आइये देखें इसके खरीद के आंकड़े और इतिहास
कौन है ओबैदुल्ला सैयद?
ओबैदुल्ला सैयद एक पाकिस्तानी-अमेरिकी उद्यमी हैं। ये पाकिस्तान स्थित बिजनेस सिस्टम इंटरनेशनल (बीएसआई) प्राइवेट लिमिटेड और शिकागो स्थित BSIUSA का मालिक है। इसकी कंपनी ने कंपनी ने जून 2024 में मैक्सार के साथ साझेदारी की है। साल 2022 में इसके कर्ताधर्ता ओबैदुल्ला सैयद को अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (पीएईसी) को गैरकानूनी रूप से उपकरण और सॉफ्टवेयर निर्यात करने का दोषी ठहराया था।
ओबैदुल्ला सईद और उसका इतिहास
- – 2006 से 2015 के बीच ओबैदुल्ला सईद ने US वाणिज्य विभाग की अनुमति के बिना संवेदनशील तकनीक पाकिस्तान भेजी।
- – झूठे दस्तावेजों के ज़रिए यह दिखाया कि सामान पाकिस्तानी विश्वविद्यालयों के लिए जा रहा है जो असल में PAEC को दिया गया था।
- – 2022 में उन्हें एक साल और एक दिन की जेल की सजा हुई और 247,000 डॉलर की अवैध कमाई जब्त की गई।
- – PAEC वह एजेंसी है जिसे अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए असामान्य खतरा मानते हुए ब्लैकलिस्ट किया है।
भारतीय संस्थान भी हैं ग्राहक
समाचार पोर्टल प्रिंट से बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ऐसी तस्वीरों की आसान उपलब्धता इसके दुरुपयोग का खतरा बढ़ाती है। भारत में रक्षा मंत्रालय और इसरो सहित कई संस्थाएं मैक्सार की सेवाओं का उपयोग करती हैं। हालांकि, हमारी संस्थाएं इसका सीमित उपयोग करती है। इसके बाद भी कंपनी मैक्सार की संदिग्ध पार्टनरशिप आशंकाओं को बढ़ाती है। क्योंकि, इन्हें एक खास पैटर्न में ऑर्डर मिले हैं जो पहलगाम हमले के आसपास हैं।
कंपनी को मिले ऑर्डर
- – 2 से 22 फरवरी 2025 के बीच 12 ऑर्डर मिले। ये मंथली औसत से दोगुने थे।
- – ऑर्डर विशेष रूप से 12, 15, 18, 21 और 22 फरवरी को दिए गए थे।
- – 12 अप्रैल 2025 को एक ऑर्डर हुआ था जो हमले से ठीक 10 दिन पहले था।
- – 24 और 29 अप्रैल को दो ऑर्डर हुए हैं ये हमले के बाद का ऑर्डर है।
- – 29 अप्रैल के बाद कंपनी को अभी तक कोई ऑर्डर नहीं मिला है।
सैटेलाइट इमेजरी का महत्व
हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें खुफिया जानकारी का आधार बन चुकी हैं। मैक्सार की तकनीक 15 से 30 सेमी पिक्सेल रिजॉल्यूशन प्रदान करती है। बुनियादी ढांचे से लेकर व्यक्तियों की गतिविधियों तक की विस्तृत जानकारी दे सकती है। इसका उपयोग सैन्य गतिविधियों, हथियार तैनाती, बुनियादी ढांचे की निगरानी, अवैध घुसपैठ का पता लगाने के लिए होता है। क्योंकि, इनके जरिए व्यक्तियों का चेहरा भी पहचाना जा सकता है।
इस तस्वीरों का मिला ऑर्डर
दावा किया जा रहा है कि पहलगाम के अलावा, पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामूला जैसे सैन्य रूप से संवेदनशील इसकों की तस्वीरों के लिए ऑर्डर दिए गए हैं। जानकार बताते हैं कि मैक्सार जैसे व्यावसायिक उद्यमों का ग्राहकों के प्रति कोई वफादारी दायित्व नहीं होता। ऐसे में भारत को स्वदेशी निगरानी सैटेलाइट क्षमताओं को बढ़ाने और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है।
मैक्सार की गोपनीयता नियम
मैक्सार के गोपनीयता नियम भी इसे थोड़ा संदिग्ध बनाते हैं। इसका कोई भी ग्राहक दूसरे के ऑर्डर की फोटो देख सकता है। हालांकि, नाम नहीं जान सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में ये एक्सेस नहीं दिया जाता है।
- मैक्सार का पोर्टल भागीदारों को ऑर्डर की गई तस्वीरें देखने की अनुमति देता है।
- कुछ मामलों में मैक्सार गोपनीयता के आधार पर अन्य ग्राहक को तस्वीरें नहीं देखने देता।
- ऑर्डर के स्रोत की जानकारी गोपनीयता के कारण साझा नहीं की जाती।
समझें रिजॉल्यूशन का गणित
हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट फोटो ऐसी छवियां हैं जो धरती की बारीक जानकारी देती हैं। इनकी गुणवत्ता पिक्सेल रेजोल्यूशन पर निर्भर करती है। इसको सेंटीमीटर में मापा जाता है। ये जितना कम होता है इससे इतनी ही बरीक जानकारी मिल सकती है। जानकारी के अनुसार, मैक्सार 10 से 30 सेंटीमीटर तक के रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरों का व्यापार करता है। इतने में तो जमीन में पड़े सिक्के भी देखे जा सकते हैं।
- 10 सेमी से कम रिजॉल्यूशन: सड़कों पर लोगों के चेहरे की प्रोफाइल
- 10-15 सेमी से रिजॉल्यूशन: सड़क लाइनें, पौधे, इमारतें, वाहनों की पहचान
- 15-30 सेमी से रिजॉल्यूशन: बुनियादी ढांचा, बड़े वाहन, फील्ड
- 30-50 सेमी से रिजॉल्यूशन: अच्छी गुणवत्ता वाली इमेजरी, जंगल, नदी आदि
भारत को उठाने चाहिए कदम
मैक्सार का बिना पृष्ठभूमि जांच के BSI जैसे साझेदारों को शामिल करना सुरक्षा के लिए खतरा है। विशेषज्ञों ने माना की भारत को मैक्सार से ऑर्डर की जांच करानी चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ ऐसी कंपनियों के संचालन पर रोक लगाने के लिए दबाव बनाए। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत करना होगा और वैश्विक सैटेलाइट डेटा प्रदाताओं पर सख्त निगरानी रखनी होगी।
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22 अप्रैल का पहलगाम हमला केवल एक आतंकी हमला नहीं बल्कि साइबर-जियोस्पेशियल खतरों और अंतरराष्ट्रीय तकनीकी साझेदारियों की कमजोर कड़ियों का झलक है। मैक्सर के खरीद का डेटा सीधे तौर पर BSI को इन ऑर्डर से नहीं जोड़ता है लेकिन कंपनी के संस्थापक ओबैदुल्लाह सैयद का विवादास्पद इतिहास इसे संदेहास्पद बनाता है। यह घटनाक्रम भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। ये हमें विदेशी सैटेलाइट इमेजिंग कंपनियों के साथ साझेदारी और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल पर दोबारा विचार करने की ओर इशारा कर रहा है।