कहा जाता है कि कुछ निर्णयों के परिणाम दूरगामी होते हैं। हो सकता है कि उनके तत्कालिक फायदे न नजर आएं लेकिन आगे चलकर धीर-धीरे उनके फायदे आपको दिखने लगते हैं। ऐसा ही कुछ नोटबंदी के साथ हुआ है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। नोटबंदी के फायदे दिखते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नोटबंदी के बहाने मोदी सरकार को बदनाम करने वालों के मुंह पर ताला लगता जा रहा है। ऐसा हम नहीं, बल्की एक के बाद एक आ रही खबरें बता रहे हैं।
दरअसल तमिलनाडु में 2 साल पहले एक बड़ी ट्रेन डकैती हुई थी। आरबीआई के करोड़ों रुपये चलती ट्रेन से साफ़ कर दिए गए थे। उस समय जीआरपी और सिविल पुलिस डकैती का राज खोलने में नाकाम रही थी। सीबीसीआईडी ने दो साल बाद इस केस में अहम कामयाबी हासिल की है। इस मामले में पकड़े गए बदमाशों ने खुलासा किया कि नवंबर में नोटबंदी लागू हो गई थी और इस कारण 2 महीने बाद ही डकैती के सारे रुपये रद्दी हो गए।
दरअसल, 8 अगस्त, 2016 को सेलम-चेन्नई एक्सप्रेस में डकैती पड़ी थी। ट्रेन की पॉर्सल वैन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के 345 करोड़ रुपये जा रहे थे। नोटों की सुरक्षा के लिए ट्रेन में हथियारों से लैस 18 गॉर्ड भी थे, लेकिन रात के किसी वक्त पॉर्सल वैन से 5 करोड़ से अधिक के 500 और 1000 रुपये के नोट गायब हो गए।
वहीं दूसरी ओर इंदौर में पुलिस ने पुराने नोट ले जाते 3 लोगों को पकड़ा है। इनके पास बंद हो चुके 500 और 1000 रुपये के नोट बरामद हुए हैं। इनके पास 1000 के 8300000 और 500 के 1700000 नोट बरामद हुए हैं। इनके नाम हबीब खान, सैयद सोएब और सैयद इमरान बताए जा रहे हैं।
जबकि अभी कुछ दिनों पहले कानपुर में 96 करोड़ से अधिक के अवैध यानी बंद हो चुके नोट बरामद हुए थे। इसी तरह की ढेरों घटनाएं हैं जो नोटबंदी के बाद से लगातार सामने आ रही हैं। ऐसी घटनाएं अभी तक सामने आ रही हैं जो ये बताने के लिए पर्याप्त हैं कि नोटबंदी ने काला बाजारी, काले धन, आतंकियों और नक्सलियों की फंडिंग पर रोक लगाकर भ्रष्टाचार की कमर तोड़कर रख दी है।
इन सभी सूचनाओं और खुलासों से विपक्ष को करारा जवाब मिला है। विपक्ष के उन आरोपों पर पानी फिरते जा रहे हैं जिसमें वो नोटबंदी को असफल साबित करने के ना-ना प्रकार के बहाने ढूंढ़ते हैं। जनता को भ्रमित करते हैं।
बता दें कि सरकार ने नोटबंदी की बरसी मनाई है। सरकार और आर्थिक विशेषज्ञों ने नोटबंदी के कुछ फायदे भी गिनाए हैं। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक नोटबंदी कारण चलन में नकदी 77 लाख करोड़ से कम होकर चार अगस्त 2017 को 14.75 लाख करोड़ पर आ गया, आतंकवाद एवं नक्सलवाद के विापोषण पर गहरा प्रभाव पड़ा और तो और कर का दायरा भी बढ़ा है।
अगर हम कुछ जाने-माने अर्थशास्त्रियों के नोटबंदी पर विचारों की बात करें तो उनके कुछ फायदे हैं…
रजनीश कुमार, एसबीआई, चेयरमैन के मुताबिक
1.बड़ी मात्रा में धन औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में आया
2. बैंको के कासा चालू खाता, बचत खाता जमाओं में कम से कम 2.50-3.00 प्रतिशत की बढ़ोतरी
3.मुद्रा बाजार की ब्याज दरों में गिरावट आई
चंदा कोचर, सीईओ, आईसीआईसीआई बैंक के मुताबिक
1. नोटबंदी के कारण वित्तीय बचतों को औपचारिक रूप मिला
2. म्युचुअल फंडों व बीमा में धन का प्रवाह बढ़ा
जबकि वहीं दूसरी ओर नोटबंदी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप लगाता रहा है। इसे संगठित लूट बताता रहा है। यहां तक कि विपक्ष ने नोटबंदी की बरसी यानी 8 नवंबर को काला दिवस तक मनाया है। इसलिए ऐसी खबरें विपक्ष को करारा जवाब का काम करेंगी। हालांकि, इन खुलासों के बावजूद विपक्ष गंदी राजनीति के तहत आने वाले लोकसभा चुनाव में नोटबंदी को असफल करार देते हुए घिसा-पिटा राग अलापेगी।