मेघालय सरकार एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत शादी करने से पहले लड़का-लड़की दोनों को HIV/AIDS का टेस्ट कराना ज़रूरी होगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि राज्य में HIV के नए मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री माजेल एंपरीन लिंगदोह ने बताया कि HIV के ज़्यादातर केस असुरक्षित यौन संबंध और नशे की सुई से फैल रहे हैं, जिससे सरकार और डॉक्टर दोनों चिंतित हैं।
शिलॉन्ग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने कहा कि यह कानून गोवा के नियमों की तरह होगा, जहाँ पहले से ही शादी से पहले HIV टेस्ट ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि इस तरह का टेस्ट लोगों को पहले ही बीमारी का पता लगाने में मदद करेगा और समाज को सुरक्षित रखेगा। ये फैसला उस बैठक के बाद लिया गया जिसमें उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन टायनसोंग भी शामिल थे। सरकार अब इस कानून के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ तैयार कर रही है।
आंकड़ों के पीछे की सच्चाई
इस फैसले के पीछे की सबसे बड़ी वजह है कुछ बहुत ही परेशान करने वाले आंकड़े। सिर्फ साल 2024 में ही ईस्ट खासी हिल्स जिले (जहाँ शिलॉन्ग भी है) में 3,432 नए लोग HIV पॉजिटिव पाए गए, जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब दोगुना हैं। और चिंता की बात ये है कि इन संक्रमित लोगों में से सिर्फ 1,581 लोग ही इलाज (जिसे एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी या ART कहते हैं) ले रहे हैं।
पहले ये बीमारी ज़्यादातर शहरों तक सीमित थी, लेकिन अब ये गांवों में भी फैलने लगी है। खासकर जैंतिया हिल्स इलाके में लगातार HIV के केस बढ़ रहे हैं। इसी वजह से अब जिले के स्तर पर प्लानिंग और मीटिंग्स की जा रही हैं ताकि हालात को संभाला जा सके। MACS का कहना है कि HIV फैलने के पीछे दो बड़े कारण हैं—बिना सुरक्षा के यौन संबंध और नशे की लत। इससे साफ़ पता चलता है कि अब भी लोगों में जागरूकता की कमी है और सेक्स से जुड़ी हेल्थ सर्विसेज तक उनकी पहुँच बहुत सीमित है।
शांत परंपराएं, बढ़ता खतरा
मेघालय को आमतौर पर ऐसा राज्य माना जाता है जहाँ लोग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और जहाँ पारंपरिक रिवाज़, चर्च और संस्कृति लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं। यहाँ की करीब 75% आबादी ईसाई धर्म को मानती है और समाज में अनुशासन, नैतिकता और एकता को बहुत अहमियत दी जाती है।
लेकिन HIV से जुड़े ताज़ा आंकड़े कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। खासतौर पर युवाओं में इसका बढ़ता असर दिखा रहा है कि सिर्फ आस्था और परंपराएं अब समाज में बदलती सोच और छिपी हुई स्वास्थ्य समस्याओं से पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे पा रहीं। आज भी सेक्स, टेस्ट और संक्रमण जैसे मुद्दों पर घरों और धार्मिक जगहों में खुलकर बात नहीं होती, जिससे वायरस को चुपचाप फैलने का मौका मिल रहा है।
ऐसे में जो नया कानून लाया जा रहा है, वो सिर्फ बीमारी रोकने का तरीका नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि अब राज्य इन मुश्किल लेकिन ज़रूरी मुद्दों से सीधे तौर पर निपटने को तैयार है। यह एक कोशिश है कि इलाज और परंपराओं के बीच सही संतुलन बनाया जा सके।
आगे बढ़ने का रास्ता या समाज को आइना दिखाने की कोशिश?
जो लोग इस कानून का समर्थन कर रहे हैं, उनका मानना है कि शादी से पहले HIV टेस्ट करवाने से लोग खुलकर आपस में बात करेंगे, कपल्स के बीच भरोसा और पारदर्शिता बढ़ेगी, और अगर किसी को HIV है तो उसका इलाज समय पर शुरू हो सकेगा। लेकिन कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से लोगों की प्राइवेसी में दखल होगा, समाज में भेदभाव बढ़ सकता है और यह किसी की निजी पसंद पर कानून थोपने जैसा लगेगा।
फिर भी, जब वायरस धीरे-धीरे फैल रहा हो और लोग शर्म या डर की वजह से टेस्ट करवाने न जा रहे हों, तो सरकार के पास ज्यादा रास्ते नहीं बचते। जैसा कि स्वास्थ्य मंत्री लिंगदोह ने कहा, “HIV/AIDS जानलेवा नहीं है अगर इसका इलाज सही वक्त पर हो। हमें यह पक्का करना होगा कि जो लोग संक्रमित हैं, उन्हें पूरा इलाज मिले।”
लेकिन सिर्फ कानून बनाकर बात खत्म नहीं होगी। इसके लिए ज़रूरी है कि लोग घरों, स्कूलों और धार्मिक जगहों पर भी इस मुद्दे पर खुलकर बात करें—वहीं जगहें, जहां अब तक नैतिकता और सामाजिक सोच तय होती रही है।