इंदौर के कारोबारी राजा रघुवंशी की उसकी पत्नी ने अपने अफेयर के चलते हत्या कर दी है, पत्नी द्वारा पति की हत्या किए या करवाए जाने का यह मामला ना तो नया है और ना ही पहला। पिछले कुछ समय से लगातार एक के बाद एक कई ऐसे मामले सामने आए हैं। बेशक ये मामले देखने में 2-4 लगते हों लेकिन अलग-अलग रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि असल में यह संख्या हर वर्ष सैकड़ों में है। हिंदू धर्म में शादी को कानूनी कॉन्ट्रैक्ट से कहीं ज़्यादा सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का बंधन माना जाता है। लेकिन अब सवाल शादियों को लेकर भी हैं, क्या 7 जन्मों का पवित्र बंधन अब समाज के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है? शादी के बाद लाल जोड़े में आ रही दुल्हन पर कितना भरोसा किया जाए, इसे लेकर सवाल हैं?
सोनम ही अकेली गुनहगार नहीं?
सोनम की शादी बीते 11 मई को राजा रघुवंशी से हुई थी। 20 मई को दोनों हनीमून के लिए मेघालय गए और 2 जून को एक गहरी खाई में राजा का शव मिला। हत्या सोनम के सामने हुई, उसके कहने पर हुई और एक रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि सोनम अपने साथियों से कहती रही कि ‘इसे मार डालो’। ऐसे और मामलों को देखें तो यूपी के मेरठ में सौरभ राजपूत की उसकी पत्नी मुस्कान ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या कर दी थी। सौरभ के शव के कई टुकड़े किए गए और उन्हें एक नीले ड्रम में सीमेंट डालकर जमा दिया गया। यह मामला राष्ट्रीय मीडिया में खूब सुर्खियों में रहा था।
वहीं, मेरठ में एक अमित नाम के एक युवक की उसकी पत्नी रविता ने प्रेमी के साथ मिलकर गला घोंटकर हत्या कर दी और यह हत्या हादसे लगे इसके लिए शव के पास सांप को रख दिया गया। आगरा में बीते मार्च में महिला ने पति की प्रेमी के साथ मिलकर हत्या कर दी और उसके शव को 65 किलोमीटर दूर फेंक दिया गया। बीते फरवरी में एक महिला ने अपने पति को पहले तो चाय में नशे की गोली दी और बेहोश होने के बाद प्रेमी के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद शख्स के शव को पेट्रोल डालकर जला दिया गया।
क्या कहते हैं आंकड़े?
गुरुग्राम की ‘एकम न्याय फाउंडेशन’ संस्था ने पत्नियों द्वारा पतियों की हत्या किए जाने के मामलों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें दावा किया गया है कि 2023 में भारत में पत्नियों या महिला पार्टनरों द्वारा पतियों की हत्या के 306 मामले सामने आए थे। इनमें से 213 मामलों में पतियों की उनकी पत्नियों और उनके प्रेमियों ने हत्या की है। इसके कारणों की बात करें तो इनमें प्रमुख कारण पति का विवाह के बाद संबंध पर आपत्ति जताना, पत्नी को रंगे हाथों पकड़ लेना या पति का विवाह के बाद संबंध को रोकने की कोशिश करना होता है। ये आंकड़े यकीनी तौर पर हैरान करने वाले हैं।
‘वॉइस फॉर मेन इंडिया वेबसाइट’ पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में पतियों की हत्या के 271 मामले कवर किए यानि भारत में हर 32 घंटे में एक पति की पत्नी द्वारा हत्या कर दी जाती है। 271 दर्ज हत्याओं में से 218 मामले ऐसे थे जहां पत्नी ने प्रेमी से मिलीभगत कर पति की हत्या कर दी थी। दावा किया गया है कि भारत में पति की हत्या का सबसे आम कारण पत्नी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हैं।
मुश्किल होती जा रही हैं शादियां?
समाज में तलाक के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, वैवाहिक रिश्ते टूट रहे हैं और इससे पति-पत्नी के बीच के रिश्ते लगातार कमज़ोर होते जा रहते हैं। तो क्या ऐसे में हत्याओं की घटना ने इस सामाजिक व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिए हैं। शादी धार्मिक रूटीन या सामाजिक रीति-रिवाज ही नहीं है बल्कि इसमें सामाजिक-आर्थिक दबाव और पारिवारिक-सामाजिक संरचनाओं का एक जटिल कॉकटेल बन गई है। प्रेम विवाह ना हो पाने के चलते यह समस्या और बढ़ गई है। ऐसे में कई मुश्किल सवाल हैं कि क्या शादी से पहले लड़कियों से अफेयर को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की ज़रूरत है? क्या लड़कियों से यह पूछा जाना और इसकी पड़ताल करनी ज़रूरी है कि शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण सहमति से विवाह के लिए तैयार हैं? ऐसे कई मुश्किल सवाल हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
स्थिति बेशक हताशा वाली हो लेकिन पूरी तरह सब कुछ खराब हो गया है, ऐसा भी नहीं है। देश में करोड़ों शादियां अच्छी तरह से चल रही हैं और परिवार की संस्था उसी पर टिकी हुई भी है। फिर भी अगर कुछ समस्याएं हैं तो उनका समाधान किए जाने की ज़रूरत है। कई देशों में शादी से पहले Pre-marital counselling का विचार प्रचलित हैं, भारत में भी ऐसी पहल किए जाने की ज़रूरत है, यहां शादी से पहले इमोशनल इंटेलिजेंस से लेकर समस्याओं को सुलझाने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की शिक्षाएं दी जाएं। साथ ही, परिवार की भी ज़िम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को समाज के बदलते समीकरणों को लेकर तैयार करें और संवेदनशील बनकर बच्चों का मार्गदर्शन करें। शादी के बाद रिश्ते में तनाव या अविश्वास आने पर उसे सुलझाने और समस्या बढ़ने पर काउंसलर/थैरेपिस्ट से दिखाने की पहल की जानी चाहिए। शादी से पहले आत्मनिरीक्षण करने की ज़रूरत है कि क्या हम भावनात्मक, मानसिक, आर्थिक रूप से शादी के लिए तैयार हैं।
अधिकांश विवाह सफल और प्रेमपूर्ण होते हैं ऐसे में कुछ असामान्य और दुखद घटनाओं के आधार पर पूरी विवाह संस्था को गलत तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। इन घटनाओं को चेतावनी के रूप में लेते हुए हमें बेहतर सामाजिक और वैवाहिक व्यवस्थाओं की दिशा में प्रयास करना होगा। जब पति-पत्नी एक-दूसरे के सच्चे साथी बनकर विश्वास, संवाद और सम्मान को प्राथमिकता देंगे और किसी भी विवाद के समय समय रहते परामर्श लेंगे, तभी हिंदू धर्म में वर्णित विवाह का आदर्श जीवन में साकार रूप से प्रकट होगा।