सोमवार को लुईस सोफिया नाम की एक युवती को शोर मचाने और घरेलू विमान की शान्ति को भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, बिना कोई देरी किये केंद्र सरकार पर हमला करने के इरादे से कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की आजादी और सार्वजनिक स्थल पर अपनी आवाज उठाने के अधिकारों का राग अलापने लगे। इस पूरे मामले को विवाद का रूप दिया गया क्योंकि ये ममला तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन से जुड़ा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोफिया एक रिसर्च स्कॉलर हैं। वो विमान से घर वापस आ रही थीं और तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन के सीट के पीछे बैठी थीं। अचानक विमान में सोफिया ने बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी, फासीवाद बीजेपी सरकार डाउन, डाउन के नारे लगाने लगी। सोफिया ने अपने इस व्यवहार से विमान के नियमों का उल्लंघन किया था और ऐसा करके अन्य यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा पैदा किया। तूतीकोरिन एयरपोर्ट पर विमान के उतरने के बाद सोफिया को पुलिस ने विमान के नियमों का उल्लंघन करने और अन्य यात्रियों की सुरक्षा को ताक पर रखने के लिए गिरफ्तार किया और बाद में उसे जमानत पर रिहा भी कर दिया।
इस मामले के चार दिनों बाद भी ये खबर मीडिया में चर्चा में बना हुआ है खासकर स्थानीय मीडिया में इस खबर को खूब दिखाया जा रहा है। ये किसी से छुपा नहीं है कि तमिलनाडू के स्थानीय मीडिया में बीजेपी के लिए कितनी नफरत है और वो बीजेपी और ये केंद्र सरकार पर हमला करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है चाहे कोई मुद्दा आधारहीन ही क्यों न हो। मीडिया के अलावा विपक्षी पार्टी द्रमुक और कांग्रेस भी सोफिया का समर्थन कर रहे हैं और ‘बुद्धिजीवियों’ ने तो पहले ही इस स्थिति पर ‘अघोषित इमरजेंसी’ के हालात का तमगा लगा दिया। इस पूरी घटना पर सभी की अपरिपक्वता ने दर्शा दिया है कि वो जमीनी वास्तविकता से कितने जुड़े हैं।
लुईस सोफिया एक मासूम रिसर्च स्कॉलर नहीं हैं। स्वराज्य रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर सोफिया की गतिविधियों से स्पष्ट है कि वो स्टरलाइट विरोध प्रदर्शन के दौरान काफी सक्रिय थीं। सोफिया के एक अंकल वकील हैं जिन्होंने सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। सोफिया ने चेन्नई-सेलम 8 लेन एक्सप्रेस हाईवे के विरोध में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था। लुईस सोफिया कम से कम दो संगठनों की समर्थक भी हैं जिसमें से एक को थूथुकुडी हिंसा के पीछे प्राथमिक अपराधी के रूप में देखा जाता है। वो थिरुमुरुगन गांधी की अध्यक्षता में एक संगठन की भी अनुयायी है जो श्रीलंकाई तमिलों के समर्थन के लिए एक अलग तमिल राष्ट्र के मामले में सक्रिय है। यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि लुईस सोफिया कनाडा में पढ़ाई कर रही थीं जो खालिस्तान हो या लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल इलम (एलटीटीई) की मांग करने वाले चरमपंथी बलों को पनाह देता है। कनाडा में, एलटीटीई सहानुभूतिकार अभी भी बहुत सक्रिय हैं। श्रीलंका तमिल अप्रवासी भारत में प्रो-लंका तमिल संगठन और मई 17 आंदोलन के कॉमरेड थिरुमुरुगन गांधी के लिए धन जुटाते हैं और स्वराज रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से अधिकतर चर्च से प्रभावित हैं। ऐसे में इसपर संदेह है कि कहीं सोफिया लंका के तमिलों से तो प्रभावित नहीं हैं जो तमिल को एक नया राष्ट्र बनाना चाहते हैं। बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को भी यही संदेह है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा, “वो कनाडा से आ रही थी ऐसे में जरुर ही उसका एलटीटीई से कोई जुड़ाव हो सकता है क्योंकि कनाडा में एलटीटीई के कई लोग हैं और वो सभी बीजेपी के खिलाफ ‘फासीवाद’ शब्द का उपयोग करते हैं।” स्वामी ने युवती की गिरफ़्तारी को जायज ठहराया क्योंकि युवती ने विमान में आचार सहिंता का उल्लंघन किया था।
मीडिया इस तथ्य को छुपा रही है कि सोफिया को अपना पासपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था और उसकी जमानत भी सशर्त है। मजिस्ट्रेट ने सोफिया को शोर मचाने या कुछ बोलने से पहले अपने आसपास का वातावरण ध्यान में रखने के लिए कहा था। वहीं लगभग 15 वकील कोर्ट में लुईस सोफिया की मदद के लिए पहुँच गये जिससे मजिस्ट्रेट भी हैरान थे। उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि इस मामले के लिए इतनी चर्चा क्यों हो रही थी।
इस पूरे प्रकरण को जाति से जोड़कर दिखाना भी सवालों के घेरे में है। सोफिया के पिता ने पुदुकोट्टई पुलिस सुंदरराजन और उनके समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें सोफिया के पिता ने अपनी जाति को उल्लेख किया है और अपने इस कदम को सही बताया। सोफिया के पिता ने कहा कि “तमिलसाई सुंदरराजन तेनकासी जा रही थीं जहां मेरी जाति के लोगों को बीजेपी में शामिल करने की योजना बना रही थी। मैं चाहता हूँ कि मेरी जाति के सभी लोगों को पता चले कि बीजेपी केंद्र में रहकर किस तरह से जातिवाद की राजनीति करती है।” इससे पहले डेक्कन क्रॉनिकल के अनुसार, “इस तरह की गतिविधि राजनीतिक रूप से प्रेरित है इस संभावना से पुलिस ने भी इंकार नहीं किया है। जैसा कि आरोपी एक दलित (देवेंद्र कुला वेल्लार समुदाय से है) है ऐसे में युवती की गतिविधि दलितों में बीजेपी और तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के खिलाफ रोष पैदा करने का हो सकता है।“ ऐसे में इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि ये विवाद बीजेपी के खिलाफ नफरत फैलाने के मकसद से प्रेरित था। सोफिया के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक जब उन्होंने देखा कि तमिलसाई सुंदरराजन भी उनके साथ विमान में यात्रा कर रही हैं, तब उन्होंने ट्वीट किया कि, “मैं विमान में तमिलसाई सुंदरराजन के साथ हूँ और जोर से चिल्लाना चाहती हूं, “मोदी-बीजेपी-आरएसएस फासीवाद की सरकार, हाय हाय।” क्या मुझे विमान से बाहर फेंक दिया जायेगा? हालांकि, इस ट्वीट को बाद में हटा दिया गया।
इस पूरे प्रकरण से ये तो स्पष्ट हो गया है कि कि मुख्यधारा की मीडिया जैसा चित्रित करने की कोशिश कर रही है इस मामले में बोलने की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन नहीं हुआ है। दूसरा, इस मामले में लुईस सोफिया का उद्देश्य जो दिखाई दे रहा है वास्तव में कुछ और था। तीसरा ये मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित था और चौथा इस घटना ने एक बार फिर से मीडिया में बीजेपी के प्रति नफरत को सामने रखा है।