साल की शुरुआत में देश को एक और नई कामयाबी मिली है। आजादी के 72 सालों के बाद लेह और कारगिल अब नेशनल पावर ग्रिड से जुड़ गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और इस प्रोजेक्ट में लगे कर्मचारियों की अथक मेहनत से यह काम पूरा हो गया है। अब 220 केवी वाला लेह-कारगिल-एलुस्टेंग सिंगल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन कुल 330 किलोमीटर तक बिजली की आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद अब देश के इस उत्तरी छोर के ज्यादातर हिस्सों को 24X7 बिजली की आपूर्ती होने लगेगी। इससे पहले यह किसी भी पावर ग्रिड से कनेक्टेड नहीं था। यही कारण था कि पहले लेह को बिजली के लिए छोटे से हाइड्रो-प्लांट पर निर्भर रहना होता था। लेकिन अब लेह को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिलने लगेगी।
Ladakh successfully connected to Kashmir with 220kV transmission system. JKPDD & POWERGRID test charged 220kV Alusteng-Dras-Kargil-Khalsti-Leh TL along with 220/66kV S/s at Dras, Kargil, Khalsti & Leh. Ladakh will get power in winters & surplus power will be evacuated in summers. pic.twitter.com/Yqqc5oMjot
— POWERGRID (@pgcilindia) January 11, 2019
बता दें कि इस प्रोजेक्ट की नींव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त 2014 में रखी थी। इस सफलता को ‘वन नेशन वन ग्रिड’ प्रोजेक्ट की सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि इसके माध्यम से नियंत्रण रेखा के पास स्थित काफी ऊंचाई वाले स्थानों पर भी सब-स्टेशन बना दिए गए हैं। बता दें कि द्रास, कारगिल, खलस्ती और लेह में 220/66 केवी के सब-स्टेशन बनाए गए हैं।
अधिक ऊंचाई और मौसम की विविधता के कारण इंजीनियरों और अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ा। कई बार तो स्खलन होने के कारण सभी रास्ते ही ब्लॉक हो जाते थे जिसके कारण काम पूरा करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने देश के उत्तरी क्षेत्र के इस हिस्से को नेशनल ग्रिड से जोड़े जाने को देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उर्जा मंत्री श्री सिंह ने कहा कि इससे क्षेत्र के लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। अब वहां के लोगों को चौबीसों घंटे बिजली मिलेगी। ऊंचाई पर स्थित जीरो डिग्री सेल्सियस वाले लद्दाख तक पर्याप्त मात्रा में बिजली पहुंचेगी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इससे अब जाड़े के मौसम में टूरीज्म को बढ़ावा मिलेगा और शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा मिलने से इस क्षेत्र के विकास को पंख लगेंगे।
बता दें कि मिलिट्री के लिए यह जगह बहुत महत्वपूर्ण है। सैन्य दृष्टिकोण से एक रणनीतिक स्थान होने के नाते यहां बिजली आपूर्ति होना खुद में एक बड़ी उपलब्धी मानी जा रही है। इसके अलावा अब यहां पर पावर जनरेटर चलाने के लिए लाखों लीटर डीजल जलने से बचाया जा सकेगा। बता दें कि देश के इस उत्तरी छोर तक बिजली न पहुंचने के कारण यहां सेना को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता था। बिजली पैदा करने के लिए वो पावर जेनेरेटर का इस्तेमाल करते थे जिसके कारण भारी मात्रा में डीजल की खपत होती थी। लेकिन अब उत्तरी छोर के नेशनल पावर ग्रिड से जुड़ जाने के बाद इस तरह की परेशानियों का निदान हो चुका है। यह मोदी सरकार की इच्छाशक्ति ही है कि आजादी के 72 सालों बाद अब लेह और कारगिल नेशनल पावर ग्रिड से जुड़ सके हैं।