भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होने जा रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और क्षेत्रीय तनाव को देखते हुए भारत नौसैनिक शक्ति को मजबूत कर रहा है। इसके तहत एयरक्राफ्ट कैरियर, स्टील्थ फ्रिगेट्स और अत्याधुनिक पनडुब्बियों पर बड़ा निवेश किया जा रहा है। इसी दिशा में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) एक अत्याधुनिक सबमरीन-लॉन्च्ड हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल K-6 का विकास कर रहा है, जिसकी परीक्षण प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है।
K-6 मिसाइल, भारत की अब तक की सबसे शक्तिशाली पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) होगी। यह मिसाइल ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से कहीं अधिक घातक और तेज है। इसकी स्पीड 7.5 मैक (लगभग 9,261 किलोमीटर प्रति घंटे) है, जो दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का मौका भी नहीं देगी। यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियारों को ले जाने में सक्षम है। भारतीय रक्षा अनुसंधान विंग ने ब्रह्मोस परियोजना से जुड़े एक पूर्व वैज्ञानिक के हवाले से बताया कि K-6 मिसाइल को पनडुब्बी से दागा जा सकता है और यह एक बार में कई टारगेट्स को निशाना बना सकती है।
इस मिसाइल की रेंज 8,000 किलोमीटर तक बताई जा रही है, जो पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को आसानी से टारगेट कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी पहुंच में पाकिस्तान का आर्थिक केंद्र कराची भी आएगा, और यह एक हमले में उसकी आर्थिक गतिविधियों को पूरी तरह ठप कर सकती है। K-6 के साथ भारत अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा, जिनके पास पहले से ही हाइपरसोनिक SLBM क्षमताएं मौजूद हैं।
भारत पहले ही K-3 (1,000 से 2,000 किमी रेंज), K-4 (3,500 किमी रेंज) और K-5 (5,000 से 6,000 किमी रेंज) मिसाइलों का सफल परीक्षण कर चुका है। इनमें से K-4 और K-5 को नौसेना में शामिल भी किया जा चुका है। अब K-6 के जुड़ने से यह शृंखला और भी अधिक घातक और दूरगामी हो जाएगी। इसे भारत की लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के साथ मिलाकर देखा जाए, तो भारत का बैलिस्टिक मिसाइल शस्त्रागार अत्यधिक प्रभावशाली बन जाएगा।
K-6 मिसाइल को DRDO के एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लैबोरेटरी, हैदराबाद में विकसित किया जा रहा है और यह विशेष रूप से S-5 श्रेणी की SSBN (न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी) के लिए डिज़ाइन की जा रही है। S-5 पनडुब्बियां मौजूदा INS अरिहंत से कहीं बड़ी और ज्यादा उन्नत होंगी। इनकी लंबाई लगभग 12 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर होगी, और ये 2 से 3 टन वजनी वारहेड ले जा सकेंगी। सबसे खास बात यह है कि K-6 मिसाइल MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle) तकनीक से लैस होगी, यानी एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों को अलग-अलग दिशा में भेदा जा सकेगा।
K-6 का संचालन शुरू होते ही भारत की समुद्री मारक क्षमता में बड़ा बदलाव आएगा और यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा।