22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ दिल दहला देने वाला आतंकी हमला अब एक बड़ी साजिश के रूप में सामने आ रहा है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले की साजिश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने मिलकर रची थी। इन दोनों ने यह काम पाकिस्तान की सरकार और फौज के इशारों पर किया था। ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट बताती है कि यह हमला 2008 के मुंबई आतंकी हमले जैसा ही था यानी पूरी तैयारी, सोच-समझकर तय की गई रणनीति और निर्दोषों को निशाना बनाना। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसे एक ‘LeT-ISI प्रोजेक्ट’ के तौर पर देख रही हैं यानी एक ऐसी योजना जिसे बेहद गुप्त तरीके से और पूरी योजना बनाकर अंजाम दिया गया।
पहलगाम के बर्फीले मैदानों में बहा निर्दोषों का खून
यह हमला पहलगाम के प्रसिद्ध बैसारन घास के मैदानों में हुआ, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हमलावरों ने लोगों की धर्म पहचानने के बाद उन्हें गोली मारी, जो पूर्ववर्ती सांप्रदायिक आतंकी हमलों की भयावह यादें ताजा करता है। सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि इस हमले को अंजाम देने वाले सभी आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे। इस बार किसी भी कश्मीरी आतंकी को न योजना में शामिल किया गया और न ही उसे हमले में भागीदारी दी गई।
सूत्रों के अनुसार, केवल विदेशी आतंकियों का उपयोग करने का उद्देश्य गोपनीयता बनाए रखना और किसी भी जानकारी के लीक होने से बचना था। लश्कर कमांडर साजिद जट को ISI ने आदेश दिया था कि सिर्फ भरोसेमंद पाकिस्तानी आतंकियों को शामिल किया जाए और स्थानीय समर्थन केवल जरूरत की स्थिति में सीमित रूप से लिया जाए।
मुख्य मास्टरमाइंड: पाकिस्तान सेना का पूर्व कमांडो
इस हमले के पीछे मुख्य साजिशकर्ता की पहचान सुलेमान के रूप में हुई है, जो पाकिस्तान सेना की स्पेशल फोर्स का पूर्व कमांडो बताया गया है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, सुलेमान पहले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित मुरिदके में लश्कर के आतंकियों को ट्रेनिंग दे चुका है। बताया गया है कि सुलेमान 2022 में भारत में LOC पार करके घुसा था और करीब दो वर्षों तक छिपा रहा। सैटेलाइट फोन के डेटा से पता चला कि 15 अप्रैल को वह त्राल के जंगलों में मौजूद था, यानी हमले से एक हफ्ता पहले। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि उसने बैसारन स्थल का कई दिनों तक सर्वेक्षण किया था। सुलेमान का नाम इससे पहले अप्रैल 2023 में पूंछ में हुए आर्मी ट्रक एंबुश से भी जुड़ा रहा है, जिसमें 5 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
कौन थे अन्य हमलावर?
जहां सुलेमान की भूमिका की पुष्टि हो चुकी है, वहीं इस हमले में शामिल अन्य दो पाकिस्तानी आतंकियों के नाम अब तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं। पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस को शक था कि इनमें हाशिम मूसा और अली भाई शामिल हो सकते हैं लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। साथ ही, एक अन्य स्थानीय आतंकी आदिल हुसैन ठोकर के मददगार होने की अटकलें भी थीं लेकिन उसका कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आया है।
स्थानीय सहयोग: सीमित लेकिन मौजूद
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पहलगाम के दो स्थानीय निवासियों, परवेज अहमद जौथर और बशीर अहमद जौथर को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने आतंकियों को शरण, भोजन और लॉजिस्टिक मदद दी। हालांकि उनकी भूमिका बेहद सीमित और लेन-देन आधारित मानी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों व्यक्तियों ने यह दावा किया है कि वे आतंकियों की असली योजना से अनजान थे और केवल थोड़े पैसों के बदले मदद की।
भारत का कड़ा जवाब: ‘ऑपरेशन सिंदूर’
इस नरसंहार के जवाब में भारतीय सुरक्षा बलों ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर नाम से एक बड़ा जवाबी अभियान शुरू किया। चार दिनों तक चला यह हाई-इंटेंसिटी ऑपरेशन 10 मई को समाप्त हुआ। रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस अभियान में 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया गया। सूत्रों का कहना है कि इस ऑपरेशन में भारत ने सीमा पार भी स्ट्राइक की, जिसमें पाकिस्तान की आतंकी ढांचे, यहां तक कि कुछ एयरबेस भी निशाने पर आए, जहां आतंकियों को पनाह दी जा रही थी। भारत की यह तीव्र और सटीक कार्रवाई यह दिखाती है कि वह सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अब कोई नरमी नहीं बरतने वाला है।
दुनिया को झकझोर देने वाली साजिश
पहलगाम हमला पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की गहराई और उसके सैन्य-राजनीतिक नेटवर्क की पोल खोलता है। पाकिस्तान के पूर्व कमांडो, ISI की संलिप्तता और विदेशी आतंकियों का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि वहां आतंकवाद एक संगठित व्यवस्था बन चुका है। इस हमले की तुलना 26/11 मुंबई हमलों से की जा रही है। यह घटना क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरे की गंभीर चेतावनी है। जांच जारी है और अब भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की मांग कर रहा है।