'वामपंथी इतिहासकार' के लिए खोज परिणाम

इन अद्भुत प्रमाणों को देखे और स्वयं निर्धारित करें कि आप अभी भी रामायण महाभारत को मिथ्या कहेंगे

जिसे भी आज हम इतिहास कहते हैं, शायद भविष्य में वो मिथ्या होगी, और जिसे आज हम मिथ्या कहते हैं, वो किसी जमाने में इतिहास था। हाल ही में हावर्ड विश्वविद्यालय आने वाले सेमेस्टर में ‘इंडियन रेलीजियंस थ्रू थेर ...

इस्लामिक आतताइयों ने कई मंदिर ढहाए पर इस मंदिर का कुछ नहीं बिगाड़ पायी

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से कोई बेवकूफ़ ही अपरिचित होगा अपने भारत में। एक आम हिन्दू को अपने जीवन काल में जिन पवित्र चार धामों की यात्रा करनी है, ये उन्ही में से एक ऐसा धाम है। जगन्नाथ ...

NewsClick पर पड़े छापे की सम्पूर्ण कथा

वर्ष 2021 में, प्रवर्तन निदेशालय ने न्यूज़क्लिक नामक मीडिया इकाई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की लगातार जांच शुरू कर दी। 30 करोड़ रुपये की इस धांधलेबाजी में, न्यूज़क्लिक को संदिग्ध संबद्धता वाले व्यक्तियों को धन हस्तांतरित करते ...

भारत बनाम इंडिया डिबेट में संजीव सान्याल ने बड़बोले देवदत्त को पटक पटक धोया!

हमारे प्यारे राष्ट्र को इंडिया या भारत क्या कहा जाए, इस पर बहस अभी ख़त्म नहीं हुई है। सोशल मीडिया इस भाषाई संघर्ष के लिए युद्ध का मैदान बन गया है, जिसमें विशाल बहुमत भारत का समर्थन कर रहा ...

गोपीनाथ बोरदोलोई : असम के रक्षक!

हमारे देश का इतिहास बड़ा विचित्र है। जब बात आती है देश के नायकों को उचित सम्मान देने की, तो उन्हे अखबार का एक स्तम्भ भी प्राप्त नहीं होता। परंतु जब बात आती है देश का अहित चाहने वालों, ...

वह केस जिसने सावरकर के जीवन को सदैव के लिए बदल दिया!

वर्ष था 1920। असहयोग आंदोलन जोर पकड़ रहा था। अंग्रेज़ भारतीयों के इस बढ़ते रोष से आश्चर्यचकित थे। ऐसे में उन्होंने अपनी “क्रोधित प्रजा” को शांत कराने के लिए कुछ सुधारों की घोषणा की, परंतु जनता के कानों पर ...

मिलिये उनसे, जो अब भी RRR को नीचा दिखाने में लगे रहे हैं

पांचों उँगलियाँ कभी एक समान नहीं हो सकती। ठीक इसी भांति सभी एक विषय पर एकमत हों, ऐसा शायद ही कभी हो सकता है। परंतु किसी वस्तु या विषय से असहमति एक बात है, और अपनी कुंठा में उस ...

भारतीय सेना के सबसे बड़े हितैषी, बीएस मुंजे की अनकही कथा

हमारे राष्ट्र में सैनिक स्कूल की स्थापना कब हुई? अगर किसी ने तनिक भी इतिहास पढ़ा हो तो उसके अनुसार 1960 के दशक में सैनिक स्कूल की स्थापना हुई थी, जिसके 'प्रणेता' थे तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन। ...

“इस बैठक के बाद स्वतंत्रता आंदोलन की तस्वीर बदल गई”, वीर सावरकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने क्या बातचीत की थी?

Netaji Savarkar Meeting: हमारे भारतीय इतिहास को दरबारी कथाकारों एवं इतिहासकारों ने इस तरह से रचा था कि हमें केवल वही पढ़ने को मिले, जो वे चाहे; हम वही सुनें, जो वे सुनाना चाहे। मानो एक सुनियोजित षड्यंत्र के ...

डॉ. मुरली मनोहर जोशी वास्तविकता में भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे

भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री कौन थे? जिन्हें तनिक भी सामान्य ज्ञान की अनुभूति होगी वो तुरंत बोल उठेंगे– मौलाना अबुल कलाम आज़ाद। परंतु अगर हम कहें कि भारत के सर्वप्रथम शिक्षा मंत्री वे नहीं, मुरली मनोहर जोशी थे, ...

पंचशील सिद्धांत जिस पर अड़कर नेहरू ने भारत की छवि ‘एक दुर्बल देश’ के रूप में प्रस्तुत की

साल 1947 में भारत की आजादी के साथ-साथ एशिया और अफ्रीका के विभिन्न देश कई सालों की औपनिवेशिक परतंत्रता से स्वतंत्र हो रहे थे। समूचे एशिया और अफ्रीका से सूट-बूट पहनने वाले पश्चिमी लुटेरे धीरे-धीरे अपने घर की ओर ...

जेएनयू कैसे बन गया वामपंथियों का अड्डा?

देश की राजधानी नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय स्थिति है जो  आए दिन यहां के छात्रों की हरकतों के चलते देशभर में चर्चा का विषय बना रहता है। वामपंथ का गढ़ कहे जाने वाले इस विश्वविद्यालय के छात्र ...

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