कुंभ मेले के लिए जिस समय उत्तर प्रदेस के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, उस समय विपक्ष ने इसे धर्म के नाम पर जनता के पैसों की बरबादी करार दिया था। उन्होंने इसे धर्म के नाम पर जनता के टैक्स के पैसों का दुरुपयोग करार दिया था। अब वही पैसा खूब कमाई कर रहा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज में लगे अर्ध कुंभ से उत्तर प्रदेश सरकार को 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान है। यह अनुमान उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने लगाया है।
रिपोर्ट की मानें तो 15 जनवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाले इस बार के अर्ध कुंभ मेले और इसके आयोजन से जुड़े कार्यों में छह लाख से ज्यादा कामगारों के लिए रोजगार उत्पन्न हो रहा है। बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 50 दिन तक चलने वाले कुंभ मेले के लिए आयोजन के लिए कुल 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। योगी सरकार द्वारा आवंटित की गई यह राशि 2013 में आयोजित महाकुंभ के लिए आवंटित किए गए बजट का तीन गुना है। इस मेले में ऑस्ट्रेलिया, यूके, कनाडा, मलेशिया, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, जिम्बाब्वे और श्रीलंका से भी पर्यटक पहुंचे हैं।
यूपी के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने बताया कि, राज्य सरकार ने कुंभ मेले के लिए 4200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह अब तक का सबसे महंगा तीर्थ आयोजन बन गया है। साल 2013 में 1300 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। वहीं इस बार कुंभ परिसर 3200 हेक्टेयर में फैला है, जो पिछली बार के मुकाबले दोगुना ज्यादा है।
सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कुंभ मेले में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास के करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी। रिपोर्ट मे कहा गया है कि इस कुंभ में कुल 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा। साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर भी बनेंगे। रिपोर्ट में टूर गाइड, टैक्सी चालक, द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के रूप में रोजगार के 55 हजार नए अवसरों की भी बात कही गई है। इन नये रोजगारों से सरकारी एजेंसियों और वैयक्तिक कारोबारियों समेत छोटे कारोबारियों और निजी दुकानदारों की भी आय बढ़ेगी।
सीआईआई की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 12 सौ अरब रुपये का राजस्व मिलेगा। इसके अलावा राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों को भी इसका फायदा होगा। जानकारों की मानें तो ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं।
बता दें कि यूनेस्को ने भारत के कुंभ मेले को दुनिया के सबसे बड़े मेले और दुनिया के सबसे बड़े अस्थाई शहर की मान्यता दी है। कुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। दुनिया का यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिकता और विलक्षणता के लिए प्रसिद्ध है।