मशहूर लेखक चेतन भगत के मामले में #MeToo कैंपेन का असर उल्टा पड़ता हुआ नजर आ रहा है। पहले तो चेतन भगत ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर माफ़ी मांग ली थी अब उन्होंने एक ट्वीट के जरिये योगाचार्य इरा त्रिवेदी द्वारा लगाये गये आरोपों का खंडन किया। उन्होंने अपने एक ट्वीट में एक स्क्रीनशॉट शेयर किया है। ये ट्वीट चेतन भगत और इरा के बीच हुई बातचीत का खुलासा करता है और ये दर्शाता है कि किसी भी मामले में फैसला सुनने या किसी को भी आरोपी या पीड़िता बताने से पहले दोनों पक्षों को सुनना जरुरी हो जाता है।
इन दिनों सोशल मीडिया पर #MeToo कैंपेन खूब तेजी से चल रहा है जिसमें बड़े से बड़े दिग्गजों का नाम सामने आ रहा है। इसी क्रम में इरा त्रिवेदी ने भी मशहूर लेखक चेतन भगत पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। इरा ने एक चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया था जो काफी वायरल हुआ था जिसके बाद चेतन भगत ने महिला से चैट के लिए सार्वजिक रूप से माफ़ी मांगते हुए चैट को असली बताया था और बताया था कि ये चैट कई साल पुराना है और इसे लेकर वो अपनी पत्नी अनुषा से बात कर चुके हैं और इसके लिए अनुषा से माफी भी मांग चुके हैं। चेतन भगत के अलावा इरा ने सोशलाइट सुहेल सेठ का नाम भी लिया था।
My #metoo story. I thank all the women who came before me, so that I could be brave enough to tell mine. https://t.co/bO2c4qOKyV
— Ira Trivedi (@iratrivedi) October 13, 2018
इसके तुरंत बाद ही पूरी मीडिया ने उपन्यासकार और सोशलाइट पर निशाना साधना शुरू कर दिया। हालांकि, यही काफी नहीं था आउटलुक इंडिया ने एक प्रोपेगंडा पर आधारित आर्टिकल भी प्रकाशित कर दिया और इससे चेतन भगत काफी आहत हुए उन्होंने इसके लिए आउटलुक को आड़े हाथों भी लिया और करारा जवाब दिया:
Shame on media like @outlookindia who carried a fake charges story without even checking with me. They could have easily checked on YouTube that I launched her book in 2015/16. Who calls their harasser as chief guest for their book launch? Video here: https://t.co/g6uIOVLjeS
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 15, 2018
इसके बाद चेतन भगत ने अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई दे डाली और अपने ट्विटर पर कुछ ऐसे सबूत पेश किये जो ये साबित करते हैं कि इरा त्रिवेदी और उनके बीच हुई बातचीत में दोनों की सहमति थी। वास्तव में ये इरा थीं जिन्होंने साल 2013 में इस तरह का ईमेल चेतन भगत को भेजा था।
So who wanted to kiss whom? @iratrivedi’s self-explanatory email from 2013 to me, esp last line, easily shows her claims from 2010 are false, and she knows this too. This mental harassment of me and my family has to stop. Please don’t harm a movement with #fakecharges #harassed pic.twitter.com/SWeaSCfHLd
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 15, 2018
इसके बाद उन्होंने अपने अगले ट्वीट में सफाई दी कि वो विरोधाभासी व्यक्ति नहीं है। वो सिर्फ ये बताना चाहते हैं कि इस पूरे मामले में वो पूरी तरह से गलत नहीं हैं।
I am not a vindictive person. More than anything I just want me and my family to be left alone and people to ignore fake charges. Love to all who supported me. I won’t let you down. This was my #MeToo story. Peace out.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 15, 2018
हालांकि, चेतन भगत ने स्पष्टीकरण देकर अपने ऊपर लगाये गये फर्जी आरोपों की पोल खोलकर रख दी इसके बाद इरा ने एक के बाद एक ट्वीट कर चेतन के सवालों के जवाब देने की कोशिश की।
As much as I think Bhagat’s tactics don’t even deserve a response, I think it is only right to put the truth out there. That’s after all what got me here.
— Ira Trivedi (@iratrivedi) October 15, 2018
इरा के इन जवाबों से उनका ढोंग सामने आ गया जो महिला विक्टिम कार्ड का सहारा ले रही थीं। चेतन भगत के स्पष्टीकरण देने के बाद भी एक और ‘विक्टिम’ ने इरा का समर्थन करते हुए ट्वीट किया:
Chetan, dude, bro, this is really embarrassing for you: Someone said you're writer or something…?
But you do take things veeeerry literally.
Lol @ this email you posted.#TimesUphttps://t.co/DtesFZMC5D
— Anoo Bhuyan (@AnooBhu) October 15, 2018
बता दें कि अनू भुयान द वायर की पत्रकार हैं जिन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्टर मयंक जैन और अनुराग वर्मा पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। यदि चेतन भगत जो कह रहे हैं वो सच है तो या तो अनू तब झूठ बोल रही थीं या वो अभी झूठ बोल रही हैं। वास्तव में भारत में #MeToo कैंपेन के जरिये कुछ लोग अपना निजी बदला लेने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी प्रकार कुछ और भी महिलाएं हो सकती हैं जो अपने स्वार्थ के लिए इस कैंपेन का सहारा ले रही हों। यदि ऐसा है तो विक्टिम कार्ड की आड़ में कुछ निर्दोष लोगों के मान-सम्मान को इससे ठेस पहुँच रहा है या हो सकता है उन्हें उस गलती के लिए कोसा जा रहा हो जो उन्होंने की ही नहीं है? यदि किसी पुरुष पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो उस अपराध के लिए दोषी हो ही? क्या किसी भी पीड़िता द्वारा लगाये जा रहे आरोपों की जांच नहीं होनी चाहिए ? क्या दोनों पक्षों को नहीं सुना जाना चाहिए?
इस मामले में चेतन भगत ने अपना पक्ष रखा है और अब इरा त्रिवेदी को जवाब देना चाहिए और वास्तव में वो यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं तो उन्हें चेतन भगत के सवालों के जवाब देने चाहिए। ये समय है कि मीडिया इस तरह के मामलों पर दोनों पक्षों की सुने और बिना किसी जांच के किसी भी निष्कर्ष तक न पहुंचे।