अमित शाह की चेतावनी: जनसंख्या असंतुलन के पीछे प्रजनन नहीं, घुसपैठ है
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अमित शाह की चेतावनी: जनसंख्या असंतुलन के पीछे प्रजनन नहीं, घुसपैठ

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अवैध घुसपैठ और उसके भारत की जनसंख्या संतुलन, लोकतंत्र और सांस्कृतिक पहचान पर दीर्घकालिक प्रभावों के मुद्दे पर एक तीखा और आंकड़ों पर आधारित संबोधन दिया, जिसने देश में जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर राष्ट्रीय बहस को जन्म दे दिया है।

Vibhuti Ranjan द्वारा Vibhuti Ranjan
11 October 2025
in चर्चित, धर्म, फैक्ट चेक, भारत, भू-राजनीति, मत, रक्षा, राजनीति, समीक्षा
अमित शाह की चेतावनी: जनसंख्या असंतुलन के पीछे प्रजनन नहीं, घुसपैठ है

अमित शाह नेस्पष्ट किया कि CAA किसी भी भारतीय मुस्लिम को प्रभावित नहीं करता।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अवैध घुसपैठ और उसके भारत की जनसंख्या संतुलन, लोकतंत्र और सांस्कृतिक पहचान पर दीर्घकालिक प्रभावों के मुद्दे पर एक तीखा और आंकड़ों पर आधारित संबोधन दिया, जिसने देश में जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर राष्ट्रीय बहस को जन्म दे दिया। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित ‘नरेंद्र मोहन स्मृति व्याख्यान’ और ‘साहित्य सृष्टि सम्मान’ समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा कि जब तक हर भारतीय यह नहीं समझेगा कि घुसपैठ, जनसंख्या परिवर्तन और लोकतंत्र के बीच क्या संबंध है, तब तक भारत की संप्रभुता और सांस्कृतिक ताना-बाना गंभीर खतरे में पड़ सकते हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न जनगणनाओं में परिलक्षित भारत की बदलती धार्मिक जनसांख्यिकी केवल आंकड़ों का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सभ्यतागत निरंतरता का प्रश्न है। शाह ने कहा, “भारत कोई धर्मशाला नहीं है। हमें अपनी सीमाओं, अपने लोकतंत्र और अपनी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा अवैध घुसपैठ से करनी होगी।”

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जनगणना के आंकड़े दिखाते हैं गंभीर जनसांख्यिकीय बदलाव

अमित शाह ने पिछले छह दशकों के आंकड़े पेश करते हुए बताया कि किस तरह हिंदू आबादी लगातार घट रही है जबकि मुस्लिम आबादी बढ़ी है — एक प्रवृत्ति जिसे उन्होंने मुख्य रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश से हुई घुसपैठ का परिणाम बताया, न कि प्रजनन दर के अंतर का।

नीचे वे तुलनात्मक आंकड़े हैं जो शाह ने अपने भाषण में उद्धृत किए:

जनगणना वर्षहिंदू आबादी (%)मुस्लिम आबादी (%)टिप्पणी
195184.0%9.8%स्वतंत्रता के बाद पहली जनगणना
197182.0%11.0%घुसपैठ में वृद्धि शुरू
199181.0%12.12%निरंतर जनसांख्यिकीय बदलाव
201179.0%14.2%सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज

शाह ने बताया कि 1951 से 2011 के बीच हिंदू आबादी लगभग 4.5% घटी है, जबकि मुस्लिम आबादी का हिस्सा करीब 25% बढ़ा है। उन्होंने कहा, “यह कोई स्वाभाविक जनसांख्यिकीय प्रवृत्ति नहीं है। यह वृद्धि मुख्य रूप से दशकों से चली आ रही घुसपैठ के कारण है, जिसे पूर्ववर्ती सरकारों ने नजरअंदाज किया।”

उन्होंने यह भी बताया कि 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर 24.6% रही, जिसे केवल प्रजनन दर के आधार पर नहीं समझाया जा सकता। शाह ने चेतावनी दी कि अगर यह प्रवृत्ति इसी गति से जारी रही, तो 2050 तक असंतुलन खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है।

घुसपैठ राजनीतिक नहीं, राष्ट्रीय मुद्दा है

शाह ने स्पष्ट किया कि नरेंद्र मोदी सरकार घुसपैठ को एक राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में देखती है, न कि राजनीतिक रूप में। उन्होंने कहा, “जब घुसपैठिए देश में प्रवेश कर बस जाते हैं, तो वे सीमावर्ती जिलों की जनसंख्या संरचना बदल देते हैं, मतदाता सूची में हेरफेर करते हैं और सामाजिक ढांचे को प्रभावित करते हैं।”

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अक्सर इन घुसपैठियों को सुरक्षा खतरे के बजाय संभावित वोट बैंक के रूप में देखते हैं। शाह ने कहा, “जब मतदान का आधार राष्ट्रहित नहीं होता, तब लोकतंत्र कभी सफल नहीं हो सकता।”

गृह मंत्री ने मोदी सरकार की सख्त नीति का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’ नीति पर काम कर रही है — घुसपैठियों की पहचान करना, उन्हें सरकारी रिकॉर्ड से हटाना और उन्हें उनके मूल देश वापस भेजना।

उन्होंने सवाल उठाया कि गुजरात और राजस्थान जैसे सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठ की वही समस्या क्यों नहीं है, जो पश्चिम बंगाल और असम में देखी जाती है, जहाँ जनसांख्यिकीय बदलाव सबसे अधिक दिखाई देता है। उन्होंने कहा, “अगर कोई व्यक्ति अवैध रूप से सीमा पार करता है और जिला प्रशासन कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो घुसपैठ अनियंत्रित रूप से जारी रहती है। हमें स्थानीय जवाबदेही तय करनी होगी।”

नेहरू-लियाकत समझौते पर कांग्रेस को घेरा

इतिहास की ओर रुख करते हुए शाह ने कांग्रेस पार्टी को भारत के विभाजन और उसके बाद के जनसांख्यिकीय असंतुलन के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “देश को धर्म के आधार पर विभाजित करना एक ऐतिहासिक भूल थी। ऐसा करके उन्होंने ब्रिटिश साजिश को पूरा किया और भारत माता के अंग काट दिए।”

उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाया कि उन्होंने 1950 के नेहरू-लियाकत समझौते के तहत किए गए वादों को तोड़ा, जिसमें दोनों देशों में अल्पसंख्यकों की रक्षा का आश्वासन दिया गया था। शाह ने कहा, “नेहरू ने शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा किया था, लेकिन वह अपने शब्द से पीछे हट गए। जब मोदी जी की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ आई, तो हमने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के जरिए वह वादा पूरा किया।”

शाह ने दोहराया कि CAA किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं, बल्कि उन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए।

“शरणार्थी घुसपैठिए नहीं होते” – CAA पर स्पष्टता

अमित शाह ने शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच स्पष्ट अंतर बताया। उन्होंने कहा, “शरणार्थी अपने धर्म को बचाने के लिए भारत आते हैं, जबकि घुसपैठिए अवैध रूप से आर्थिक या अन्य कारणों से आते हैं।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि CAA किसी भी भारतीय मुस्लिम को प्रभावित नहीं करता। शाह ने कहा, “CAA में किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है — न हिंदू की, न मुस्लिम की, न सिख या ईसाई की। इसका एकमात्र उद्देश्य उन शरणार्थियों की रक्षा करना है जिन्हें विभाजन के बाद भारत में सुरक्षा का वादा किया गया था, लेकिन दशकों तक वह वादा अधूरा रहा।”

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार भारत की सीमाओं को सील करने, नागरिक सत्यापन प्रणाली को मजबूत करने और मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) में चुनाव आयोग की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि अवैध घुसपैठिए वोटर न बन सकें।

शाह ने कहा, “संविधान ने चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है। यह तभी संभव है जब मतदाता सूची में केवल भारतीय नागरिक हों। घुसपैठियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की अनुमति देना संविधान का अपमान है।”

राष्ट्रीय जागरूकता का आह्वान

गृह मंत्री ने अपने संबोधन का समापन नागरिकों से यह आग्रह करते हुए किया कि वे घुसपैठ और जनसांख्यिकीय बदलाव को चुनावी नहीं, बल्कि अस्तित्व के मुद्दे के रूप में देखें। उन्होंने चेताया, “जनसांख्यिकीय परिवर्तन, घुसपैठ और लोकतंत्र एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। यदि घुसपैठ नहीं रुकी, तो भारत धर्मशाला बन जाएगा — एक ऐसा आश्रय जहाँ कोई नियंत्रण नहीं होगा।”

शाह ने नागरिकों, प्रशासनिक अधिकारियों और राज्य सरकारों से घुसपैठ के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “राष्ट्र की सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय पहचान की रक्षा करना, उसकी भौगोलिक सीमाओं की रक्षा जितना ही आवश्यक है।”

सार रूप में अमित शाह का यह भाषण एक चेतावनी था- एक ऐसी पुकार जो जनता को यह याद दिलाती है कि घुसपैठ से प्रेरित यह अदृश्य किंतु निरंतर जनसांख्यिकीय परिवर्तन अगर समय रहते न रोका गया, तो भारत की संतुलित संरचना असंतुलित हो सकती है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसांख्यिकीय स्थिरता के बिना लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता।”

Tags: Amit ShahAssamBangladeshBengalDemographic ChangeInfiltrationPakistanअमित शाहअसमघुसपैठजनसंख्या परिवर्तनपाकिस्तानबंगालबांग्लादेश
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