तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर आंध्रप्रदेश के मंत्री कलावा श्रीनिवासुलु ने दृढ़ता से कहा कि संयुक्त मोर्चा के गठन पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रमुख चेहरा नहीं होंगे। एक बिजनेस स्टैंडर्ड रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि पार्टी आज भी तेलुगू राज्य को अंधाधुंध रूप से विभाजित करने के लिए कांग्रेस से नफरत करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि तेलुगू देशम पार्टी और कांग्रेस कभी हाथ नहीं मिलायेंगे। कलावा श्रीनिवासुलु ने कहा कि “हम 100 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि प्रधानमंत्री भाजपा या कांग्रेस से नहीं होंगे। अगर कांग्रेस के सहयोग से संयुक्त मोर्चा जैसा कोई वैकल्पिक गठबंधन बनता है तो राहुल गांधी इसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “2019 के लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में क्षेत्रीय दल बड़ी भूमिका निभाएंगे। टीडीपी निर्णय करेगी कि अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा।“
2014 से ही कांग्रेस ने अपना मतदाता आधार खो दिया है और अब ये पहले की तरह एक शक्तिशाली पार्टी भी नहीं रही। कोई भी राहुल गांधी को बीजेपी के खिलाफ ‘संयुक्त विपक्ष’ के नेता के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहता है। दरअसल, कांग्रेस के लिए ये गठबंधन सिर्फ बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए है वहीं, क्षेत्रीय पार्टियों के लिए ये उनके अस्तित्व से जुड़ा है। ऐसे में कोई भी राहुल गांधी को पीएम के चेहरे के रूप में स्वीकार कर अपना अस्तित्व जोखिम में नहीं डालना चाहता है। सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं बल्कि भारत के नागरिक भी राहुल गांधी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यदि क्षेत्रीय दल राहुल गांधी को उनके नेता के रूप में स्वीकार करते हैं तो क्षेत्रीय दलों के प्रति वफादार मतदाता उनके खिलाफ अपना वोट डालेंगे। शायद यही वजह है कि मोदी विरोधी गठबंधन में ज्यादातर पार्टियां नहीं चाहतीं हैं कि राहुल गांधी को गठबंधन का प्रमुख नेता बनाया जाए।
एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव शामिल नहीं हुए थे क्योंकि वो गांधी परिवार के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते थे। उन्होंने बीजेपी विरोधी और कांग्रेस विरोधी संघीय मोर्चा की बात पर काफी जोर दिया है। वहीं, ममता बनर्जी की अपनी महत्वाकांक्षाएं भी हैं, उन्होंने भी ये स्पष्ट कर दिया कि राहुल गांधी द्वारा गठबंधन का नेतृत्व नहीं किया जा सकता है। सपा और बसपा दोनों पीएम उम्मीदवारों के रूप में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय दल राहुल गांधी को 2019 के आम चुनावों के लिए मोदी विरोधी गठबंधन के लिए पीएम उम्मीदवार घोषित करने के नुकसान से भी अवगत हैं।
कांग्रेस अब एनसीपी के शरद पवार, डीएमके और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के गुट के साथ हो गयी है। ऐसा लगता है कि कोई भी खुद को कांग्रेस से जोड़ना नहीं चाहता है खासकर राहुल गांधी के साथ, जिनके नेतृत्व में कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हार गयी। इतने सारे चुनाव हारने के बाद भी राहुल गांधी मुंगेरीलाल के हसीन सपने की तरह ही प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं।