Dr Alok Kumar Dwivedi

Dr Alok Kumar Dwivedi

डा. आलोक कुमार द्विवेदी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में PhD हैं। वर्तमान में वह KSAS, लखनऊ में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। यह संस्थान अमेरिका स्थित INADS, USA का भारत स्थित शोध केंद्र है। डा. आलोक की रुचि दर्शन, संस्कृति, समाज और राजनीति के विषयों में हैं।

मनुस्मृति: मौजूदा संवैधानिक अधिकार और हज़ारों वर्ष पहले महिलाओं की स्थिति

मनुस्मृति का निर्माण हिंदू संस्कृति की अत्यधिक प्रगति का संकेत माना जाता है। गैरोला ने 'श्रुति' और 'स्मृति' को व्यापक रूप से समानार्थी शब्द बताया है। हालांकि भारतीय सनातन परंपरा में श्रुति और स्मृति में भेद माना...

मनुस्मृति पार्ट 3: धर्म और पाप-पुण्य को लेकर क्या कहता है यह ग्रंथ?

स्मृतियों में सबसे प्राचीन, श्रेष्ठ एवं प्रमुख मानव स्मृति को माना गया है। ऋग्वेद में "मनु" को मानव जाति का पिता, प्रथम यज्ञ कर्ता तथा संहिता का प्रवर्तक कहा गया है। शास्त्र ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार...

धर्म बनाम रिलिजन: केवल आस्था नहीं, आचरण की बात

धर्म शब्द सभ्यता का एक ऐसा महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है जिसने विकास के पथ को अधिक सुसंस्कारित बनाया है। धर्म स्वयम में आचरण ही है। डॉ० पी.वी. काणे के अनुसार ‘धर्म’ शब्द की उत्पत्ति ‘धृ’ धातु से हुई...

मनुस्मृति पार्ट-2: जन्म आधारित जाति और वर्ण व्यवस्था पर तीखा प्रहार करने वाले ग्रंथ में क्या बताया गया है?

मनुस्मृति को प्रमुख मानव धर्म शास्त्र कहा जाता है। यह धर्मशास्त्र समाज के लोगों का धर्म एवं कर्तव्य निर्धारित करते रहे हैं। भारतीय संस्कृति में स्मृतियों का महत्व इस रूप में रहा है कि ये तत्कालीन समय...

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: नारी सशक्तिकरण और पाश्चात्य Vs वैदिक दर्शन, क्या वैदिक काल में महिलाओं को प्राप्त अधिकारों का स्तर हासिल कर सके हैं पश्चिमी देश?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं के अधिकारों, समानता और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आधारशिला 1909 में...

मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था और महिला अधिकार: क्यों लोगों से छिपाई जाती रही है असली कहानी?

भारत की विशाल संस्कृति एवं आध्यात्मिक परंपरा ईसा पूर्व अनेकों हजार वर्ष की यात्रा का एक निर्विघ्न मार्ग है। भारतीय सनातन परंपरा में वेद पृथ्वी पर स्थित सर्व प्राचीन रचना मानी जाती है। वेदों के संबंध में...

नित्य, सनातन एवं शुभता की सारगर्भित चेतना हैं भगवान शिव; समझिए शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अंतर

महाशिवरात्रि सनातन संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर होता है शिवरात्रि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है जबकि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को...

क्या गंगा में स्नान से पाप धुल जाते हैं? – जानिए महाकुंभ और कर्म सिद्धांत का अर्थ

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का दिव्य और भव्य आयोजन जारी है, जहां अब तक 29.64 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन हिंदू संस्कृति और परंपराओं पर सवाल उठाने वाली...

महाकुंभ: भारत की सांस्कृतिक विरासत की अक्ष्क्षुण यात्रा

योगी सरकार के नेतृत्व में संगम नगरी प्रयागराज इन दिनों 144 वर्षों बाद आयोजित 45 दिवसीय महाकुंभ (MahaKumbh 2025) के ऐतिहासिक और भव्य क्षणों की साक्षी बन रही है। अब तक लगभग 7 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में...

MahaKumbh 2025: धार्मिक आस्था और आर्थिक समृद्धि का अद्वितीय संगम

भारत के हर नागरिक के दिल में गहरी आस्था और धर्म का जुड़ाव है, जो पुण्य और संस्कारों से उसे जोड़े रखता है। यह आस्था जब गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर मिलती है, तो कुंभ...

अमृत की बूंदों का रहस्य: कुंभ स्नान की सनातन परंपरा का इतिहास, पढ़िए हमारे ग्रंथों में क्या लिखा है

कुंभ स्नान का इतिहास क्या है? हमारे ग्रन्थ क्या कहते हैं? प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन के बीच इन सवालों पर चर्चा ज़रूरी है। अतीत से लेकर आज तक विविध कालखंडों में भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता अपने...

1857 की क्रांति से पहले अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने वाले जनजातीय योद्धा सिद्धू-कान्हू

भारत एक बहुभाषीय और सांस्कृतिक विविधता से युक्त सशक्त राष्ट्र है। यह विशेषता भारत को यूरोपीय राष्ट्र की अवधारणा के विपरीत अनूठे रूप में अभिव्यक्त करती है। भारत का यह राष्ट्रीय चरित्र इसकी भू सांस्कृतिक अवधारणा पर...

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