छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से आने वाले प्रमुख जनजातीय नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम इस सप्ताह के अंत में नागपुर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। आगामी 5 जून को नागपुर में RSS के कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय का समापन समारोह होना है और इसमें अरविंद नेताम को आमंत्रित किया गया है। इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रहे नेताम लंबे वक्त तक कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े रहे थे और ऐसे में उनका संघ के मंच पर पहुंचना और सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ कार्यक्रम में शामिल होना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
कौन हैं अरविंद नेताम?
लंबे वक्त तक अविभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति का प्रमुख चेहरा रहे अरविंद नेताम ने कुछ समय पहले राजनीति से दूरी बनाकर जनजातीय समुदायों के अधिकारों और कल्याण के लिए काम करना शुरू कर दिया था। इससे पहले इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रहे और 5 बार के सांसद नेताम ने अगस्त 2023 में विश्व आदिवासी दिवस के दिन कांग्रेस से इस्तीफा देने का एलान कर दिया था। अरविंद नेताम ने तब BBC से बातचीत में कहा था कि ‘कांग्रेस पार्टी ने मुझे हाशिये पर रखा, जब मर्ज़ी तब बुलाया, जब मर्ज़ी तब दुत्कार दिया‘।

‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेताम ने 1996 में कांग्रेस छोड़ी थी और फिर 1998 में कांग्रेस में लौट आए थे। 2012 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान आदिवासी नेता पीएम संगमा का समर्थन किया तो उन्हें फिर से कांग्रेस से बाहर कर दिया गया और 2018 में वे वापस कांग्रेस में लौटे थे। कांग्रेस छोड़ने के बाद नेताम ‘हमार राज पार्टी’ बनाकर चुनावी मैदान में भी उतरे थे। नेताम ने बस्तर संभाग और सरगुजा जिले में कांग्रेस के वोटों में गहरी सेंध लगाई थी। नेताम कांग्रेस के अलावा बसपा, भाजपा और राकांपा के साथ अपनी राजनीतिक पारियां खेल चुके हैं।
RSS के बुलावे पर क्या बोले नेताम?
अरविंद नेताम ने RSS के कार्यक्रम में जाने के निमंत्रण को लेकर कहा, “मैं आभारी हूं कि आरएसएस ने मुझ जैसे एक साधारण व्यक्ति को इस निमंत्रण से सम्मानित करने के लिए चुना है। यह बहुत सम्मान की बात है।” उन्होंने कहा है कि अगर RSS वास्तव में जनजातीय समाज को समझना चाहता है, तो उसे जनजातीय परिप्रेक्ष्य के लेंस के माध्यम से दुनिया को देखना शुरू करना होगा। साथ ही, नेताम ने माना है कि संघ और जनजातीय समाज के बीच गहरी समझ विकसित किए जाने की ज़रूरत है।
क्या हैं बुलावे के मायने?
अरविंद नेताम को संघ के कार्यक्रम में बुलाए जाने की सबसे बड़ी वजह ना केवल जनजातीय समाज में आउटरीच करना है बल्कि नेताम को संघ की कार्यशैली से भी परिचय कराना है। यह पहली बार नहीं है जब संघ ने अपने कार्यक्रम में इस तरह अन्य विचारधारा के लोगों को आमंत्रित किया हो इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जो लंबे वक्त तक कांग्रेस से जुड़े रहे थे, को भी संघ ने अपने कार्यक्रम में बुलाया था। RSS लंबे समय से अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने की सभी कोशिशें करता रहा है। और भारत और यहां के समाज की बात करने वाले लोगों को अपने कार्यक्रमों में बुलाता रहा है।
छत्तीसगढ़ में जनजातीय आबादी लगभग एक-तिहाई है और बस्तर क्षेत्र में उनकी उपस्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। RSS इस क्षेत्र में अपनी पैठ मजबूत करना चाहता है और नेताम, जो बस्तर से वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं, को आमंत्रित करना इस रणनीति का हिस्सा है। उनके बुलावे को लेकर संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भी माना है कि वे आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आंबेकर ने कहा कि बस्तर जैसे क्षेत्र में समुदाय के लिए उनका सामाजिक योगदान और आदिवासी संस्कृति की प्रगति के लिए उनका काम बहुत महत्वपूर्ण है।
आरएसएस को पारंपरिक रूप से हिंदू राष्ट्रवाद से जोड़ा जाता है। एक तबके द्वारा हिंदुओं और जनजातीयों में विभेद पैदा करने को कोशिशें लगातार की जाती रही हैं। ऐसे में अरविंद नेताम को RSS द्वारा बुलाया जाना ना केवल एक सामाजिक संदेश है बल्कि हिंदुओं की एकजुटता का प्रतीक भी है। साथ ही, लंबे वक्त तक कांग्रेस या RSS विरोधी विचारधारा से जुड़े रहे नेताम को बुलाकर संघ यह भी संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि संघ का दरवाज़ा सभी से बातचीत के लिए खुले हुए हैं।
हालांकि, अरविंद नेताम ने साफ तौर पर कहा है कि उनकी राजनीति को लेकर दिलचस्पी अपने उत्तरार्ध में है। और ऐसे में उनका BJP में शामिल होना बेहद ही मुश्किल है। फिर भी उनके RSS के कार्यक्रम में शामिल होने के कई राजनीतिक मायने हैं। RSS के कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति अन्य आदिवासी नेताओं और समुदायों को RSS और BJP के प्रति अधिक सकारात्मक रुख अपनाने के लिए प्रेरित कर सकती है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, नेताम की भागीदारी से कांग्रेस को विशेषकर बस्तर क्षेत्र में झटका लग सकता है। यह वही इलाका है जहां उनकी हमार राज पार्टी पहले ही कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है।