ऐसा लगभग नहीं ही होता है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान से कांग्रेस के नेता खुश नज़र आएं। लेकिन मोहन भागवत के एक हालिया बयान के बाद कांग्रेस पार्टी में खुशी की लहर दौड़ी हुई है। दरअसल, भागवत ने नागपुर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि 75 वर्ष की आयु में सार्वजनिक जीवन से हट जाना चाहिए और नई पीढ़ी को अवसर देना चाहिए। कांग्रेस के नेताओं ने भागवत के इस बयान को हाथों-हाथ लिया और कांग्रेस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स से भी इस बयान को शेयर किया गया।
इस बयान को विपक्ष विशेषकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष कटाक्ष के रूप में देखा जो सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। कांग्रेस के लोग नरेंद्र मोदी को पद से हटने की मांग का झंडा बुलंद किए हुए हैं। हालांकि, इस बयान पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस अब अपनी ही संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की उम्र को लेकर सवालों के घेरे में है, जो 9 दिसंबर 2024 को 78 वर्ष की हो चुकी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
किसने क्या कहा?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, “बेचारे अवार्ड-जीवी प्रधानमंत्री! कैसी घर वापसी है ये- लौटते ही सरसंघचालक के द्वारा याद दिला दिया गया कि 17 सितंबर 2025 को वे 75 साल के हो जाएंगे।” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन प्रधानमंत्री सरसंघचालक से भी कह सकते हैं कि -वे भी तो 11 सितंबर 2025 को 75 के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!” वहीं, पवन खेड़ा ने कहा कि देश के अच्छे दिन आने वाले हैं, भागवत और मोदी जाने वाले हैं। साथ ही, उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि मोहन भागवत जी ने एक खुशखबरी दी है और 11 सितंबर को मोहन भागवत और 17 सितंबर को नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो रहे हैं। साथ ही, उन्होंने पीएम मोदी पर राजनीतिक हमले भी किए।
सब पर लागू होगी भागवत की सलाह!
अगर मोहन भागवत की इस सलाह को व्यापक संदर्भ में देखा जाए तो यह सिर्फ BJP ही नहीं बल्कि पूरे भारत के सभी राजनीतिक दलों पर लागू होती है। विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी, जहां दशकों से गांधी परिवार ही नेतृत्व में है। सोनिया गांधी, जो अब 78 वर्ष की हो चुकी हैं और स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से कई बार दूरी बना चुकी हैं, फिर भी कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष बनी हुई हैं। कई युवा कांग्रेस नेताओं ने वर्षों से पार्टी में ‘जनरेशन शिफ्ट’ की मांग की है लेकिन गांधी परिवार के प्रति निष्ठा के कारण खुलकर बोलने से कतराते रहे हैं। अब जब भाजपा और संघ परिवार की ओर से वरिष्ठ नेताओं को रिटायर होने की बात हो रही है, तो यह सवाल वाजिब है कि क्या कांग्रेस में भी अब यह बहस खुले तौर पर होगी?
राजनीति से विदा लेंगी सोनिया गांधी
कांग्रेस लंबे समय से युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने की बात करती रही है लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी का ढांचा अब भी वरिष्ठ और पुराने चेहरों के इर्द-गिर्द ही सिमटा हुआ है। राहुल गांधी को भले ही कांग्रेस का ‘युवा चेहरा’ बताया जाता रहा हो लेकिन वे भी अब 54 वर्ष के हो चुके हैं और एक दशक से अधिक समय से पार्टी के केंद्र में हैं। अगर मोहन भागवत की सलाह को कांग्रेस गंभीरता से लेती है, तो क्या यह समय नहीं है जब पार्टी गांधी परिवार से इतर किसी नए, युवा और स्वतंत्र नेतृत्व को मौका दे? क्या कांग्रेस के कार्यकर्ता अब खुलकर यह कहने की हिम्मत जुटाएंगे कि सोनिया गांधी को सम्मानपूर्वक सक्रिय राजनीति से विश्राम लेना चाहिए? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मोहन भागवत के बयान को लेकर भाजपा पर हमला करने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में नहीं झांकना चाहिए।