पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत फिर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अब सर कार्यवाहक भैयाजी जोशी ने अयोध्या में राम मंदिर बनने की ओर बड़ा इशारा किया है। सोमवार को रामलला के दर्शन करने पहुंचे सर कार्यवाहक संघचालक भैयाजी जोशी ने यहां पर कहा कि रामलला से तिरपाल में ये आखिरी मुलाकात है। इस दौरान भैयाजी ने कहा, “मेरी प्रार्थना है कि टेंट में रामलला का ये मेरा अंतिम दर्शन हो। ऐसी परिस्थितयां बनें कि, दोबारा दर्शन भव्य मंदिर में हो। सोमनाथ का मामला अयोध्या से भिन्न था। अब परिस्थितयां बदल चुकी हैं। केंद्र सरकार को अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए कानून बनाना चाहिए। इससे पहले संघप्रमुख मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी राममंदिर के जल्द से जल्द बनने का आह्वान किया था। ऐसे में भैयाजी का ये बयान अपने आप में बेहद मायने रखता है क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब कुछ महीने ही बचे हैं।
दरअसल, 25 नवंबर को अयोध्या में साधू-संतों के आह्वान पर भारी संख्या में रामभक्तों का आगमन होने वाला है। तैयारियों के मद्देनजर भैयाजी जोशी अयोध्या के दौरे पर थे। उन्होंने वहां पर मंदिर के लिए भक्तों द्वारा तराशे जा रहे भव्य पत्थरों का भी मुआयना किया। उसके बाद भैयाजी ने कहा कि ये सभा साधु संतों के आह्वान पर हो रही है। राम भक्त व हिंदू होने के कारण हम सभी धर्म सभा में सम्मिलित होंगे। अयोध्या में राम भक्तों की बड़ी शक्ति दर्शन होगा। धर्म सभा के माध्यम से राम मंदिर निर्माण संकल्प दोहराया जाएगा।
सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने न्यायालय से अपील करते हुए कहा कि, “हिंदुओं की जन भावना का आदर करते हुए शीघ्र फैसला दिया जाना चाहिए।” सोमनाथ मंदिर के तर्ज पर अयोध्या में राम मंदिर के लिए कानून बनाए जाने पर जोशी ने कहा कि, सोमनाथ का मामला भिन्न था। अब परिस्थितियां बदली हैं। केंद्र सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए इस मसले पर पहल करे, ऐसी लोगों की भावना है लेकिन कानून बनाना या न बनाना, सत्ता में बैठे नेताओं का काम है।
आपको बता दें, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या रामभक्तों द्वारा मंदिर निर्माण पर विवाद शुरु हुआ था। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा यथास्थिति बहाल कर दी थी। इसके बाद इसमें टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। इसके बाद अयोध्या मामले में सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में 25 दिसंबर में शुरू हुआ था जिसे न्यायालय में जनवरी तक टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर मामले में सुनवाई टल जाने के बाद से सभी सरकार से इस मामले अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। अब जसी तरह से राम मंदिर पर बयानबाजी तेज हो रही है उससे अब लगने लगा है कि बीजेपी सरकार जल्द ही अध्यादेश का प्रस्ताव लेकर आ सकती है. अगर ऐसा हो जाता है तो राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो जायेगा। लाखों राम भक्तों की निगाहें बीजेपी पर टिकी हैं। ऐसे में हो सकता है जनवरी में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में और विलंब हुआ तो सरकार अध्यादेश लेकर आये।