दिल्ली की गलियों में कुछ हफ़्तों से चर्चा थी-क्या संघ और भाजपा के बीच सब कुछ ठीक नहीं? विपक्ष को तो जैसे मुद्दा मिल गया था। खासकर जब मोहन भागवत ने कहा कि “75 की उम्र में सम्मान का मतलब है अब किनारे हो जाना चाहिए।” कांग्रेस और INDIA ब्लॉक नेताओं ने इसे सीधे मोदी पर तंज की तरह पेश किया। लेकिन 11 सितंबर की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चिट्ठी से खेल बदल दिया। मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर उनका संदेश आया और अफवाहों का पूरा महल ढह गया।
जन्मदिन पर बधाई या विपक्ष पर तीर?
मोदी ने भागवत को “असाधारण व्यक्तित्व” बताते हुए उनकी राष्ट्रनिष्ठा और त्याग की तारीफ की। उन्होंने साफ़ कर दिया कि भाजपा और संघ आज भी एक ही परिवार हैं। विपक्ष जो सोच रहा था कि संघ-भाजपा में दरार गहरी हो रही है, उनके लिए यह संदेश सीधे सीने पर तीर की तरह था।
संघ के सौ साल: भागवत बने ‘परस मणि’
संघ इस साल अपनी शताब्दी मना रहा है। मोदी ने इसे “सबसे रूपांतरणकारी दौर” करार दिया और श्रेय भागवत को दिया। नई वर्दी से लेकर कोविड में तकनीक के इस्तेमाल तक—भागवत ने संघ को समय के साथ खड़ा किया। मोदी ने तो यहां तक कहा कि जैसे उनके पिता मधुकरराव गुजरात में संघ की ‘परस मणि’ थे, वैसे ही मोहन भागवत आज भारत के लिए वही भूमिका निभा रहे हैं।
विदर्भ की धूल से दिल्ली की गूंज तक
मोहन भागवत की कहानी गांव-गांव से शुरू होती है। विदर्भ की धूल में प्रचारक रहते हुए उन्होंने गरीब और वंचित समाज से सीधा रिश्ता बनाया। यही अनुभव उन्हें जनता की नब्ज़ समझने वाला नेता बनाता है। मोदी ने याद दिलाया कि भागवत ने swayamsevaks को सिर्फ़ शाखा तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि उन्हें स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसी योजनाओं से जोड़ा।
अक्षयवट की छांव और पांच सूत्री मंत्र
मोदी ने संघ को “अक्षयवट”—अमर वटवृक्ष—बताया। इसकी जड़ें मूल्यों में धंसी हैं। उन्होंने भागवत के पांच परिवर्तन गिनाए—सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक संस्कार, पर्यावरण चेतना, नागरिक कर्तव्य और राष्ट्रीय आत्मा। उनके मुताबिक़ यही भारत के भविष्य का खाका हैं।
विवेकानंद का 9/11 बनाम आतंक का 9/11
मोदी ने तारीख़ का भी प्रतीकात्मक इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा—11 सितंबर 1893 को विवेकानंद ने शिकागो में भाईचारे का संदेश दिया था, जबकि 2001 में इसी दिन दुनिया ने 9/11 का आतंक देखा। भागवत का नेतृत्व विवेकानंद की उस रोशनी को आगे बढ़ा रहा है, जो एकता और सद्भाव की राह दिखाती है।
परिवार की दीवारें मजबूत, विपक्ष के सपने चकनाचूर
असल मायनों में मोदी का यह संदेश विपक्ष के लिए करारा जवाब था। अफवाहें फैलाने वाले नेताओं के लिए यह कड़वी सच्चाई है कि संघ और भाजपा का रिश्ता किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस या बयान से नहीं टूटता। यह रिश्ता भारत की सभ्यता और उसके राष्ट्र-प्रथम संकल्प में गढ़ा गया है।
जन्मदिन की बधाई के बहाने मोदी ने वही किया, जिसके लिए वे जाने जाते हैं-विपक्ष के हमले को पलटकर हथियार बना दिया। और विपक्ष? एक बार फिर देखता रह गया।