भारत अपनी अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को गति दे रहा है। ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मानव अंतरिक्ष उड़ान और अंतरग्रहीय अनुसंधान में नया अध्याय शुरू किया है। 31 जुलाई को, इसरो ने लद्दाख के त्सो कार के मंगल जैसे कठोर भूभाग में अपने पहले हाई एल्टीट्यूड एनालॉग मिशन, होप की औपचारिक शुरुआत की। यह समुद्र तल से 4,530 मीटर ऊपर स्थित एक ऐसा क्षेत्र है, जो जलवायु और भूभाग में लाल ग्रह जैसा दिखता है।
मंगल सिमुलेशन अभ्यास है HOPE
1 से 10 अगस्त तक चलने वाला यह 10 दिवसीय मिशन रोवर भेजने या उपग्रहों को तैनात करने के बारे में नहीं है। यह एक मानव-केंद्रित प्रयोग है, एक ऐसा अभ्यास जिसे मंगल मिशन पर अंतरिक्ष यात्रियों के सामने आने वाली शारीरिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों को दोहराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्रयास का मकसद ऑपरेशन संबंधी तैयारियां, लाइफ सपोर्ट तकनीकों को जांचना और मिशन प्रोटोकॉल का परीक्षण करना है। इस मिशन का उद्घाटन इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी नारायणन ने किया। एजेंसी ने बताया, “HOPE एक मंगल सिमुलेशन अभ्यास है,” और पृथ्वी पर प्रतिकूल लेकिन नियंत्रित वातावरण के संपर्क में आकर अंतरिक्ष में लंबे समय तक मानव उपस्थिति के लिए तैयारी करने के अपने लक्ष्य पर ज़ोर दिया।
लद्दाख का ही क्यों किया गया चयन?
जानकारी हो कि लद्दाख का त्सो कार नामक स्थान सुदूर तो है ही, अलौकिक भी है। कम ऑक्सीजन, अत्यंत शुष्क हवा और अप्रत्याशित तापमान के साथ लद्दाख का यह उच्च-ऊंचाई वाला बेसिन किसी भी प्रयोगशाला की तुलना में मंगल ग्रह की कठोर परिस्थितियों को अधिक बारीकी से दर्शाता है। यही कारण है कि नासा और ईएसए जैसी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां भी इसी तरह के अनुरूप वातावरण में प्रशिक्षण लेती हैं।
‘HOPE’ के दौरान क्या होगा ?
इस मिशन में कई प्रमुख गतिविधियां शामिल होंगी, जिनमें से प्रत्येक पर इसरो के वैज्ञानिक और मिशन योजनाकार बारीकी से नज़र रखेंगे।
शारीरिक अध्ययन: कम ऑक्सीजन, उच्च-ऊंचाई वाली परिस्थितियों में चालक दल की शारीरिक प्रतिक्रिया को वास्तविक समय में मापा जाएगा।
मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन: तनाव के स्तर, टीमवर्क की दक्षता और सीमित परिस्थितियों में संज्ञानात्मक निर्णय लेने की क्षमता का विश्लेषण किया जाएगा।
तकनीकी परीक्षण: अंतरिक्ष सूट से लेकर जैव-चिकित्सा उपकरणों तक, उन्नत उपकरणों का मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों में क्षेत्रीय परीक्षण किया जाएगा।
आपातकालीन अभ्यास: संभावित संकटों के लिए प्रतिक्रिया प्रणालियां और प्रोटोकॉल सक्रिय किए जाएंगे, जो मंगल ग्रह पर वास्तविक जीवन की जरूरतों अध्ययन करेंगे।