पश्चिम बंगाल की राजनीति में स्टार्डम का अपना ही महत्व रहा है। राजनीतिक पार्टियां वोटर्स को लुभाने के लिए सिनेमा स्टार्स का इस्तेमाल करती रही हैं और बंगाल की सत्ताधारी पार्टी भी ऐसा करने में पीछे नहीं रही है। वर्ष 2011 में राज्य में ममता सरकार आने के बाद से ही टॉलीवुड स्टार्स को स्टार प्रचारकों और उम्मीदवारों की सूची में शामिल करना टीएमसी की चुनावी रणनीति का हिस्सा रहा है। अभी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भी टीएमसी ने अपनी इसी रणनीति का अनुसरण किया था। ममता बनर्जी ने 42 लोकसभा उम्मीदवारों की सूची में 5 टॉलीवुड स्टार्स को शामिल किया था। नुसरत जहां और मीमी चक्रवर्ती इसके हाल ही के उदाहरण रहे हैं। हालांकि, आगामी विधानसभा चुनावों में बंगाल की सत्ता पर निगाहे लगाई बैठी बीजेपी ने भी अब इस रणनीति का अनुसरण करना शुरू कर दिया है। दरअसल, बीते गुरुवार को ऋषि कौशिक और परनो मित्रा सहित 12 टॉप बंगाली टीवी स्टार्स ने भाजपा को जॉइन किया। वर्ष 2021 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में यह खबर ममता बनर्जी को परेशान कर सकती है।
इन सभी सिनेमा स्टार्स ने पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की। घोष ने इस मौके पर ममता सरकार पर तंज़ भी साधा और कहा कि इन सभी स्टार्स को ममता सरकार के राज में प्रताड़ित किया जा रहा है और इनका भाजपा जॉइन करना भी अब रिस्की हो गया था।
बता दें कि इन लोकसभा चुनावों में राज्य में भाजपा को बड़ी कामयाबी मिली थी। वर्ष 2014 में जहां राज्य में भाजपा का वोट शेयर 17 प्रतिशत था, तो वही इस साल के चुनावों में पार्टी का वोट शेयर 40 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इसका प्रभाव आप सीटों की संख्या पर भी देख सकते हैं। वर्ष 2014 में भाजपा को सिर्फ 2 सीटें मिली थी लेकिन अबकी बार भाजपा को बंगाल की 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। अब भाजपा चाहती है कि आगामी विधानसभा चुनावों में भी भाजपा का वोट शेयर इसी गति से बढ़े, और इस लिए भाजपा ने भी अब ‘स्टार्डम पॉलिटिक्स’ का रास्ता अपना लिया है, जहां वह टॉलीवुड स्टार्स के स्टार्डम का इस्तेमाल करते हुए अपना वोट बैंक बढ़ाने के प्रयास करेगी।
राजनीति के अखाड़े में ममता को पटखनी देने भाजपा ने अपनी कमर कस ली है और इसके लिए वह ऐसे दांव चल रही है जिसका भाजपा को फायदा भी होगा और असहाय ममता बनर्जी चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएँगी। दरअसल, केंद्र सरकार ने अब पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बटुकेश्वर दत्त के नाम पर रखने की घोषणा की है। कल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने इसकी घोषणा की। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहकर भी इस कदम का विरोध नहीं कर सकती क्योंकि ऐसा करके वे अपने आप को स्वतन्त्रता सेनानियों का विरोधी साबित नहीं करना चाहेंगी।
कुल मिलाकर टीएमसी और ममता बनर्जी चारों तरफ से भाजपा के बुने जाल में फंसती नज़र आ रही है, और अगर ऐसा ही चलता रहा तो आगामी चुनावों में भाजपा को राज्य की सत्ता हासिल हो सकती है। भाजपा जहां एक तरफ अपने राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही है तो वहीं टीएमसी की हिटलरशाही अब पूरे देश के सामने एक्सपोज हो चुकी है। वर्ष 2011 के बाद से जिस रणनीति को अपनाते हुए टीएमसी ने सत्ता पर कब्जा जमाए रखा, अब भाजपा ने उसी रणनीति को अपनाकर टीएमसी को मात देने की नीति अपना ली है और इस बात के पूरी आशंका है कि भाजपा को इसमें सफलता मिल सकती है।