हनुमान जी और भगवान परशुराम सहित प्राचीन भारत में 7 नहीं बल्कि 8 चिरंजीवी हुए हैं
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥ सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। अर्थात् कोई भी व्यक्ति अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमानजी, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण करेगा तो वह जीवनभर स्वस्थ और...