आखिर कैसे हिंदुत्व के प्रतीक से ‘हिंदुत्व के कलंक’ में परिवर्तित हुए आडवाणी?
‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’, ये कथन एक व्यक्ति के जीवन का संक्षिप्त परिचय कराने के लिए पर्याप्त है, जो कभी देश की संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर ...