अमेरिका अगले दो हफ्तों में एक नया नियम लागू करने वाला है, जिसमें कुछ देशों के लोगों को टूरिस्ट (B-2) और बिजनेस (B-1) वीजा के लिए आवेदन करते समय $15,000 (लगभग 13 लाख रुपये) तक की जमानत राशि (बॉन्ड) जमा करनी होगी।
यह पैसा अमेरिका सरकार के पास सुरक्षा के तौर पर रखा जाएगा ताकि यह तय किया जा सके कि वीजा लेने वाला व्यक्ति तय समय तक ही अमेरिका में रुके। अगर कोई व्यक्ति उसके बाद भी अमेरिका में रहता है, तो सरकार यह पूरी राशि जब्त कर लेगी।
किन लोगों पर लग सकता है बॉन्ड का नियम
फेडरल रजिस्टर में प्रकाशित नोटिस के अनुसार, यह कार्यक्रम अमेरिकी दूतावासों को यह अधिकार देगा कि वे उन देशों के नागरिकों से बॉन्ड मांगें, जहाँ वीजा नियमों के उल्लंघन की दर अधिक है। यह नियम उन देशों पर भी लागू हो सकता है जहाँ वीज़ा देने से पहले लोगों की पूरी तरह जांच नहीं हो पाती, या जहाँ लोग सिर्फ पैसे देकर नागरिकता हासिल कर सकते हैं, बिना उस देश में रहे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध प्रवासियों पर नियंत्रण, सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और अवैध रूप से रहने वालों की गिरफ्तारी पर ज़ोर देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने हाल ही में 19 देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध भी लगाया था, जिसमें कुछ देशों को पूरी तरह और कुछ को आंशिक रूप से अमेरिका में प्रवेश से रोका गया है।
नया वीजा बॉन्ड कार्यक्रम 20 अगस्त से लागू होगा और यह लगभग एक साल तक चलेगा। इसमें कांसुलर अधिकारी वीजा आवेदकों से $5,000, $10,000 या $15,000 की राशि बॉन्ड के रूप में मांग सकते हैं। हालांकि सामान्यत: $10,000 की बॉन्ड राशि तय मानी जा रह रही है।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में नवंबर 2020 में भी एक ऐसा ही पायलट प्रोग्राम शुरू किया गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी और यात्रा में भारी कमी के कारण वह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया था।
किन लोगों पर इसका असर होगा
अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि यह नया नियम उन देशों के लिए होगा जहाँ के लोग वीज़ा खत्म होने के बाद भी ज्यादा संख्या में अमेरिका में रुक जाते हैं। यह 2023 की DHS रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है।
“कुछ मामलों में राजनीतिक कारणों से भी देशों को इस सूची में जोड़ा जा सकता है। हालांकि, अभी तक सरकार ने किसी देश का नाम साफ तौर पर नहीं बताया है। DHS और अमेरिकी सीमा सुरक्षा विभाग (CBP) के आंकड़ों के मुताबिक, चाड, इरिट्रिया, हैती, म्यांमार, यमन, बुरुंडी, जिबूती और टोगो जैसे देशों के कई लोग वीज़ा की अवधि खत्म होने के बाद भी अमेरिका में रुके रहते हैं, यानी ये देश वीज़ा ओवरस्टे के मामलों में ज़्यादा देखे गए हैं।
ट्रंप के वीज़ा प्रस्ताव से भारत को हो सकती हैं बड़ी दिक्कतें
अगर अमेरिका के नए वीज़ा बॉन्ड नियम में भारत को “हाई ओवरस्टे रेट” वाले देशों की सूची में शामिल किया जाता है, तो इसका असर लाखों भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा, खासकर उनपर जो B-1 (बिजनेस) और B-2 (पर्यटक) वीज़ा के तहत यात्रा करते हैं।
2023 में करीब 14 लाख भारतीयों ने अमेरिका के B-1 (बिजनेस) और B-2 (पर्यटक) वीज़ा के लिए आवेदन किया था। अगर यह नया नियम लागू होता है, तो हर ऐसे व्यक्ति को अमेरिका जाने से पहले लगभग $15,000 यानी करीब 13 लाख रुपये एक बॉन्ड के रूप में जमा करने होंगे। यह पैसा तभी वापस मिलेगा जब वीज़ा धारक तय समय पर अमेरिका से लौट आएगा। अगर वह तय समय से ज़्यादा रुका, तो सरकार यह पूरी रकम जब्त कर लेगी।
इससे मिडिल क्लास यात्रियों, छोटे कारोबारियों, छात्रों और निजी काम से अमेरिका जाने वालों के लिए यात्रा करना बहुत महंगा और मुश्किल हो जाएगा। यह सिर्फ टूरिज़्म और बिजनेस को ही नहीं, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक और पढ़ाई से जुड़ी गतिविधियों पर भी बुरा असर डाल सकता है।
यह कैसे काम करेगा?
वीज़ा बॉन्ड एक तरह की आर्थिक गारंटी है। अगर वीज़ा लेने के बाद समय पर अमेरिका छोड़ देता है, तो जमा की गई पूरी रकम वापस कर दी जाएगी लेकिन अगर वह वहां तय समय से ज्यादा रुकता है, तो सरकार वह पूरी राशि रख लेगी।
यह पायलट योजना सिर्फ B-1 (बिजनेस) और B-2 (पर्यटक) वीजा के लिए लागू होगी। साथ ही, जिन लोगों को बॉन्ड भरना होगा, उन्हें अमेरिका में आने और जाने के लिए सिर्फ तय किए गए हवाई अड्डों से ही सफर करना होगा।
विदेश विभाग का कहना है कि अभी ये बताना मुश्किल है कि इस नियम से कितने लोग प्रभावित होंगे, क्योंकि आगे चलकर इसमें देशों और नियमों की सूची में बदलाव हो सकता है।
ट्रंप प्रशासन का क्या कहना है?
विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह पायलट प्रोग्राम ट्रंप प्रशासन की उस नीति का हिस्सा है जिसका मकसद इमिग्रेशन नियमों को सख्ती से लागू करना और देश की सुरक्षा को मजबूत करना है। सरकारी नोटिस में भी यह साफ किया गया है कि यह योजना अमेरिका को वीज़ा ओवरस्टे से जुड़े संभावित सुरक्षा खतरों से बचाने के लिए विदेश नीति का एक अहम हिस्सा मानी जा रही है।