लखनऊ में आयोजित विकसित उत्तर प्रदेश विजन @2047 के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली में हुए बवाल को लेकर बड़ा बयान दिया। सीएम योगी ने कहा कि कल बरेली में एक मौलाना भूल गया कि राज्य में सत्ता किसकी है। उसे लगा कि वो जब चाहे व्यवस्था को रोक सकता है, लेकिन हमने साफ कर दिया है कि न तो नाकाबंदी होगी और न ही कर्फ्यू लगाया जाएगा। लेकिन हमने जो सबक सिखाया है, उससे आने वाली पीढ़ियां दंगे करने से पहले सौ बार सोचेंगी। उन्होंने सवाल उठाया कि सत्ता को रोकने का ये कैसा तरीका है? सीएम योगी ने कहा कि साल 2017 से पहले यूपी में यही चलन था, लेकिन 2017 के बाद हमने कर्फ्यू तक नहीं लगने दिया। उत्तर प्रदेश के विकास की कहानी यहीं से शुरू होती है।
असल में, शुक्रवार को मौलाना तौकीर रज़ा की अपील पर ही भीड़ सड़क पर उतरी थी। पुलिस ने रोका तो उपद्रवियों ने पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने सख़्ती दिखाई और दौड़ा-दौड़ाकर हालात काबू में किए। उधर, राजधानी लखनऊ की सड़कों पर नए होर्डिंग लगवाए गए हैं, जिन पर लिखा है “आई लव श्री योगी आदित्यनाथ जी” और “आई लव बुलडोज़र।” वहीं, बाराबंकी में देर रात ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टर फाड़े जाने पर तनाव बढ़ा, लेकिन पुलिस की भारी तैनाती के बाद हालात नियंत्रण में आ गए।
कैसे शुरू हुआ ‘आई लव मोहम्मद’ का बवाल
‘आई लव मोहम्मद’ का विवाद अब सिर्फ़ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देश के कई राज्यों में तूल पकड़ चुका है। उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र तक में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर उतरकर हाथों में ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के भी कई शहरों उन्नाव, बरेली, कौशांबी, लखनऊ और महाराजगंज में इसको लेकर विरोध और प्रदर्शन देखने को मिले हैं।
दरअसल, यह पूरा विवाद 4 सितंबर को कानपुर के रावतपुर से शुरू हुआ। मौके पर बारावफात यानी ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक बड़ा बैनर लगाया, जिस पर लिखा था ‘आई लव मोहम्मद’। हिंदू संगठनों ने इसका खुलकर विरोध किया और साफ़ कहा कि धार्मिक जुलूस में इस तरह की नई परंपरा शुरू नहीं की जा सकती।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस तुरंत हरकत में आई। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सरकारी नियमों के मुताबिक धार्मिक जुलूसों में किसी भी तरह की नई प्रथा या प्रतीक को शामिल करने की अनुमति नहीं है। लेकिन इसके बावजूद विवाद थमा नहीं और दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष ने ज़बरन नया बैनर लगाया, वहीं मुस्लिम पक्ष का आरोप था कि हिंदू संगठनों ने पोस्टर फाड़े। इसी आरोप-प्रत्यारोप ने देखते ही देखते बवाल का रूप ले लिया।
बता दें कि शुक्रवार (26 सितंबर) को बरेली में स्थानीय धर्मगुरु और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा द्वारा ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान के समर्थन में प्रस्तावित प्रदर्शन को स्थगित किए जाने की घोषणा के बाद मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में एकत्र हुए लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।
सीएम योगी ने कहा कि पहले दंगाइयों को मुख्यमंत्री के आवास में बुलाकर सम्मानित किया जाता था। पेशेवर अपराधियों और माफियाओं को प्रदेश की सत्ता सैल्यूट करती थी। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी लोग उनके कुत्तों से हाथ मिलाया करते थे, आपने देखा होगा कैसे सत्ता का मुखिया एक माफिया के कुत्ते से हाथ मिलाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था। आप अनुमान करते हैं यूपी के लोगों को इन्होंने सुरक्षित किया था। कैसे सुरक्षित करते, इन्होंने हर जिले के अंदर एक माफिया दे दिया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो जाति के नाम पर भड़काते हैं, उन्हीं के लिए हमने बुलडोज़र बनाया था। हम वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज दे रहे हैं। उन लोगों ने वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया दिया था। जब बेईमान और भ्रष्ट लोग सत्ता में आते हैं, तो वे उस सत्ता का शोषण और दुरुपयोग करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे उत्तर प्रदेश के सामने पहचान का संकट पैदा हो गया था। हमने बुलडोजर उन्हीं लोगों के लिए बनाया है जो जाति के नाम पर लोगों को भड़काते हैं और परिवार के नाम पर उनका शोषण करते हैं।