भारत के अंतरिक्ष प्रेमियों को थोड़ी और प्रतीक्षा करनी होगी। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर भारतीय गगनयात्री शुभांशु शुक्ला की उड़ान अब 11 जून को होगी। पहले एक्सिओम-4 का यह प्रक्षेपण 10 जून को तय था, लेकिन फ्लोरिडा के मौसम ने अंतरिक्ष की ओर इस ऐतिहासिक उड़ान पर फिलहाल विराम लगा दिया है।
चार दशकों बाद फिर एक भारतीय अंतरिक्ष में
शुभांशु शुक्ला कोई सामान्य नाम नहीं है वह राकेश शर्मा के बाद ऐसे पहले भारतीय होंगे जो अंतरिक्ष के विशाल आकाश में कदम रखने जा रहे हैं। 1984 में सोवियत मिशन के तहत राकेश शर्मा ने जो उपलब्धि हासिल की थी, वह अब नए दौर के निजी मिशन के माध्यम से फिर से दोहराई जा रही है। यह मिशन सिर्फ एक तकनीकी उड़ान नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों की ऊंची उड़ान है। यह भारत की उस युवा पीढ़ी के लिए भी संदेश है, जो अंतरिक्ष को केवल किताबों में नहीं, अपने करियर और कल्पनाओं में देखती है।
अब 11 जून को उम्मीद
स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट मंगलवार 10 जून को उड़ान भरने वाला था, लेकिन मौसम की खराब स्थिति ने इसे टालने पर मजबूर कर दिया। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने जानकारी दी कि अब यह प्रक्षेपण भारतीय समयानुसार 11 जून शाम 5:30 बजे निर्धारित किया गया है। इससे पहले भी तकनीकी कारणों से 29 मई की तय तारीख को टालना पड़ा था। लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान में धैर्य और सतर्कता सबसे जरूरी होती है, और यही भारत भी दिखा रहा है।
550 करोड़ की भागीदारी
इस मिशन में भारत की भागीदारी केवल प्रतीकात्मक नहीं है। केंद्र सरकार ने इसके लिए 550 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो दर्शाता है कि भारत अब केवल सहयोगी नहीं, बल्कि निजी अंतरिक्ष यात्राओं में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। भविष्य में इस मिशन के ज़रिए भारत अपनी पहली महिला गगनयात्री को भी अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में एक्सिओम-4 न केवल एक मिशन है, बल्कि भारत की वैज्ञानिक आकांक्षाओं और वैश्विक महत्वाकांक्षा का अगला पड़ाव भी है।