2 अगस्त को प्रकाशित एक लेख में रॉयटर्स ने फिर दिखा दिया कि वह अब सही पत्रकारिता नहीं कर रहा है, बल्कि गलत जानकारी फैलाने वाला माध्यम बन गया है। इस बार रॉयटर्स ने बिना किसी ठोस सबूत के दावा किया कि पाकिस्तान के पास मौजूद चीनी बनाये गए J-10C फाइटर जेट्स ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय राफेल विमान गिराए। यह लेख शिवम पटेल और सईद शाह ने मिलकर लिखा था।
शिवम पटेल पहले भी झूठे दावे कर चुके हैं कि भारत ने पाक कश्मीर पर हमला किया था, जबकि सईद शाह को पाकिस्तान का समर्थन करने वाला प्रचारक माना जाता है जो पत्रकारिता का दिखावा करके अपना एजेंडा चलाते हैं। यह रिपोर्ट सिर्फ गलत पत्रकारिता नहीं है, बल्कि भारत की साख खराब करने, पाकिस्तानी सैन्य दावों को बढ़ावा देने और चीन के हथियारों को गलत तरीके से बेहतर दिखाने की योजना है।
पाकिस्तानी कल्पनाओं को समाचार के रूप में दिखाना
2 अगस्त की रिपोर्ट में बिना किसी हिचक के कहा गया कि पाकिस्तान ने चीनी PL-15 मिसाइलों की मदद से भारतीय फाइटर जेट्स को मार गिराया। इस पूरी बात को केवल गुमनाम अधिकारियों के हवाले से पाकिस्तानी पक्ष की नजर से बताया गया। न तो भारतीय अधिकारियों ने इसे सही माना, न पाकिस्तान ने कोई सबूत दिया, और न ही कोई चश्मदीद गवाह सामने आया। फिर भी रॉयटर्स ने ऐसा “एक्सक्लूसिव” रिपोर्ट छापी जो एक चीनी हथियार कंपनी के विज्ञापन जैसी लगती है।
इस रिपोर्ट में भारतीय पक्ष की कोई बात शामिल नहीं थी। न वायुसेना का बयान था, न कोई भारतीय रक्षा विशेषज्ञ की राय, न कोई आधिकारिक दस्तावेज सिर्फ पाकिस्तानी दावों और अनजाने स्रोतों पर आधारित एकतरफा कहानी थी।
औपनिवेशिक सोच और भारत विरोधी पूर्वाग्रह
रॉयटर्स, जो एक ब्रिटिश न्यूज एजेंसी है और लंदन से काम करती है, लंबे समय से भारत को पुराने औपनिवेशिक नजरिए से देखती रही है। जबकि भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 2025 तक चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है, रॉयटर्स की रिपोर्टिंग अक्सर भारत को कमजोर, अस्थिर या क्षेत्रीय ताकत के रूप में दिखाने की कोशिश करती है। उनकी खबरों में अक्सर एकतरफा जानकारी, भेदभाव वाले शीर्षक और पक्षपात नजर आता है।
कश्मीर में ऑपरेशन महादेव के दौरान, जब भारतीय सुरक्षा बलों ने पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या करने वाले तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया, तो रॉयटर्स ने उन्हें केवल “पुरुष” (men) कहकर बताया। इससे ऐसा लगा जैसे आतंकियों को श्रद्धांजलि दी जा रही हो, न कि आतंकवाद के खिलाफ की गई कार्रवाई की खबर दी जा रही हो। जनता के विरोध के बाद रॉयटर्स ने बिना माफी या सफाई दिए बस शीर्षक बदल दिया।
यह एक अकेला मामला नहीं है। रॉयटर्स लगातार जम्मू-कश्मीर को “भारतीय-शासित कश्मीर” कहता है, जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से को सिर्फ “पाकिस्तानी कश्मीर” बताता है, जो बिल्कुल पाकिस्तान सरकार की भाषा की तरह है।
भारत की रणनीतिक योजनाओं और संकटों को लेकर झूठी रिपोर्टिंग
भारत की सुरक्षा ऑपरेशन्स और राष्ट्रीय आपदाओं पर रॉयटर्स का नजरिया हमेशा पक्षपातपूर्ण रहा है। 2025 में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया हादसे के बाद, जब जांच रिपोर्ट भी नहीं आई थी, रॉयटर्स ने पहले ही भारतीय पायलटों को जिम्मेदार ठहरा दिया। उनकी खबरों में इसे सिर्फ मानव गलती बताया गया और बोइंग जैसी कंपनियों की जिम्मेदारी पर ध्यान नहीं दिया गया, जिन पर पहले भी सुरक्षा संबंधी सवाल उठे हैं।
जब विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट दी, तब भी रॉयटर्स ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर केवल भारतीय क्रू को दोषी बताया और तकनीकी खराबी या निर्माण दोष का जिक्र नहीं किया।
ऐसा ही रवैया रॉयटर्स ने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव जैसे गुप्त अभियानों में भी दिखाया। रॉयटर्स लगातार चीन और पाकिस्तान को बढ़ावा देता है और भारत की ताकत को कम आंकता है। पाकिस्तान की सैन्य “सफलताओं” की तारीफ करनी हो या चीनी हथियारों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना हो, रॉयटर्स का नजरिया सच्चाई से बहुत दूर है।
भारत की आर्थिक नीतियों को लेकर भी फैलाया भ्रम
रॉयटर्स ने भारत की ऊर्जा नीति पर भी सवाल उठाने की कोशिश की है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि अमेरिका के दबाव में आकर भारत ने रूस से तेल खरीद घटा दी। रिपोर्ट में “सूत्रों” का हवाला दिया गया, लेकिन यह नहीं बताया गया कि वे कौन हैं या क्या भूमिका रखते हैं। इस दावे को भारत सरकार ने तुरंत खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि तेल कंपनियों को ऐसी कोई हिदायत नहीं दी गई।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा कि भारत की ऊर्जा नीति पूरी तरह स्वतंत्र है। लेकिन रॉयटर्स ने फिर भी यह दिखाने की कोशिश की कि भारत पश्चिमी दबाव में झुक रहा है, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचे।
अब रॉयटर्स पत्रकार नहीं, प्रचारक बन चुका है
रॉयटर्स की 2 अगस्त की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने चीनी PL-15 मिसाइलों की मदद से भारतीय राफेल विमानों को मार गिराया। हालांकि, इस रिपोर्ट में तथ्यों की पुष्टि करने वाले ठोस सबूत जैसे मलबे की तस्वीरें या पायलटों की रिपोर्टें शामिल नहीं थीं, और भारतीय अधिकारियों ने इस दावे को खारिज किया। विश्लेषकों का मानना है कि यह रिपोर्ट एकतरफा और पक्षपाती थी, जो बिना ठोस प्रमाण के एक विशेष नरेटिव को बढ़ावा देती है ।
रॉयटर्स की इस रिपोर्टिंग से यह स्पष्ट होता है कि वह अब केवल एक समाचार एजेंसी नहीं रह गई है, बल्कि एक प्रचार मंच बन गई है जो चीनी हथियारों का प्रचार करती है और पाकिस्तानी सैन्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है। यह रवैया भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने और पश्चिमी देशों के हथियारों के खिलाफ चीनी उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।
भारत अब एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बन चुका है, लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्टिंग में अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता और पक्षपाती दृष्टिकोण स्पष्ट दिखाई देता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि भारत के नागरिक, अधिकारी और मीडिया संस्थाएं इस तरह की रिपोर्टिंग को चुनौती दें और सच्चाई को सामने लाएं, ताकि भारत की ताकत, सच्चाई और संप्रभुता को सही तरीके से प्रस्तुत किया जा सके।