2009 में भारत और अमेरिका के बीच हुए एक व्यापार समझौते को लेकर एक बार फिर राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने उस समय की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने देश के हितों से समझौता किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर कहा कि यह समझौता अमेरिकी व्यापारिक मांगों को पूरा करने के लिए किया गया था, जिससे भारतीय किसानों और छोटे कारोबारियों की आजीविका खतरे में पड़ गई थी।
डिप्लोमैटिक केबल में सामने आए अमेरिका के व्यापारिक मुद्दे
यह विवाद तब शुरू हुआ जब निशिकांत दुबे ने एक गोपनीय राजनयिक दस्तावेज़ (डिप्लोमैटिक केबल) का हिस्सा साझा किया। इसमें अमेरिका ने भारत के साथ व्यापार बातचीत के दौरान अपनी कुछ चिंताएं जताई थीं। उस समय भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा बातचीत कर रहे थे। यह दस्तावेज़ ‘SBU’ (संवेदनशील लेकिन गैर-श्रेणीबद्ध) श्रेणी में रखा गया था, जिसमें अमेरिका की शिकायतें दर्ज थीं, जैसे कि भारतीय बाजार तक पहुंच में मुश्किलें और नियमों को लेकर पारदर्शिता की कमी।
अमेरिका की चिंताएं: बाजार अवरोध और स्वास्थ्य संबंधी डेटा
केबल में यह भी बताया गया कि अमेरिका भारत से नाराज़ था क्योंकि उसने डेयरी प्रमाणन से जुड़ी अमेरिकी मांगों पर देर से जवाब दिया और अमेरिकी पोर्क, पोल्ट्री और पालतू जानवरों के खाने पर प्रतिबंध लगाए। इसके अलावा, अमेरिका ने यह भी कहा कि भारत ने पक्षियों के फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा) से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी ठीक से साझा नहीं की।
इस स्थिति को सुधारने के लिए भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने 19 या 20 नवंबर 2009 को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों के साथ डिजिटल वीडियो कॉन्फ्रेंस (DVC) करने पर सहमति दी थी।
दुबे का कांग्रेस पर हमला और मोदी सरकार की नीति का समर्थन
इस खुलासे पर प्रतिक्रिया देते हुए निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि उसने भारत के कृषि और उद्योग से जुड़े हितों को नज़रअंदाज़ किया। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने किसानों, डेयरी कारोबारियों, पोल्ट्री उद्योग और छोटे व्यवसायों की परवाह किए बिना अमेरिका के हितों को तरजीह दी।
अपने X पोस्ट में दुबे ने एक मशहूर हिंदी कहावत का ज़िक्र किया “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” ताकि यह दिखाया जा सके कि कांग्रेस अब जो व्यापार नीतियों की आलोचना कर रही है, उसका खुद का रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा। दुबे ने मोदी सरकार की नीति से इसकी तुलना करते हुए कहा कि आज अगर अमेरिका से कोई समझौता होता है, तो वह केवल भारत की शर्तों पर होगा और उसमें राष्ट्रीय हित सबसे पहले रखे जाएंगे।
इस पोस्ट ने ऑनलाइन और राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है, क्योंकि भारत-अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं कृषि, स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों और डिजिटल कॉमर्स जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर अभी भी जारी हैं।