अपने विवादित बयानों से हर बार कांग्रेस की किरकिरी करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर काफी समय से गायब थे लेकिन आखिरी चरण के चुनावों से ठीक पहले की उनकी एकाएक एंट्री ने ही कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब उन्होंने अपने एक ब्लॉग के जरिये पीएम मोदी को नीच कहने वाले अपने बयान को सही ठहराया है, जबकि इसी बयान को लेकर वो पहले माफी भी मांग चुके हैं। लेकिन यह भी सच है कि सिर्फ माफी मांगने से किसी की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आ सकता। मणिशंकर अय्यर का विवादों से पुराना नाता रहा है। वर्ष 2000 में तो उन्होंने सपा नेता अमर सिंह के सामने मुलायम सिंह यादव की मां के लिए अपशब्द कहे थे। आत्मचिंतन के लिए उनकी ज़िंदगी में कोई जगह ही नहीं है।
दरअसल, साल 2000 के नवंबर महीने में मणिशंकर अय्यर नशे में धुत होकर सपा नेता अमर सिंह के पास पहुंचे थे। वे अमर सिंह पर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री न बनने देने का आरोप लगाने लगे। इतना ही नहीं, अय्यर ने अमर सिंह को अंबानी का कुत्ता तक कहा था। उस समय अमर सिंह ने कहा था, ‘मनी, तुम नहीं, यह तुम्हारे अंदर की शराब बोल रही है’, तो अय्यर ने कहा ‘मेरा दिल और दिमाग बोल रहा है’। इसके बाद अय्यर ने सपा नेता मुलायम सिंह पर हमला बोलना शुरू कर दिया और कहा था कि, ‘वो मुलायम! वो बिल्कुल मेरी तरह दिखता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि मेरे पिता जी अक्सर उत्तर प्रदेश जाया करते थे। लेकिन यह तुम मुलायम की मां से क्यों नहीं पूछते’? अब भला मणिशंकर अय्यर की विकृत मानसिकता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है?
उनका यह बयान आज से 19 साल पहले का है, लेकिन आज भी उनकी मानसिकता में कोई बदलाव नहीं देखने को नहीं मिल रहा। ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे जिस तरह से पिछले कुछ सालों में उन्होंने पीएम मोदी को लेकर बयान दिए हैं उससे यह साफ जाहिर भी होता है। वर्ष 2014 में जब भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को पीएम पद के लिए नामांकित किया गया था, तो वह मणिशंकर अय्यर ही थे जिन्होंने उनके लिए ‘चायवाला’ शब्द का इस्तेमाल करके एक बड़े विवाद को जन्म दिया था। उन्होंने कहा था ‘मैं आपको वादा करता हूं, 21वीं सदी में नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, लेकिन अगर वे यहां आकर चाय का वितरण करना चाहते हैं तो हम उनके लिए जगह बना रहे हैं’। और जब नतीजों में कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें मिलीं, तो सभी लोगों ने अय्यर के इसी बयान को कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण बताया था।
पीएम मोदी को लेकर मणिशंकर अय्यर की बद्जुबानी साल 2017 में भी जारी रही जब उन्होंने पीएम मोदी के लिए ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल किया था। दिसंबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मणिशंकर अय्यर ने कहा था ‘मुझे तो यह आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी लगता है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है’। उनके इस बयान के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। आनन-फानन में कांग्रेस पार्टी को उन्हें पार्टी से बर्खास्त करना पड़ा था। इसके बाद गुजरात में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। राम मंदिर के मुद्दे पर भी वे अपने क्रांतिकारी विचार सबके सामने रख चुके हैं। भगवान राम के जन्म पर मणिशंकर अय्यर ने हिंदुओं की आस्था पर तंज कसते हुए कहा था , “राजा दशरथ एक बहुत बड़े राजा थे, उनके महल में 10 हजार कमरे थे, लेकिन भगवान राम किस कमरे में पैदा हुए ये बता पाना बड़ा मुश्किल है। ऐसे में आप किस आधार पर मंदिर वहीं बनाने की बात करते हैं।”
हैरानी की बात तो यह है कि इतनी ज़्यादा बद्जुबानी करने के बाद भी कांग्रेस पार्टी द्वारा उनपर कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। साल 2017 में जब पीएम मोदी को नीच कहने के मुद्दे पर विवाद गरमा गया था तो भी कांग्रेस पार्टी ने कुछ समय के लिए उनको पार्टी से निकालकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी। इसके बाद अय्यर को 8 महीने के बाद ही पार्टी में दोबारा जगह दे दी गई। मणिशंकर अय्यर को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है, यही कारण है कि उनके विवादित बयानों पर आम जनता और मीडिया के आक्रोश के बावजूद पार्टी में कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर पाता। ऐसा भी हो सकता है कि सुर्खियां बटोरने के लिए देश की ये पुरानी पार्टी जानबूझकर उनसे ऐसी बयानबाजी करवाती हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश के राजनीतिक स्तर को गिराने में कांग्रेस के इस नेता की बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में अब यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के लिए राजनीतिक बोझ बन चुके मणिशंकर अय्यर को कांग्रेस कब तक झेलती है।