मोदी सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के पिछड़े लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने के लिए लाया गया संविधान संसोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पास हो गया है। अब यह 124 वां संविधान संसोधन विधेयक राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय इस विधेयक को कानूनी तौर पर अधिसूचित करेगा। बता दें कि, इस आरक्षण का लाभ सभी धर्मों की उच्च जातियों के गरीब लोगों को मिल सकेगा। मोदी सरकार ने इस फैसले से 2019 के आम चुनावों के राजनीतिक समीकरण बदलकर रख दिये हैं। बीजेपी के इस फैसले से आम चुनावों में 14 राज्यों पर सीधा असर पड़ने वाला है।
उच्च जातियों को दस फीसदी आरक्षण देने के मोदी सरकार के इस फैसले से आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी को बड़ा फायदा होने वाला है। चुनावों की दृष्टि से देखें तो इस फैसले का असर देश के 14 राज्यों पर पड़ेगा। वो इसलिए क्योंकि, इन 14 राज्यों में लोकसभा की 341 सीटें हैं, जिनमें से करीब 180 सीटें सवर्ण सीटें मानी जाती हैं। अर्थात ये वो सीटें हैं, जो सवर्ण वोटों द्वारा निर्णायक होती हैं। बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली 282 सीटों में से 256 सीटें इन 14 राज्यों से ही मिली थी।
आइए इन 14 राज्यों की स्थिति जानते हैं।
राज्य | कुल सीटें | सवर्ण सीटें | 2014 में बीजेपी ने जीतीं |
उत्तर प्रदेश | 80 | 40 | 37 |
महाराष्ट्र | 48 | 22-25 | 10 |
बिहार | 40 | 20 | 10 |
कर्नाटक | 28 | 13-15 | 10 |
गुजरात | 26 | 12 | 12 |
मध्यप्रदेश | 29 | 14 | 13 |
राजस्थान | 25 | 14 | 14 |
झारखंड | 14 | 6 | 4 |
असम | 14 | 7 | 5 |
हरियाणा | 10 | 5 | 4 |
दिल्ली | 7 | 5 | 5 |
उत्तराखंड | 5 | 5 | 5 |
हिमाचल | 4 | 4 | 4 |
यूपी और बिहार से 120 सांसद लोकसभा में जाते हैं और कहा जाता है कि, दिल्ली की राजगद्दी का रास्ता इन दोनों राज्यों से होकर गुजरता है। बीजेपी भी इस बात को अच्छी तरह से जानती है और सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने के इस मास्टरस्ट्रोक से उसने अपने सवर्ण वोट को बरकरार तो रखा ही है, गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलितों को भी उसने अपने पक्ष में किया है। कुल मिलाकर यह अब इन दोनों राज्यों में एक अजेय वोटबैंक बन गया है। बीजेपी का यह कदम आंध्र प्रदेश (कापस) और महाराष्ट्र (मराठा) जैसे हिंदी राज्यों में भी बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा।
उच्च जातियों को आरक्षण देने के फैसले का सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। अकेले यूपी में करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। खास बात यह है कि, 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी को इन 40 में से 37 सीटों पर जीत मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी की बम्पर जीत के पीछे सवर्ण मतदाताओं का बड़ा योगदान रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 1980 के बाद से सबसे ज्यादा बीजेपी एमएलए सवर्ण वर्ग के जीते थे। यूपी विधानसभा में इनका प्रतिशत 44.3 है, जो 2012 की तुलना में 12 प्रतिशत ज्यादा है। ऐसे में 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार का यह मास्टरस्ट्रोक विपक्षी एकजुटता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है तो वहीं बीजेपी एक बार फिर सत्ता में काबिज हो जाएगी।