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देशहित बनाम स्वार्थ! पीएम मोदी ने पेश की बड़ी मिसाल जबकि मनमोहन सिंह निकले स्वार्थी

Ajay Singh द्वारा Ajay Singh
28 January 2019
in मत
मोदी उपहार मनमोहन सिंह

PC: (Pc: cdn)

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यह किसी से छुपा नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पीएम मोदी के नेतृत्व में काफी अंतर है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने निर्णयों से जनता का दिल जीत लेते हैं। वह जनहित में कब, कौन सा निर्णय ले लेते हैं, कोई नहीं जानता है। दिन-रात राष्ट्र की सेवा में समर्पित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से ऐसा ही कुछ निर्णय लेकर सबका दिल जीत लिया है। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को मिले स्मृति चिन्हों को निलाम करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री मोदी को उपहार में मिले स्मृति चिह्नों की निलामी की प्रक्रिया रविवार को शुरू हुई।  

बता दें कि इन स्मृति चिह्नों में देश की गौरवगाथा से जुड़ी एक से बढ़कर एक शानदार चीजें शामिल हैं। संस्कृति मंत्रालय ने बतया कि इन स्मृति चिन्हों में छत्रपति शिवाजी महाराज की 1,000 रुपए की एक प्रतिमा भी शामिल है जिसकी नीलामी राशि 22,000 रुपए रखी गयी है। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा है कि राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए), दिल्ली में आयोजित नीलामी से जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल सरकार की महत्वपूर्ण ‘नमामि गंगे’ परियोजना में किया जाए। इसका मतलब ये है कि नमामि गंगे परियोजना के लिए उपहार में मिली स्मृति चिन्हों को वो नीलाम कर रहे हैं। वहीं, उपहारों के मामले में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की बात करें तो मामला ठीक उलट है। साल 2014 के RTI के जवाब में खुलासा हुआ था कि 101 सामान मनमोहन सिंह अपने साथ ले गए थे। ये सामान उन्होंने आज तक नहीं लौटाएं हैं। उस समय उन्हें बोस कंपनी के स्पीकर से लेकर पिजेट कंपनी की  घड़ी तक शामिल है। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन 1978 और फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन 2012 के तहत मनमोहन सिंह ने ये उपहार रखे थे। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बहुमूल्य उपहारों की नीलामी करने का निर्णय लिया है जिससे नमामि गंगे के लिए फंड एकत्रित किये जा सकें। ऐसा शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने कभी ऐसा किया होगा।

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सूत्रों के मुताबिक नीलामी की प्रक्रिया को प्रदर्शित और उपहारों की ई-नीलामी के लिए एक विशेष वेबसाइट शुरू की गई है। इस नीलामी प्रक्रिया में स्मृति चिन्ह की कीमत 100 रुपये से 30,000 रुपये के बीच है। एनजीएमए में दो दिन चलने वाली नीलामी प्रक्रिया 28 जनवरी को खत्म हो जाएगी। वहीं, दूसरी ओर अन्य बची हुई स्मृतियों की ई-नीलामी 29 से 31 जनवरी को होगी।

खबरों की मानें तो इन स्मृतियों को पीतल, चीनी मिट्टी, कपड़ा, कांच, सोना, धातु की सामग्री आदि के आधार पर श्रेणियों मे बांटा गया है। इन सभी सामग्रियों का आकार, वजन का विवरण भी है। इन सामग्रियों में इस बात का भी वर्णन किया गया है कि ये उपहार प्रधानमंत्री को किसने दिया है।

रत में मांडवी नगर पालिका द्वारा भेंट की गयी 4.76 किलोग्राम की राधा कृष्ण मूर्ति भी शमिल है जिसकी कीमत 20,000 रुपये रखी गयी है। इसके अलावा नीलाम किये जाने वाले उपहारों में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा, गोमुख (गंगा का उद्गम स्थल) की त्रिआयामी तस्वीर, महात्मा बसवेश्वर की प्रतिमा, स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा और चांदी चढ़ा शिवलिंग भी शामिल है।

अगर हम सूची में सबसे महंगे स्मृति चिन्ह की बात करें तो इसमें 2.22 किलोग्राम का एक सिल्वर प्लेट भी है और इसकी कीमत 30,000 रुपये है। ये भाजपा के पूर्व सांसद सी नरसिम्हन ने दिया था। संस्कृति मंत्री महेश शर्मा बताया है कि देश ओर विदेश में प्रधानमंत्री को मिले 1900 उपहारों को नीलामी में रखा जाएगा।  

ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने गंगा की सफाई के लिए धनराशी एकत्रित करने के लिए अपने कीमती उपहारों की नीलामी शुरू की है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चर्चित मोनोग्राम बंद गला सूट अंतत: 4.31 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ था तब विपक्ष और आलोचकों ने पीएम मोदी की खूब आलोचना की थी और इस सूट को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया था। जबकि वास्तविकता में इस सूट से मिलने वाली धनराशि का इस्तेमाल गंगा सफाई अभियान के लिए हो रहा है।

वास्तव में पीएम मोदी खुद को मिले उपहारों का इस्तेमाल राष्ट्रीय हित के लिए कर रहे हैं जो ये साबित करता है कि पीएम मोदी एक सच्चे देशवासी हैं। उनके लिए देश का विकास सबसे ऊपर है। इससे एक और बात जो स्पष्ट होती है वो ये कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पीएम नरेंद्र मोदी के न सिर्फ व्यक्तित्व में अंतर है बल्कि देश से जुडी समस्याओं के प्रति नजरिया भी अलग है।

Tags: डॉ मनमोहन सिंहपीएम मोदी
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