गंगा और यमुना नदी के मध्य स्थित बुलंदशहर आजकल गोकशी बवाल को लेकर चर्चा में हैं। इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार और सुमित नाम के एक युवक की हत्या ने सभी के मन में कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। इस हिंसा के पीछे मुख्य आरोपी बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को बनाया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है जल्द ही इसके पीछे का सच भी सामने आ जायेगा। इस पूरे मामले में एक चीज जिसपर शायद ही किसी का ध्यान गया है वो ये है कि बुलंदशहर में अचानक से ये बवाल कैसे शुरू हुआ और यहां गौकशी का ये मामला पहली बार सामने आया है या यहां गौ तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क है जो इस हिंसा के कारण कहीं दब कर रह गया है?
ऐसा लगता है कि बुलंदशहर अब गौ-तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है और ऐसा हम नहीं बल्कि यहां के कुछ मामलों पर नजर डालें तो स्थिति खुद बयां कर रही है। चलिए इन मामलों पर एक नजर भी डाल लेते हैं।
25 अक्टूबर 2016 में बुलंदशहर के शिकारपुर मार्ग से एक हज़ार गायों को मुक्त कराया गया था इन गायों को कटान के लिए ले जाया जा रहा था और इस मामले में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया था और ये गौ-तस्कर बुलंदशहर से नहीं थे बल्कि राजस्थान के रहने वाले थे। जब ये सूचना हिंदू संगठनों को मिली तो वो घटनास्थल पर पहुंच गये थे। हालांकि, उन्होंने तब इन आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। 25 अगस्त 2017 में बुलंदशहर के अरौली गांव के एक खेत में गाय की कटी हुई लाश मिली थी और जैसे ही ये खबर हिंदू संगठन को मिली वैसे हिंदू युवा वाहिनी के लोग गांव में पहुंच गए। इस मामले की वजह से बुलंदशहर के अरौली गांव में तनाव की स्थिति पैदा हो गयी थी और सांप्रदायिक तनाव का ठीकरा हिंदू संगठन पर मढ़ दिया गया था। ऐतिहासिक नगरी और वेस्ट यूपी की ‘छोटी काशी’ अनूपशहर भी गौ तस्करी के मामले में पीछे नहीं है यहां भी अक्सर गौ तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं। यही नहीं बुलंदशहर और अनूपशहर दोनों ही जगह गौ तस्कर गिरोहों के कई बड़े नेटवर्क हैं जो अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। यहां तक कि इन गौ तस्करों को पकड़ने में पुलिस के हाथ-पांव फूल जाते हैं क्योंकि ये तस्कर पुलिस वालों को ही निशाना बनाने से नहीं चूकते। 22 फरवरी 2017 में पुलिस ने गौ तस्कर के एक बड़े गिरोह को भी पकड़ा था जो लंबे समय से बुलंदशहर में गौ तस्करी कर रहा था।
इन रिपोर्ट्स से साफ़ होता है कि बुलंदशहर में गौ तस्करी काफी समय से चल रही है और अक्सर ही इन गौ तस्करों को पकड़ने में कई पुलिसवाले अपनी जान गवां बैठते हैं लेकिन कभी मीडिया और पिछली सरकारों ने इसकी सुध नहीं ली। आज जब योगी सरकार और कई हिंदू संगठन गायों को बचाने हेतु प्रयास कर रहे हैं तो कुछ अराजक तत्व इस मामले का फायदा सांप्रदायिक एंगल देने और दो समुदायों के बीच तनाव को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं। कुछ तो हिंदू का वेश धारण करने से भी नहीं चूकते। इसका उदाहरण तो मेरठ में ही देखने को मिला था। अब ऐसा ही कुछ बुलंदशहर में हो रहा है। गौ तस्करी का गढ़ बनते जा रहे इस शहर में पिछले दिनों हिंसा को भड़काने के लिए जानबूझकर के लिए कटी हुई गाय के टुकड़ों को गन्ने के खेत में मिले थे। महाव नाम के गांव में ये पूरी घटना हुई और इस घटना के बाद वहां सबसे पहले पहुंचने वाले प्रशासनिक अधिकारी तहसीलदार राजकुमार भास्कर ही थे। उन्होंने न्यूज़ 18 से बातचीत में उन्होंने कहा, “गन्ने के खेत में गोमांस लटक रहा था। ऐसा लग रहा था मानो हैंगर में कपड़े लटक रहे हों। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा कोई क्यों करेगा। हर कोई राज्य के मौजूदा हालात से वाकिफ है।”
ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर गौ तस्करी करने वाला तस्कर गाय के टुकड़ों को गन्ने के खेत में क्यों रखेगा? जबकि वो उत्तर प्रदेश की संवेदनशील स्थिति से वाकिफ है फिर भी उसने ऐसा क्यों किया? इस मामले की सूचना मिलते ही हिंदू युवा वाहनी, शिव सेना और बजरंग दल जैसे कई हिंदू संगठन के कुछ लोग को घटनास्थल पर पहुंचते हैं और पुलिस से मामले को दर्ज करने के लिए कहते हैं। वो गायों के टुकड़ों को पुलिस थाने लेकर जाते हैं तब तक अचानक से वहां बड़ी संख्या में गाड़ी में भरकर कुछ अज्ञात लोग पहुंच जाते हैं और फिर बड़ी हिंसा होती है। सवाल तो ये भी उठता है कि जो लोग बड़ी संख्या में पुलिस थाने में पहुंचे थे उनके पास पहले से ही ईंट-पत्थर, लाठी-डंडे और यहां तक कि पिस्तौल भी थी जिसका मतलब साफ़ है वो हिंसा के इरादे से आये थे और उन्हें पूरे मामले की जानकारी थी कि हिंदू संगठन शायद उनके जाल में फंस गया है। हालांकि, इन लोगों को भी हिंदू संगठनों का सदस्य बनाने में मीडिया ने भी कोई देरी नहीं की। यहां तक कि योजना के तहत ही एक नहीं बल्कि कई वीडियो भी बनाये गये लेकिन क्यों? अगर हिंदू संगठनों की मंशा हिंसा फैलाने की थी तो खुद को फंसाने के लिए वीडियो क्यों बनाएगा? यही नहीं जब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को गोली लगी तब अराजक तत्वों ने उन्हें अस्पताल भी जाने नहीं दिया। मतलब हिंसा की स्थिति पैदा करने के पीछे न ही गांव के लोग हैं और न ही कोई हिंदू संगठन बल्कि ऐसा कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते शहर या गांव में शांति बनी रही।
इस घटना के बाद अब गौ तस्करी का एक और मामला बुलंदशहर में सामने आया है जिसने एक बार फिर से यहां गौ तस्करी के बड़े जाल की ओर इशारा कर रहा है। दरअसल, बुधवार की रात सम्भल गवां मार्ग पर कार सवार मांस तस्करों में पुलिस की मतभेद हुई जिसमें पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया है। इन मामलों से सवाल तो ये भी उठता है कि कहीं इस पूरी हिंसा को सालों से शहर में चल रहे गौ-तस्करी के मुद्दे से भटकाना तो नहीं था?
कुल मिलाकर बुलंदशहर में जो हिंसा हुई है उसके पीछे कोई बड़ी साजिश है। ऐसा लगता है कि ये साजिश हिंदू संगठन को फंसाने की और उनपर सांप्रदायिक हिंसा और अशांति फैलाने की। लेकिन क्यों? दरअसल, हिंदू धर्म में गाय पूजनीय होती है और ये हिंदू संगठन गायों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हालांकि, कुछ अराजक तत्वों ने गौ का अपमान करने और इसके जरिये हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यही नहीं अब वो अपने फायदे के लिए इसी गौ रक्षक के मुद्दे को हिंदुओं के खिलाफ हथियार बनाकर इस्तेमाल कर रहे जिससे वो हिंदू संगठनों पर निशाना साध सकें। वो एक गौ रक्षक हैं और ये कुछ आधुनिक लोगों की नजर में अपराध है, है न ? इनकी नजर में आज के समय में गौ रक्षक होना अपराध है और सार्वजनिक तौर पर गौ मांस को परोसना आधुनिकता। यही वजह है कि गौ रक्षकों को निशाना बनाया जा रहा है और ये काम सिर्फ बुलंदशहर में ही नहीं देश के कई हिस्सों में हो रहा है। गौ तस्करी करना और जब हिंदू संगठन उनके खिलाफ खड़ा होता है तो गौ तस्कर को बचाने के लिए लेफ्ट-लिबरल मीडिया हो या कुछ राजनीतिक दल सब एक साथ नजर आते हैं। हिंदू संगठन का मकसद गौ रक्षा है और कुछ तथाकथित आधुनिक लोगों का मकसद हिंदुओं के खिलाफ जहर फैलाने का है। खुद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर की घटना को एक बड़ी साजिश करार दिया और जल्द ही इस मामले की सच्चाई को जांच के बाद सामने आने की भी बात कही थी। उन्होंने अफसरों को गोकशी में शामिल सभी लोगों तुरंत गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
जिस तरह से बुलंदशहर में गौ तस्करी धड्ल्ले होती रही है अब यूपी में योगी सरकार के होने से उसपर लगाम लगना शुरू हुआ है। ऐसे में अब हिंदू संगठनों को ही निशाना बनाया जा रहा है। अब जांच के बाद इस साजिश से जल्द ही पर्दा भी उठ जायेगा और उन लोगों के चेहरों से नकाब हटेगा जो इसमें शामिल हैं।