आपातकाल की 50वीं बरसी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने संविधान में किए गए ‘आपातकालीन संशोधनों’ पर बड़ा सवाल उठाया है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने दिल्ली में ‘आपातकाल विरोध’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इंदिरा गांधी सरकार ने 1975 में आपातकाल के दौर में देशभर में लोकतंत्र को कुचला, लाखों लोगों को जेल में ठूंसा और प्रेस पर ताले जड़े। उन्होंने कहा कि उसी दौरान बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के मूल स्वरूप से भी छेड़छाड़ की गई।
‘सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों पर पुनर्विचार हो’
होसबाले ने कहा कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ किया। उन्होंने कहा, “आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द जोड़े गए, ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ जो पहले प्रस्तावना में नहीं थे।” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सोशलिज्म का विचार भारत के लिए शाश्वत है। होसबाले ने कहा, “इन दो शब्दों को निकालने की बाद में कोशिश नहीं हुई है। क्यों वे (सेक्युलर और सोशलिस्ट) संविधान में रहने चाहिए, इस पर विचार करने की ज़रूरत है। बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया था, उसमें वे दो शब्द नहीं थे। आपातकाल में जब देश में मौलिक अधिकार नहीं थे, संसद नहीं थी, न्यायपालिका पंगु बन गई थी, उस समय आपने इसे जोड़ दिया।” होसबाले ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी कई चीज़ों की समीक्षा की जानी चाहिए।
संविधान लेकर घूमने वाले माफी मांगें: होसबाले
होसबाले ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि जो लोग आज संविधान की कॉपी लेकर घूम रहे हैं, उन्होंने आपातकाल को लेकर कभी माफी नहीं मांगी लेकिन उन्हें देश से माफी मांगनी होगी। उन्होंने कहा, “आपने एक लाख से अधिक लोगों को जेल में डाला, 250 से अधिक पत्रकारों को जेल में रखा, मौलिक अधिकारों को हनन किया, लाखों लोगों की जबरन नसबंदी की गई। न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया, जिन्होंने ये सब किया उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। अगर उनके पूर्वजों ने ऐसा किया है तो उन्हें पूर्वजों के नाम से माफी मांगनी चाहिए।”