'वामपंथी इतिहासकार' के लिए खोज परिणाम

खुसरो जैसे अनपढ़ शायर और आधुनिक युग के अर्द्धज्ञानी बुद्धिजीवी उत्तर और दक्षिण भारत के बीच के बंधन को कभी समझ नहीं सके

भारत का दक्षिणी क्षेत्र उत्तर भारत से अलग है, यह धारणा वामपंथी इतिहासकारों द्वारा बार-बार आगे बढ़ाई गई। इसे सिद्ध करने के लिए विभिन्न प्रकार की अवधारणाओं को प्रतिपादित किया गया, जैसे कि सैंधव सभ्यता के निर्माता द्रविड़ मूल ...

1946 की क्रांति को चित्रित कर भारत देगा आजादी के असली नायकों को न्याय

कभी-कभी इतिहास बदलने के लिए एक कदम ही पर्याप्त होता है और लगता है भारतीय नौसेना ने अब वो कदम उठाने का निर्णय ले लिया है।आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस के 125 वर्ष पूरे होने के शुभ ...

भारत की स्वतंत्रता की वास्तविक कहानी- अध्याय 4: दांडी मार्च का अनसुना सत्य, जिसे आप नहीं जानते

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक महत्वपूर्ण अध्याय हैं, लेकिन उनमें सबसे प्रमुख अध्याय निस्संदेह दांडी यात्रा (12 मार्च 1930 – 6 अप्रैल 1930) का है। आज भी कई वामपंथी इतिहासकार मोहनदास करमचंद गांधी की तारीफ करते नहीं थकते ...

मुगल नहीं चालुक्य, पल्लव और राष्ट्रकूट वंश हमारे इतिहास की किताबों में अधिक ध्यान देने योग्य हैं

मूल सार इतिहास की पाठ्यपुस्तक में मुग़लकालीन इतिहास का वर्णन अधिक किया गया है विदेशी आक्रमण, राजनीति और पाश्चात्य शिक्षा की आड़ में भारतीय इतिहास के राजवंशो की अनदेखी की गई है इस लेख में चालुक्य, पल्लव और राष्ट्रकूट ...

धर्मविरोधी देवदत्त पटनायक सरकारी कार्यक्रम में ‘गणमान्य अतिथि’? सवाल उठना स्वाभाविक है

मुख्य बिंदु राष्ट्रीय युवा महोत्सव में गालीबाज इतिहासकार और लेखक देवदत्त पटनायक के निमंत्रण पर मचा बवाल लेखक देवदत्त पटनायक ट्विटर पर महिलाओं के लिए अभद्र भाषा का करते हैं प्रयोग लोगों के विरोध और तकनीकी समस्या के कारण ...

वैदिक गणित: गणित का वो तरीका जिसे पूरी तरह मिटा दिया गया और आपको पता भी नहीं चला

भारतीय विद्यार्थियों को जिस एक विषय से सबसे अधिक डर लगता है उसका नाम गणित है। गणित या मैथ एक ऐसा विषय है जिसकी कक्षाओं में हममें से कई लोगों ने बचपन में मार खाई होगी। हालांकि, बच्चों को ...

औरंगज़ेब के हर अत्याचार का अब हिसाब लेगी योगी सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद है सबसे आगे

पूरे देश ने बीते 13 दिसम्बर को त्रिपुंड लगाए, कुर्ता पहने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखा। काशी के घाट पर यह दिन एक छोटी दीपावली की तरह था। सभी लोगों ने भव्य महाकाल का दर्शन किया। 13 दिसंबर, ...

AIUDF विधायक ने दावा किया कि औरंगज़ेब ने कामाख्या देवी मंदिर के लिए भूमि दान की थी

एक होते हैं फेंकू, फिर आते हैं भारत के वामपंथी इतिहासकार और फिर आते हैं अमीनुल इस्लाम! इनका जलवा अलग ही स्तर का है, और ये अलग ही लोक में जीते हैं, जहां मुग़ल सर्वशक्तिशाली थे, भारत पर इस्लामिक ...

महादजी शिंदे : पानीपत के राख से निकले वो शूरवीर जिन्होंने महाराष्ट्र का भाग्य बदल दिया

महादजी शिंदे - 14 जनवरी 1761, यह वो दिन था जब अखंड भारत को उसका सबसे भीषण आघात लगा। यह वो दिवस था जब हिंदवी स्वराज्य को आर्यावर्त के प्राचीन सीमाओं तक ले जाने के प्रयास असफल हुए और ...

‘रावण एक पौराणिक व्यक्ति नहीं था’ श्रीलंका इस पर शोध कर रहा है और वह चाहता है कि भारत उसकी मदद करे

श्रीलंका के इतिहास में रावण का एक महत्वपूर्ण स्थान है। रामायण की कथा बताती है कि रावण के शासनकाल में श्रीलंका विश्व पटल पर सबसे महत्वपूर्ण देशों में एक था। भारत के वामपंथी इतिहासकारों ने रामायण की कथा के ...

क्या टीपू सुल्तान वास्तव में उतना बहादुर था, जितना बताया जाता है?

हाल ही में, टीपू सुल्तान के जन्मदिवस के अवसर पर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया, जब एक कांग्रेस नेता ने उसकी एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की। क्रांतिकारी सुल्तान फ़तेह अली खान उर्फ़ टीपू सुल्तान की ये ...

अजमेर का ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ कहने को मस्जिद है परंतु वास्तविकता तो सनातन संस्कृति की ओर संकेत देती है

शाही ईदगाह मस्जिद, जामी मस्जिद, ज्ञानवापी मस्जिद, कमल मौला मस्जिद, इन सब में समान बात क्या है? शायद आप एक बार को भ्रमित हो जायें, परन्तु बाबरी मस्जिद का नाम जुड़ते ही आपके समस्त भ्रम दूर हो जाएंगे और ...

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