कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल में जो दृश्य सामने आया, वह केवल एक सांस्कृतिक घटना नहीं थी, बल्कि हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रति राजनीतिक छल का प्रतीक था। तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा द्वारा “मेरे दिल में काबा है और मेरी आँखों में मदीना है” गाने का वीडियो सामने आया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ताली बजाते देखा गया। यह सिर्फ एक गीत नहीं था, यह नवरात्रि के पावन अवसर पर हिंदू श्रद्धा के बीच की गई राजनीतिक चुनौती थी।
वैसे देखा जाए तो ममता बनर्जी की राजनीति हमेशा धर्मनिरपेक्षता के नारे के पीछे छुपी हुई रही है। उन्होंने हिंदू प्रतीकों और पर्वों को वोट बैंक और सत्ता की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किया है। राम मंदिर विवाद में उनकी दूरदर्शिता स्पष्ट नहीं हुई, न ही नवरात्रि जैसे पावन पर्व में उनके निर्णय भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए आए। दुर्गा पूजा के समय यह दृश्य केवल एक संयोग नहीं था, यह उनकी रणनीति का हिस्सा है, जिसने हिंदू श्रद्धा और आस्था के बीच दरार डालने का काम किया।
भाजपा और हिंदू समाज इस मुद्दे को केवल एक विवाद के रूप में नहीं देख सकते। नवरात्रि के पावन पर्व में हिंदू शक्ति और संस्कृति पर यह हमला साफ़ संकेत देता है कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी अपने वोट बैंक और राजनीतिक स्वार्थ के लिए धर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं। मदन मित्रा का यह गीत और ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया, यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि उनके लिए हिंदू धर्म केवल राजनीति का साधन है।
बंगाल का इतिहास इस बात का गवाह है कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने हमेशा धर्म और संस्कृति को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया। धार्मिक आयोजनों और समारोहों में भाग लेने के पीछे केवल वोट बैंक की रणनीति छुपी रहती है। उन्होंने हिंदू आस्था के प्रतीकों को कभी सम्मान नहीं दिया, बल्कि उनकी राजनीति के लिए टूल के रूप में इस्तेमाल किया। यही वजह है कि दुर्गा पूजा के पावन अवसर में इस तरह के गीत और उनकी प्रतिक्रिया स्पष्ट राजनीतिक संदेश हैं।
ममता बनर्जी की छद्म धर्मनिरपेक्षता
ममता बनर्जी की छद्म धर्मनिरपेक्षता पर भी ध्यान देना जरूरी है। उनका हर कदम हिंदू शक्ति के प्रति संदिग्ध है। बंगाल में तुष्टिकरण की नीति लगातार दिखाई देती है। अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति उनकी अपारदर्शी प्राथमिकता, हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रतीकों के साथ उनके खेल और राजनीति का एक पैटर्न बन चुकी है। यही वजह है कि दुर्गा पूजा पंडाल में मदन मित्रा का गीत और ममता की प्रतिक्रिया सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक रणनीति है।
हिंदू धर्म केवल पूजा-पाठ का नाम नहीं है। यह शक्ति, संस्कृति और भारतीय सभ्यता का आधार है। जब नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना के बीच इस तरह का दृश्य सामने आता है, तो यह स्पष्ट करता है कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी हिंदू आस्था के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। यह केवल वोट बैंक की राजनीति नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति पर हमला है।
भाजपा सांसदों और अन्य राष्ट्रवादी नेताओं ने इस मामले पर सीधे सवाल उठाए हैं। यह केवल एक वीडियो या व्यक्तिगत घटना नहीं है। यह हिंदू धर्म की शक्ति और आस्था पर राजनीति के हमले का प्रतीक है। ममता बनर्जी का ताली बजाना और सहयोग करना साफ़ संदेश देता है कि उनके लिए जनता की आस्था और संस्कृति का सम्मान नहीं, केवल राजनीतिक लाभ सर्वोपरि है।
देशवासियों के लिए चेतावनी
देश के नागरिकों के लिए यह चेतावनी है कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदू शक्ति और आस्था को नजरअंदाज करना, और उसे राजनीति के खेल में फंसाना अब सहन नहीं किया जाएगा। जनता को यह समझना होगा कि कौन नेता आस्था का अपमान कर रहे हैं और कौन वास्तव में भारतीय संस्कृति और शक्ति का सम्मान करता है। ममता बनर्जी और उनके सहयोगियों का यह प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि उनके लिए राजनीति सर्वोपरि है, श्रद्धा और आस्था केवल औपनिवेशिक छद्मवेश हैं।
आज यह घटना केवल बंगाल तक सीमित नहीं है। यह पूरे भारत के लिए संदेश है कि धार्मिक आस्था, शक्ति और संस्कृति की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है। नेताओं के व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थ के लिए हिंदू श्रद्धा का अपमान अब सहन नहीं किया जाएगा।
ममता बनर्जी की राजनीति अब स्पष्ट रूप से उजागर हो चुकी है। उनका छद्म धर्मनिरपेक्ष चेहरा और हिंदू प्रतीकों का राजनीतिक उपयोग केवल सत्ता और वोट बैंक के लिए किया जाता है। दुर्गा पूजा के पावन अवसर में यह दृश्य जनता के सामने उनके वास्तविक चरित्र को उजागर कर रहा है। हिंदू शक्ति, संस्कृति और आस्था के लिए जागरूक होना आज हर भारतीय का कर्तव्य है।