दिल्ली के नंद नगरी इलाके में एक सरकारी स्कूल के खेल मैदान में एक अवैध मजार रातों-रात बना दी गई, जिससे इलाके में हंगामा मच गया है। यह मजार B4 नंद नगरी के नगर निगम प्राथमिक विद्यालय के अंदर बनी है, जहां बच्चे खेलते थे। इस मजार को ‘झोड़ वाले पीर बाबा’ कहा जा रहा है। यह ढांचा किसी भी सरकारी मंजूरी या नक्शे में शामिल नहीं था, लेकिन अब यह बच्चों के खेलने की जगह पर कब्ज़ा करके खड़ा किया गया।
यह मामला तब सामने आया जब इस अवैध मजार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में कुछ मुस्लिम पुरुष और महिलाएं मजार के पास जमा दिखे। इसके बाद लोगों में गुस्सा फैल गया, चाहे वह इलाके के लोग हों या सोशल मीडिया पर मौजूद लोग। लोगों ने दिल्ली नगर निगम (MCD) पर आरोप लगाए कि उन्होंने लापरवाही की है और यह भी शक जताया गया कि शायद इस अवैध निर्माण में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।
NHRC सदस्य प्रियंक कानूंगो ने लिया संज्ञान
इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियंक कानूंगो ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा, “यह गलत है। इस संबंध में सारी जानकारी हमें ईमेल करें, हम इसे हटवाने की कार्रवाई करेंगे।”
कानूंगो ने साफ कहा कि स्कूल की ज़मीन पर इस तरह से अवैध मजार बनाना बच्चों के मूल अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। उनकी बातों से यह मामला सिर्फ एक इलाके तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह एक देशभर का बड़ा मुद्दा बन गया है।
सोशल मीडिया पर फूटा जनता का गुस्सा
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भारी विरोध देखने को मिला। यूज़र्स ने MCD पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्कूल की ज़मीन और बच्चों की सुरक्षा को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफलता दिखाई है।
एक यूज़र राज राजपूत ने लिखा- “यह सब MCD की लापरवाही का नतीजा है। जो अधिकारी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
एक अन्य यूज़र ने कहा- “स्कूल की प्रिंसिपल को निलंबित किया जाए और इस मजार को तुरंत हटाया जाए।”
धार्मिक अतिक्रमण पर चिंता
इस घटना के बाद लोगों ने चिंता जताई है कि सरकारी स्कूलों और सरकारी जमीन पर धर्म से जुड़े ढांचे बनाए जा रहे हैं, और सरकार या प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा है।वायरल वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाया- “अब तक कोई भी नगर निगम का अधिकारी स्कूल नहीं पहुंचा है। क्या इन बच्चों के कोई अधिकार नहीं हैं? ये लोग स्कूल में घुसकर ये सब कैसे कर सकते हैं?”
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक गैरकानूनी निर्माण का नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि प्रशासन कुछ नहीं कर रहा और लोगों के अधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है। बच्चों के खेलने की जगह पर कब्जा करना सिर्फ जमीन का मामला नहीं, बल्कि उनके सीखने और बढ़ने के हक पर हमला है। इसने ये बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब स्कूलों की जमीन भी सुरक्षित नहीं रही? और क्या प्रशासन जानबूझकर सब कुछ देखकर भी चुप बैठा है?