‘विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस’ 2025: भारत में कई ‘मिनी पकिस्तान’ पैदा हो चुके हैं”?

क्या देश इस बात को नकार सकता है कि आये दिन देश में हथियारों के बड़े बड़े जखीरे पकड़े जाते हैं और अपराधी इस्लामवादी होते हैं? आखिर इतने सारे हथियार इकट्ठे किये क्यों जा रहे हैं? बंगाल में तो हर तीसरे दिन किसी न किसी के घर में बम फूटने के समाचार सुनने को मिलते हैं। क्या ये सब कहीं पुराने जिन्ना के 'डायरेक्ट एक्शन' के लिए आधुनिक जिन्नाओं की तैयारी तो नहीं हैं?

'विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस' 2025

वर्ष 2021 में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त को ‘विभाजन की विभीषका स्मृति दिवस’ (Partition Horrors Remembrance Day) के रूप में मनाने का आह्वान किया था। 14 अगस्त 1947 को इस्लाम के कारण भारत के टुकड़े किये गए थे। देश का यह विभाजन हिन्दुओं की मांग नहीं थी, बल्कि मुस्लिमों की मांग थी। और यह विभाजन चुपचाप शांतिपूर्ण ढंग से नहीं हुआ था। भारत विभाजन के समय इस्लामवादियों के कुकृत्यों के किस्से हम आये दिन सुनते रहते हैं। 14 अगस्त को ‘अखंड भारत संकल्प दिवस‘ के रूप में भी मनाया जाता है। आजकल तिरंगा यात्राएँ अथवा रैलियाँ भी निकल रही हैं और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत घर घर तिरंगा भी फहराया जा रहा है।

15 अगस्त 1947 से पहले 15 दिन देश में क्या हुआ था यह सटीक जानकारी लेने के लिए सुप्रसिद्ध लेखक प्रशांत पोल की पुस्तक वे पंद्रह दिन जरूर पढ़ना चाहिए। ये वो दिन हैं जब देश को स्वतंत्रता दिलाने की बात करने वाली कांग्रेस के नेता पहले ही अपना बोरिया बिस्तर बांधकर दिल्ली भाग गए थे। विभाजन की विभीषका के समय केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके स्वयंसेवक अंतिम क्षण तक डटे रहे थे। कांग्रेस के लोग चाहे जितना मर्जी मुँह चला लें, लेकिन ये सत्य है कि भारत विभाजन के समय केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मैदान में डटा हुआ था। प्रमाण के लिए ए. एन. बाली ली पुस्तक नाउ इट कैन बी टोल्ड‘ पढ़नी चाहिए।

भारत का विभाजन मुस्लिम लीग और जिन्ना की कट्टरपंथी सोच और उद्देश्य का परिणाम था। जिसके आगे कांग्रेस, गाँधी, नेहरू सभी ने घुटने टेके थे। भारत विभाजन की विभीषिका पर बहुत कुछ लिखा और बोला गया है और लिखा तथा बोला जा सकता है। लेकिन मेरा यह आलेख भविष्य में फिर से ‘दूसरा विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस’ न मनाना पड़े इस ओर संकेत करने पर आधारित है। आईये कुछ बिन्दुओं पर नजर डालें:

‘विभाजन की विभीषिका दिवस’ मनाने का अर्थ जो मुझे समझ आता है वह यह है कि देश और खासकर हिन्दू समाज उस भयानक दृश्य को याद करे जो 14 अगस्त 1947 को घटित हुआ था। देश और हिन्दू समाज याद करे, “विभाजन की उस असहनीय पीड़ा को, देश और हिन्दू समाज याद करे उन लगभग डेढ करोड़ से ज्यादा भारतीयों को जिन्होंने इस पीड़ा को झेला था। देश और हिन्दू समाज याद करे उन लगभग लाखों हिन्दुओं को जो इस विभाजन के कारण असमय और अकारण मारे गए थे और जिनकी आत्मायें आज तक बिना श्राद्ध तर्पण के भटक रही हैं।  देश और हिन्दू समाज याद करें उन लाखों माता–बहनों को जिनकी गरिमा के साथ खिलवाड़ हुआ था।  देश और हिन्दू समाज याद करे उन लाखों हिन्दुओं को जिनके घर – बार, आशियाने उजाड़ दिए गए थे, जिनको सब छोड़कर भागना पड़ा था। 

ऐसे अनेक विकराल प्रश्न आज देश के सामने खड़े हैं जिनका उत्तर बिजली की गति से ढूँढना होगा। नहीं तो भारत में ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ पुलिस और प्रशासन भी जाने की हिम्मत नहीं करता और इस बात को भी देश नकार नहीं सकता। भविष्य में भारत का विभाजन फिर से न हो यह संकल्प लेने और सतर्क रखकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने का संकल्प लेने का दिवस है ’14 अगस्त’  अर्थात ‘विभाजन की विभीषिका दिवस’ अर्थात् ‘अखंड भारत संकल्प दिवस’।

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