रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जा रहे हैं। यह यात्रा भारत और ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ के मौके पर हो रही है और इसके माध्यम से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की उम्मीद है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंध सिर्फ औपचारिक नहीं रहे हैं। बीते दस वर्षों में दोनों देशों ने सैन्य प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और खुफिया सहयोग में गहन तालमेल विकसित किया है।
विशेषकर पृथ्वी और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी ने भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में मजबूत स्थिति दिलाई है। अब दोनों देशों की सेनाएं साझा अभियानों और रणनीतिक संचालन में सक्षम हैं।
हवा में इंधन भरने की तकनीकी साझेदारी
इस दौरे के दौरान रक्षा मंत्री सिडनी में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जिसमें वे भारतीय फाइटर जेट को ऑस्ट्रेलियाई KC-30A मल्टी-रोल टैंकर विमान से हवा में इंधन भरते हुए देखेंगे। बता दें कि यह समझौता नवंबर 2024 में हुआ था और इसके बाद से भारत की वायु शक्ति का दायरा हिंद महासागर में काफी बढ़ गया है। अब भारतीय विमान लंबी दूरी तक संचालन करने और लगातार अभियानों में बने रहने में सक्षम हैं।
भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों P-8I मैरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करते हैं। यह साझा प्लेटफॉर्म दोनों देशों को तालमेल और रीयल-टाइम इंटेलिजेंस डेटा साझा करने में सक्षम बनाता है।पिछले दशक में वार्षिक सैन्य अभ्यास और बैठकें तीन गुना बढ़ गई हैं, जिससे दोनों देशों ने शीर्ष-स्तरीय सुरक्षा साझेदारी स्थापित कर ली है।
ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की संयुक्त समुद्री सुरक्षा रोडमैप पर चर्चा हो रही है। इसमें विशेष ध्यान पनडुब्बी संचालन और पानी के अंदर टेक्नोलॉजी पर है। रक्षा मंत्री के दौरे के बाद उम्मीद है कि भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों के बीच टेक्नोलॉजी साझेदारी और मजबूत होगी। इससे न केवल सैन्य क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से लाभ भी मिलेगा।
रणनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व
हिंद महासागर में भारत की स्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ते रक्षा संबंध भारत के क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव को मजबूती देते हैं। यह साझेदारी समुद्री और वायु शक्ति के संदर्भ में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और संकट प्रबंधन में भारत को प्रभावशाली बनाती है।
भारत के रक्षा मंत्री का यह दौरा सिर्फ औपचारिक नहीं है। यह भारत-ऑस्ट्रेलिया रणनीतिक साझेदारी की नई दिशा तय करेगा। आने वाले वर्षों में यह साझेदारी समुद्री सुरक्षा, वायु क्षमता, टेक्नोलॉजी और उद्योग सहयोग में दीर्घकालीन प्रभाव डाल सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल हिंद महासागर और उससे परे क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
राजनाथ सिंह का ऑस्ट्रेलिया दौरा न केवल रक्षा सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीतिक स्थिति को भी मजबूती देगा। हवा में इंधन भरने जैसी तकनीकी क्षमताओं से लेकर साझा समुद्री निगरानी और रक्षा उद्योग में संभावित सहयोग तक, यह यात्रा दोनों देशों के लिए रणनीतिक, तकनीकी और आर्थिक लाभ लेकर आने की पूरी क्षमता रखती है।
इस दौरे के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक नया रक्षा और सुरक्षा अध्याय खुलने की संभावना है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए मजबूत आधार तैयार करेगा।