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ललितादित्य

भारत के अवेन्जर्स– जिन्होंने अरबी आक्रान्ताओं को 313 वर्ष भारतवर्ष में घुसने तक नहीं दिया

इतिहास बड़ी विचित्र वस्तु है, जिसके हाथ में कलम है, वही उसे रच पाता है। हमारे देश के वामपंथियों ने बड़े चाव से बताया है कि कैसे अरबी आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया था, और कैसे 1025 में गजनवी के सुल्तान महमूद ने पहले जयपाल और ...

बप्पा रावल

बप्पा रावल: वो योद्धा जिसने तीन शताब्दियों तक विदेशी आक्रान्ताओं को भारत की भूमि से दूर रखा

“मन करे सो प्राण दे,जो मन करे सो प्राण ले, वही तो एक सर्वशक्तिमान है।।।।।। विश्व की पुकार है, ये भागवत का सार है, कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है, कौरोवों की भीड़ हो या पांडवों का नीड़ हो, जो लड़ सका है वो ही तो महान है” ...

Gyanvapi carbon dating: इलाहाबाद हाईकोर्ट की कृपा से शीघ्र सामने आएगा ज्ञानवापी का सच

Gyanvapi carbon dating: इलाहाबाद हाईकोर्ट की कृपा से शीघ्र सामने आएगा ज्ञानवापी का सच

Gyanvapi carbon dating: “अयोध्या तो झांकी है, काशी मथुरा बाकी है”। जिसने भी इस नारे की कल्पना होंगी, आज वह खुशी से फूले नहीं समा रहा होगा। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए काशी विश्वनाथ के प्राचीन परिसर के पुनरुद्धार का मार्ग प्रशस्त किया ...

दिवेर का युद्ध

दिवेर का युद्ध : जब महाराणा प्रताप के परिश्रम का फल उनको मिला

दिवेर का युद्ध (Battle of Dewair in Hindi): जो भी कहते हैं कि मुगल सर्वशक्तिशाली थे, उन्हे कोई मात नहीं दे पाया, उन्हे केवल एक बार मेवाड़ की ओर ध्यान देना चाहिए। कहने को अकबर महान था, परंतु फिर भी आयुपर्यंत महाराणा प्रताप को कभी झुका नहीं पाया। इसके अतिरिक्त ...

कश्मीर के डोंगराओं ने घाटी का पुनः हिन्दुकरण कर ही दिया था, परंतु तब आई विपदा

कश्मीर के डोंगराओं ने घाटी का पुनः हिन्दुकरण कर ही दिया था, परंतु तब आई विपदा

डोगरा राज : आज कश्मीर प्रांत इस्लाम बाहुल्य है, यानि मुस्लिम बहुतायत में है। परंतु प्रारंभ से ऐसा नहीं था, और एक समय ऐसा भी आया था, जब कश्मीर के एक शासक ने इस पवित्र भूमि को इसकी मूल जड़ों से जोड़ने का प्रयास किया था। परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा न ...

पूर्व में भारत था शिक्षा का वैश्विक केंद्र, और भविष्य में भी होगा

पूर्व में भारत था शिक्षा का वैश्विक केंद्र, और भविष्य में भी होगा

New National Education Policy 2022 : कभी जब उच्चतम शिक्षा की बात होती है, तो मन में कहाँ जाने का विचार आता है? आप में से कई पट्ट से बोलेंगे : यूके ओर यूएसए। अमरीका, द यूएसए, क्योंकि ये देश अपनी उच्चतम शैक्षणिक व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं। परंतु ...

अगर राणा सांगा बाबर के विरुद्ध विजयी होते, तो?

अगर राणा सांगा बाबर के विरुद्ध विजयी होते, तो?

“राणा सांगा अपनी वीरता और तलवार के बल पर अत्यधिक शक्तिशाली हो गया है। वास्तव में उसका राज्य चित्तौड़ में था। मांडू के सुल्तानों के राज्य के पतन के कारण उसने बहुत-से स्थानों पर अधिकार जमा लिया। उसका मुल्क 10 करोड़ की आमदनी का था, उसकी सेना में एक लाख ...

चारण : राजपूताना के “योद्धा कवि”

चारण : राजपूताना के “योद्धा कवि”

Charan caste history in Hindi: भारत में भांति भांति के योद्धा उत्पन्न हुए हैं। कुछ के लिए बल अधिक महत्वपूर्ण है, तो कुछ ने बुद्धि से युद्ध जीते हैं, परंतु राजस्थान वो भूमि है, जहां के कण कण में वीर रस बसता है। यहाँ के कवि भी किसी योद्धा से ...

सिंधिया परिवार

क्या सिंधिया [शिंदे] परिवार वास्तव में उतने बुरे थे?

“अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी” “झांसी की रानी” नामक कविता में जब इस छंद का उल्लेख होता है, तो अनवरत ही ग्वालियर की शिंदेशाही की ओर ध्यान जाता है, जिनका आज भी भारत के इतिहास एवं राजनीति में एक महत्वपूर्ण प्रभाव है। इस छंद का ऐसा प्रभाव ...

NCERT removes chapters on Mughal Empire

NCERT removes chapters on Mughal Empire: कैसे छाती पीट पीट के रो रहे हैं लिबरल मुगलों की सफाई पर

NCERT removes chapters on Mughal Empire: Nostalgia शब्द एक दोधारी तलवार समान है। अगर किसी ऐसे वस्तु या स्थान की पुरानी यादों को सहेजकर रखा जाए, जिससे समाज और संस्कृति का कल्याण हुआ हो, तो वो स्मृतियाँ व्यर्थ नहीं जाती। परंतु हमारे यहाँ कुछ ऐसे प्राणी है, कि चाहे कोई ...

रघुनाथ राव

रघुनाथ राव और माधवराव के बीच वह “महाभारत”, जिसे रोका जा सकता था

काफी समय पूर्व, जब औरंगज़ेब के विरुद्ध राष्ट्रीय स्तर पर कोने कोने से विद्रोह प्रारंभ हुआ था, तो एक व्यक्ति ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया। उन्होंने न केवल इस युद्ध में भाग लिया, अपितु संकल्प भी लिया, “हे हिंदवी स्वराज्य श्री हरीची इच्छा!”, अर्थात भारतवर्ष की स्वतंत्रता ही ...

हाँ भई, अकबर हृतिक रोशन कम, नसीरुद्दीन शाह अधिक लगते थे

हाँ भई, अकबर हृतिक रोशन कम, नसीरुद्दीन शाह अधिक लगते थे

इतिहास के अलग अलग दृष्टिकोण होते हैं, जैसे सत्य के। अंतर इस बात से पड़ता है कि आप किसके मुख से सुन रहे हो। आपको कभी न कभी मन किया होगा ये जानने का कि कुछ ऐतिहासिक नायक वास्तव में दिखते कैसे थे? इस विषय को बल दिया है “ताज ...

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