मोदी सरकार आने के बाद से रेलवे को लेकर सरकार अभूतपूर्व तरीके से गंभीर हुई है। पिछले कुछ सालों में रेलवे ने ऐसी उपलब्धियों को हासिल किया है, जिसे बिना केंद्र सरकार की गंभीरता के हासिल कर पाना नामुमकिन था। मौजूदा रेल मंत्री पीयूष गोयल के कुशल नेतृत्व से ही ऐसा संभव हो पाया है। अब एक बार फिर रेलवे अपनी यात्रा प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव करने जा रहा है। दरअसल, जनरल कोच में भीड़ की वजह से यात्रियों को होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए रेलवे ने अब बायोमीट्रिक टोकन से एंट्री देने का फैसला लिया है। रेलवे का मानना है कि इससे जनरल कोच में यात्रियों के बीच होने वाली खींचतान और पहले से पैसे लेकर लोगों को सीट देने वाले कुलियों और दूसरे कर्मचारियों पर लगाम लगेगी। रेलवे के मुताबिक इस सुविधा को सबसे पहले सेंट्रल रेलवे पुष्पक एक्सप्रेस में लागू किया जाएगा। पश्चिम रेलवे अब यह विचार कर रही है कि पहले इसे किस डिवीजन में शुरू किया जाए।
रेलवे ने कहा है कि बायोमीट्रिक टोकन, टिकट निकालते समय ही यात्री को दे दिया जाएगा। यात्री को जनरल कोच के बाहर लगी स्कैनिंग मशीन पर यह टोकन स्कैन करना होगा, उसके बाद ही आरपीएफ के जवान यात्री को डिब्बे में एंट्री देंगे। ट्रेनों के जनरल कोच में जितनी सीटें होंगी उतने ही टिकट जारी किए जाएंगे। हालांकि, इस योजना को लागू करने में रेलवे को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। गर्मियों के मौसम में रेल में भीड़ बढ़ जाती है जिसे नियंत्रित करना बड़ा मुश्किल हो जाता है, इसके अलावा अगर सीटों की संख्या के हिसाब से ही टोकन जारी किए जाएंगे तो बाकी बचे यात्रियों के लिए मुसीबतें खड़ी हो जाएंगी, इसके लिए रेलवे को और ज़्यादा ट्रेनें चलाने पर विचार करना होगा, लेकिन कुल मिलाकर अगर यह योजना सफल हो जाती है तो यह रेलवे के सफर को सुरक्षित और आरामदायक बनाने की तरफ एक बड़ा कदम साबित होगा।
रेलवे मंत्रालय मोदी सरकार के समय सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मंत्रालयों में से एक रहा है। पिछले वर्ष ही रेलवे ने ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2018’ में एक साथ 17 पुरस्कार अपने नाम किए थे। कई उप क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 5 प्रमुख श्रेणियों में दिए जाने वाले पुरस्कारों में से रेलवे ने अकेले ही 3 श्रेणियों (स्टेशन, अस्पताल और संस्थानों) की कैटेगरी में हिस्सा लिया था, जिसमें उसे कुल 17 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा मोदी सरकार के समय रेलवे ट्रैक्स के विद्युतीकरण पर भी खासा ज़ोर दिया गया था। अकेले वर्ष 2017-18 में लगभग 4087 किमी रेलवे ट्रैक्स का विद्युतीकरण किया गया जो कि यूपीए सरकार के 2013-14 के 600 किमी के आंकड़े से कहीं ज़्यादा है। रेलवे ने पिछले 5 वर्षों के दौरान मानव-रहित रेलवे क्रॉसिंग को खत्म करके भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है जिसका पूरा श्रेय मोदी सरकार को जाना चाहिए।
जाहिर है कि मोदी सरकार लगातार रेलवे के नवीनीकरण को लेकर गंभीर है और आने वाले सालों में हमें इसमें और ज़्यादा सुधार देखने को मिलेंगे। सरकार द्वारा पहले ही वंदे भारत जैसी नई और आधुनिक ट्रेनों को भारतीय रेलवे में शामिल किया जा चुका है जिससे भारतीय रेलवे पहले से ज़्यादा आधुनिक बनी है, हालांकि भविष्य में भी सरकार द्वारा ऐसे ही प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता है।