भारत की ताकतवर ब्रह्मोस मिसाइल अब सिर्फ देश की सुरक्षा का हथियार नहीं रही बल्कि दुनिया भर की नजरों में एक भरोसेमंद युद्ध तकनीक बन चुकी है। हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस मिसाइल की शानदार सफलता के बाद, 14 से 15 देशों ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई है। खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी दी। राजनाथ सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस अब भारत की रणनीतिक शक्ति का प्रतीक बन गया है। इसकी गति, सटीकता और ताकत ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।” उन्होंने यह भी बताया कि अब ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण लखनऊ में शुरू हो चुका है, जिससे उत्तर प्रदेश को न केवल सामरिक बल्कि आर्थिक रूप से भी बड़ी मजबूती मिलेगी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस की अहम भूमिका
पुलवामा जैसे आतंकी हमले के बाद, कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत करारा प्रहार किया, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल ने अहम भूमिका निभाई। राजनाथ सिंह ने इसे ‘चमत्कारी’ प्रदर्शन बताया और कहा कि इसकी कामयाबी ने दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञों का भरोसा जीता है। उन्होंने कहा कि कई देश अब इस मिसाइल को खरीदने की योजना बना रहे हैं, और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब न सिर्फ अपनी रक्षा कर रहा है, बल्कि दुनिया के लिए एक भरोसेमंद रक्षा साझेदार बनता जा रहा है।
बढ़ता जा रहा है भारत का निर्यात
भारत अब सिर्फ रक्षा तकनीक का आयातक नहीं रहा बल्कि एक वैश्विक निर्यातक के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत देश में रक्षा उत्पादन को लेकर बड़ा विस्तार हुआ है। पिछले पांच वर्षों में भारत ने 85 से ज्यादा देशों को रक्षा उपकरण बेचे हैं, और 2023-24 में यह निर्यात लगभग ₹21,000 करोड़ (करीब $2.5 बिलियन) तक पहुंच गया। ड्रोन, रडार, तोपें और अब ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ये सब भारतीय रक्षा कंपनियों का हिस्सा बन चुके हैं, जिनमें दक्षिण एशिया, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप के देश रुचि दिखा रहे हैं।
लखनऊ में बनेगी ब्रह्मोस
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि अब ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण लखनऊ में किया जाएगा। कुछ दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस टेस्टिंग और इंटीग्रेशन फैसिलिटी का उद्घाटन किया। यह केंद्र सिर्फ सेना को नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोज़गार के नए अवसर देगा। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु या हैदराबाद जैसे पारंपरिक रक्षा हब से आगे बढ़कर लखनऊ जैसे शहरों में ऐसे निर्माण इकाइयों की स्थापना एक बड़ा सामाजिक और औद्योगिक बदलाव है।
क्या हैं ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत?
- यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी गति Mach 2.8 से 3.0 तक होती है।
- इसे ज़मीन, हवा, समुद्र और पनडुब्बियों से लॉन्च किया जा सकता है।
- इसकी सटीकता और कम रडार पकड़ में आने की क्षमता इसे और घातक बनाती है।
- ब्रह्मोस एक भारत-रूस संयुक्त परियोजना है, जिसमें भारत का DRDO और रूस का NPO Mashinostroyenia साथ काम कर रहे हैं।
- इसका नाम दो नदियों- ब्रह्मपुत्र (भारत) और मॉस्कवा (रूस) से मिलकर बना है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ब्रह्मोस को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग भारत की रक्षा यात्रा के नए युग की शुरुआत है। लखनऊ जैसे शहर में उत्पादन इकाई स्थापित होना दर्शाता है कि अब देश न केवल खुद को सशक्त कर रहा है बल्कि दुनिया के लिए भी एक रक्षा तकनीक प्रदाता बनता जा रहा है। भारत अब दिखा रहा है कि वह सिर्फ आयात नहीं कर सकता बल्कि खुद विश्वस्तरीय सैन्य समाधान बना सकता है और वो भी अपने दम पर।