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क्यों चुनाव आते ही शिवराज-दिग्विजय बन गये हैं एक दूसरे के पसंदीदा विरोधी

Mahima Pandey द्वारा Mahima Pandey
15 October 2018
in मत
शिवराज सिंह चौहान दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश
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राजनीति में कौन कब किसका दुश्मन बन जाए और कब दुश्मन दोस्त बन जाए इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता है। या यूं कहें कि राजनीति में न कोई स्‍थाई दोस्‍त होता है, न दुश्‍मन। यहां सब कुछ सिर्फ सत्‍ता का केंद्र ही होता है, चाहे वह दोस्‍ती हो या फिर दुश्‍मनी। कुल मिलाकर कहा जाए तो राजनीति की दुनिया में राज और नीति से ही दोस्त और दुश्मन बनते हैं और इस खेल को समझना आम जनता के लिए मुश्किल है। एक कुशल नेता ही भारत की राजनीति में लंबे समय तक सत्ता में बना रह सकता है जिसे राजनीतिक दांव-पेंच आते हों और उसे पता है किसे कब और कैसे उठाना है, किसपर वार करना है और किसे कोई महत्व नहीं देना है। भारत की राजनीति में ऐसे बहुत कम ही नेता हैं जो राजनीतिक अनुभवों के साथ एक कुशल रणनीतिकार भी हों। यही वजह है कि वो लंबे समय तक सत्ता में बने रहते हैं और उनके सामने उनके विरोधी भी टिक नहीं पाते हैं। मध्य प्रदेश का हाल फिलहाल कुछ ऐसा ही है। मध्य प्रदेश चुनाव के मुहाने पर खड़ा है ऐसे में यहां बेहद दिलचस्प नजारा देखने को मिल रहा है। कांग्रेस राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में ज्योतिरादित्य सिंधिया को ऊपर उठाने की कोशिश में लगी है और दूसरी तरफ कमलनाथ भी प्रदेश का सीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं। हालांकि, इन सभी के बीच जिस तरह मध्यप्रदेश के राजनीतिक मैदान में वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह बल्लेबाजी कर रहे हैं उसने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के वजूद को ही दबा दिया है। ये दो कट्टर प्रतिद्वंदी एक दूसरे को निशाना बना रहे हैं और ऐसा करके दोनों ही बड़ी कुशलता के साथ एक दूसरे की स्थिति को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान दिग्विजय सिंह दोनों के बीच चल रहा ये खेल देखने से ऐसा लग रहा है कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे प्रदेश की राजनीति में कहीं है ही नहीं।

शिवराज सिंह चौहान वर्तमान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। वो भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं। शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर, 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और तब से वो लगातार मध्य प्रदेश के मुखिया की कुर्सी संभाल रहे हैं। किसी भी नेता के लिए ये इतना आसान नहीं है कि वो भारत के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में अपनी साख को इस तरह से सालों तक कायम रख सके लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने अपने व्यक्तित्व की उदारताए, सहृदयताए, संवेदनशीलता और सज्जनता के अद्भुत संयोजन ऐसा व्यक्तित्व निर्मित किया जिसने उन्हें एक कुशल राजनेता बनाया इसके साथ ही उन्होंने एक मुख्यमंत्री होने के नाते अपने सभी दायित्वों को बखूबी निभाया है और आज भी निभा रहे हैं। जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में बड़े बदलाव किये हैं वो किसी से छुपा नहीं है। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि इंदौर, भोपाल और कई राज्य देश के सबसे स्वच्छ राज्यों में गिने जातें हैं। अपने वादें अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की सडकों का निर्माण कराया और ऐसा कराया कि केंद्र सरकार के अध्ययन में प्रदेश की ग्रामीण सड़कें देश में सबसे बेहतर पाई गयीं जो अन्य राज्यों के लिए आदर्श बन गया है। सीएम चौहान ने किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लोअर ओर वृहद सिंचाई परियोजना की शुरुआत की जिससे पिछोर, करैरा एवं दतिया के चार विधानसभा क्षेत्रों के 343 ग्रामों की 2 लाख 73 हजार एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। यही नहीं मध्यप्रदेश की साक्षरता दर 64 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत 65 प्रतिशत के लगभग बराबर है। ऐसे न जाने कितने ही बदलाव सीएम चौहान ने किये हैं। गौरतलब है कि, शिवराज सिंह चौहान से पहले कांग्रेस के दिग्विजय सिंह एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल 10 वर्ष का रहा है। हालांकि, दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में विकास नहीं किया बल्कि मध्य प्रदेश एक ‘बीमारू’ राज्य बनता गया। राज्य में न ही सड़कों का निर्माण हुआ था न बिजली की व्यवस्था और न ही जल की उचित व्यवस्था यहां तक कि किसानों की स्थिति और बदतर होती गयी। उस समय कांग्रेस की हार की वजहों में से प्रमुख कर्मचारी, बिजली और सड़क और किसानों की बदहाली थी। मध्य प्रदेश के लोगों को आज भी दिग्विजय सिंह के काल के जख्मों को भूले नहीं हैं। प्रदेश की युवा जनता शिवराज सिंह चौहान में पली बढ़ी है और वो उनके कार्यों से अच्छी तरह से अवगत हैं।

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हालांकि, मौजूदा परिदृश्य की बात करें तो कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता दिग्विजय को दरकिनार कर दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव और महारानी माधवी राजे के पुत्र है जिन्हें कांग्रेस और देश में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में उतारने का मन बना रही है दरअसल, ग्वालियर से चंबल तक के क्षेत्रों को सिंधिया का गढ़ माना जाता है। यही वजह है कि कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने का मन बना रही है। तो वहीं कमलनाथ भी जमकर बयानबाजी कर रहे हैं जिससे वो मीडिया और जनता का ध्यान अपनी और खींच सकें। इन सबके बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने युवा नेता के राग के साथ अपनी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता को नजअंदाज कर दिया। इससे दिग्विजय सिंह के अंदर दोबारा से अपनी पकड़ की मजबूती को दिखाने की लहर रह रह कर उफान मार रही है।

वहीं, दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस की रणनीति को भलीभांति समझते हैं। ऐसे में उन्होंने कांग्रेस के इन नेताओं को बड़ी ही चतुराई से नजरअंदाज कर दिया और अपने अंदाज में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री काल के जख्मों को कुरेदना शुरू कर दिया जिससे राज्य में उठ रही सत्ता विरोधी लहर थम जाए। शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस के काल में प्रदेश की दुर्गति को उभारने का प्रयास कर रहे हैं और जनता को बताने का प्रयास कर रहे हैं कि किस तरह से उनके नेतृत्व की बीजेपी की सरकार ने राज्य के विकास के लिए काम किया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अपने आलाकमान को ये दिखाना है कि आज भी मध्यप्रदेश में उनकी जमीनी पकड़ कायम है। ऐसे में वो भी सीएम शिवराज सिंह चौहान के हर वार को खाली नहीं जाने दे रहे बल्कि उसकी सवारी करके खुद की ताकत और जमीनी पकड़ का एहसास कांग्रेस को कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण भी सभी के सामने हैं। जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिवराज सिंह ने ये कहा कि “कई बार दिग्विजय सिंह के ये कदम मुझे देशद्रोही लगते हैं।” इसपर तुरंत आक्रामक प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा था कि “शिवराज जी ने बिना सबूत मुझ पर इतना बड़ा आरोप लगा दिया तो उन्हें मुझ से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। अन्यथा मुझे माननीय अदालत की शरण में जाना पड़ेगा।”

यदि शिवराज जी ने बिना सबूत मुझ पर इतना बड़ा आरोप लगा दिया तो उन्हें मुझ से सार्वजनिक माफ़ी मॉंगनी चाहिए। अन्यथा मुझे माननीय अदालत की शरण में जाना पड़ेगा।

— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) July 22, 2018

इससे पहले जब शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह पर उनके शासन में किये गये कार्यों को लेकर उनपर निशाना साधा तो दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह को बहस करने की चुनौती दी थी। गौर करें तो नयी पीढ़ी ने शिवराज सिंह चौहान के राज में काफी बदलाव देखा है और उनका समर्थन स्पष्ट रूप से शिवराज सिंह के पक्ष में ही होगा। रही बात दिग्विजय सिंह की लोकप्रियता की तो व्यस्क लोगों ने दिग्विजय के राज में काफी कुछ झेला है जो आज भी उनके जहन में एक बुरे सपने की तरह मौजूद है।

वास्तव में शिवराज अब उन्हीं मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं जिससे उन्हें आगामी चुनाव में फायदा हो। वो अच्छी तरह से समझते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ पर हमले करने और उनपर फोकस करने से कांग्रेस को फायदा होगा जबकि बीजेपी को इससे नुकसान का समाना करना पड़ सकता है। ऐसे में वो सत्ता विरोधी लहर को दिग्विजय के काल की याद से खत्म कर रहे हैं। जहां उनके इस कदम से कांग्रेस की हार होगी और दिग्विजय सिंह को अपना कद मजबूत करने में थोड़ी सहायता मिलेगी दूसरी तरफ  बीजेपी को एकबार फिर से मध्य प्रदेश में जीत मिलेगी।

Tags: कमल नाथकांग्रेसज्योतिरादित्य सिंधियादिग्विजय सिंहबीजेपीमध्य प्रदेशशिवराज सिंह चौहान
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