केरल की नर्स निमिषा प्रिया को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। पहले ऐसी खबरें आईं कि यमन में निमिषा प्रिया की फांसी रद्द कर दी गई है। उन्हें सजा ए मौत से राहत मिल गई है। हालांकि, अब इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने बड़ा अपडेट दिया है। मीडिया रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस दावे को गलत करार दिया है। इस मामले में MEA का कहना है कि निमिषा प्रिया मामले में कुछ लोग गलत जानकारी फैला रहे हैं।
हत्या के मामले में ठहराया गया था दोषी
जानकारी हो कि निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि उनकी मौत की सजा रद कर दी गई है। लेकिन, विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस दावे को गलत बताया है।
ग्रैंड मुफ्ती ने किया था दावा
यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को रद्द करने का दावा कंथापुरम एपी के ग्रैंड मुफ्ती अबुबकर मुसलियार के ऑफिस की तरफ से किया गया था। हालांकि, उनके इस दावे को भारतीय विदेश मंत्रालय ने गलत जानकारी बता दिया है। जानकारी हो कि मुसलियार के कार्यालय ने कहा था कि, “निमिषा प्रिया की मौत की सजा को रद्द कर दिया गया है, जिसे पहले निलंबित कर दिया गया था.” मुसलियार के कार्यालय ने कहा, “इससे पहले यमन की राजधानी साना में एक उच्च-स्तरीय बैठक में फैसला लिया था, जिसमें निमिषा प्रिया की मौत को अस्थायी रूप से निलंबित किया गया था। हालांकि, अब एक नए फैसले में उसकी सजा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया गया है।”
16 जुलाई 2025 को प्रिया की फांसी तय थी, लेकिन इसके एक दिन पहले भारत के ग्रैंड मुफ्ती एपी अबुबकर मुसलियार ने यमन सरकार से व्यक्तिगत अनुरोध किया। इसके परिणामस्वरूप फांसी को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। इस बीच विदेश मंत्रालय ने बयान दिया कि ने जो भी सूत्र निमिषा प्रिया से जुड़े फांसी रद्द करने के मामले में साझा कर रहे हैं, वह गलत हैं।
नौकरी की तलाश में यमन गई थी निमिषा
2008 में केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया नौकरी की तलाश में यमन गई थीं। एक ईसाई परिवार से आने वाली निमिषा ने सना में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ क्लिनिक खोला। इसी दौरान महदी ने प्रिया को परेशान करना शुरू कर दिया। महदी ने खुद को सार्वजनिक रूप से उसका पति घोषित कर दिया। उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उसे यमन में रहने को मजबूर कर दिया। हालांकि, प्रिया भारत लौटना चाहती थीं, लेकिन बिना पासपोर्ट यह मुमकिन नहीं था। 2017 में स्थिति तब गंभीर हो गई जब उसने महदी को बेहोश कर अपना पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश की, लेकिन नशीली दवा की डोज ज्यादा होने से महदी की मौत हो गई और निमिषा पर हत्या करने का केस दर्ज हो गया।
कानूनी प्रक्रिया और मौत की सजा की पुष्टि
इसको लेकर 2018 में गिरफ्तारी के बाद निमिषा प्रिया पर मुकदमा चला और 2020 में यमन की अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई। दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी और जनवरी 2025 में हूती नेता महदी अल-मशात ने उसकी फांसी की सजा को औपचारिक मंजूरी दे दी। यह मामला तब अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आया जब विभिन्न मानवाधिकार संगठनों, भारतीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया ने इसके खिलाफ आवाज उठाई।