छठ पूजा को UNESCO में शामिल करने की पहल: बिहार की सांस्कृतिक शक्ति का विश्व मंच पर परचम

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ऐलान किया कि सरकार छठ पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।

छठ पूजा को UNESCO में शामिल करने की पहल: बिहार की सांस्कृतिक शक्ति का विश्व मंच पर परचम

छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है।

भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता सदियों से दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है। इन अनगिनत परंपराओं में से एक अत्यंत पवित्र और अनोखी परंपरा है – छठ पूजा। सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन और प्रकृति के संतुलन, सामूहिकता और पारंपरिक मूल्यों का अद्वितीय उदाहरण भी है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ऐलान किया कि सरकार छठ पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। यह कदम बिहार और भारत के लिए सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है और इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।

छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है। यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कई हिस्सों में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। सूर्यास्त और सूर्योदय के समय भक्तगण कठोर उपवास, अर्चना और नदी या तालाब के किनारे विशेष पूजा करते हैं। यह न केवल भक्ति का अनुभव है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता, अनुशासन, सामूहिकता और सामाजिक समरसता का भी संदेश देता है। प्रत्येक घर, प्रत्येक घाट और प्रत्येक सामुदायिक समारोह में यह श्रद्धा और उत्साह की अद्भुत झलक देखने को मिलती है।

क्या कहा पीएम मोदी ने

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने उदाहरण के तौर पर कोलकाता के दुर्गा पूजा का हवाला दिया, जिसे 2021 में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया गया ​है। उनका कहना था कि छठ पूजा को भी वैश्विक पहचान मिल सकती है, तो दुनिया भर के लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे। यह केवल भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को नहीं बढ़ाएगा, बल्कि बिहार और पूर्वी भारत के लाखों लोगों की आस्था और परंपराओं को सम्मान और वैश्विक स्तर की मान्यता भी देगा।

यह घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले की गई है, इसलिए इसका राजनीतिक आयाम भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, यह स्पष्ट है कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारत और विशेषकर बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना है। बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इसे महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि यह बिहारवासियों के दिलों को छूने वाली पहल है। यह केवल सम्मान का विषय नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक शक्ति को दुनिया के सामने पेश करने का अवसर भी है।

छठ पूजा की वैश्विक पहचान से न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक विविधता और गौरव को नई दिशा मिलेगी। विदेशों में रहने वाले भारतीय और अन्य देश के लोग भी इस पर्व की पवित्रता, अनुशासन और भव्यता का अनुभव कर सकेंगे। यह भारत की संस्कृति और आस्था की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक बनेगा।

हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह घोषणा बिहार के मतदाताओं को आकर्षित करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम भी हो सकती है। बावजूद इसके, छठ पूजा का महत्व और उसका यूनेस्को में शामिल होना इसके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को किसी भी राजनीतिक रणनीति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। यह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी न केवल बिहारवासियों के सांस्कृतिक गौरव को पहचान देने के लिए गंभीर हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और उसकी वैश्विक छवि को मजबूत करने के लिए भी प्रयासरत हैं।

छठ पूजा के यूनेस्को में शामिल होने से यह संदेश भी जाता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और उनके वैश्विक स्तर पर सम्मान के लिए संकल्पित है। यह कदम न केवल धर्म और संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक ताकत और एकता का प्रदर्शन भी है। यह पर्व अपनी भव्यता, अनुशासन और सामूहिकता के माध्यम से पूरे विश्व को यह बताता है कि भारतीय संस्कृति न केवल प्राचीन और समृद्ध है, बल्कि आधुनिक वैश्विक समाज में भी उसकी अहमियत बरकरार है।

प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल भारतीय संस्कृति, परंपरा और आस्था के संरक्षण का बड़ा उदाहरण है। उनका यह कदम दिखाता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूक है और इसे विश्व मंच पर पहचान दिलाने के लिए न केवल सक्षम, बल्कि सक्रिय भी है। छठ पूजा का वैश्विक स्तर पर सम्मान न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय होगा। यह वैश्विक पहचान भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक ताकत को उजागर करेगी और भारतीय जनता के भीतर अपनी संस्कृति और परंपरा के प्रति गर्व और आत्मविश्वास बढ़ाएगी।

इस पहल के माध्यम से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को चुनावी राजनीति से कहीं अधिक ऊपर रखा है। छठ पूजा जैसी अनूठी और दिव्य परंपरा का संरक्षण और उसे वैश्विक पहचान दिलाना, केवल सम्मान का विषय नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति, एकता और गौरव का प्रतीक है।

छठ पूजा के यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होने की पहल केवल बिहार के सांस्कृतिक गौरव की रक्षा का संदेश नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत की सांस्कृतिक विविधता और शक्ति को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का अवसर है। यह पहल भारतीय संस्कृति और आस्था के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी, जनता में गर्व और आत्मविश्वास जगाएगी और भारत की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगी। यह कदम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है और उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

Exit mobile version