कोलकाता की 22 वर्षीय लॉ की छात्रा शर्मिष्ठा पानौली के लिए सोमवार का दिन भारी रहा, जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। हाल ही में धार्मिक भावनाएं आहत करने और सामाजिक वैमनस्य फैलाने के आरोप में कोलकाता पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। एक युवा छात्रा के लिए यह सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक परीक्षा भी बन गई है।
शर्मिष्ठा के वकील ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। इस याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ में न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी ने की। अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यह कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन वह किसी को धार्मिक भावनाएं आहत करने का अधिकार नहीं देती। न्यायमूर्ति चटर्जी ने साफ कहा, “हमारा देश विविधताओं से भरा है। यहां सभी तरह के लोग रहते हैं। ऐसे में बोलते समय संयम ज़रूरी है।”
यह टिप्पणी केवल एक कानूनी टिप्पणी नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी थी उस संतुलन की, जिसकी आज के डिजिटल दौर में सबसे अधिक ज़रूरत है, खासकर तब जब युवा वर्ग सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी बात लाखों तक पहुँचा रहा है। शर्मा का केस अब न सिर्फ अदालत की निगरानी में है, बल्कि सार्वजनिक संवाद का हिस्सा भी बन चुका है, जहां कानून, अभिव्यक्ति और जिम्मेदारी की नई सीमाएं तय हो रही हैं।
शर्मिष्ठा ने वीडियो देल कर मांगी थी माफ़ी
इस मामले में 15 मई को गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप है कि शर्मिष्ठा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें की गई टिप्पणियों से एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावना आहत हुई। वीडियो पर तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद शर्मिष्ठा ने उसे हटा दिया और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी। हालांकि एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजा, लेकिन तब तक वे गुरुग्राम में छिप गई थीं। बाद में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ और शनिवार सुबह कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उसी दिन ट्रांजिट रिमांड पर उन्हें कोलकाता लाया गया।
अदालत ने अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए पुलिस को 5 जून तक केस डायरी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि शर्मिष्ठा पानौली के खिलाफ किसी अन्य थाने में कोई और शिकायत न दर्ज हो, और ना ही इसी मामले में कोई नई एफआईआर हो।