जब से नागरिकता संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हुई है तब से देश में कई लोग विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाले अलग अलग कारणों से विरोध प्रदर्शन कर रहे है। कोई यह कह रहा है कि यह संशोधन कानून मुस्लिम विरोधी है तो कोई यह कह रहा है कि यह बिल पूर्वोतर राज्यों के लिए खतरा है। दोनों ही तरफ से विरोध प्रदर्शन ने अब हिंसात्मक रूप ले लिए है और इसे बढ़ाने में सबसे अधिक हाथ मीडिया चैनलों का है। लेकिन एक बात समझ में नहीं आई कि इस कानून के कानूनी तौर पर वैध होने पर सवाल था तो यह धर्म से कैसे जुड़ गया और इस देश के समुदाय विशेष विरोध क्यों कर रहा है? सवाल सरकार द्वारा लाये गए इस कानून पर था लेकिन यह जा पहुंचा अल्ला-हु-अकबर तक और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने तक।
पूर्वोत्तर में लोगों को भड़काने के अलावा यह कहा जा रहा था कि कानून असंवैधानिक है और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है क्योंकि यह कथित रूप से मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है। अब इन विरोध प्रदर्शन ने सांप्रदायिक रंग ले लिया है। यह मुद्दा अब संवैधानिक वैधता का नहीं बल्कि धार्मिक विरोध का हो चुका है।
पूर्वोतर राज्यों में इस मामले को अब हिंसात्मक समूहों ने इसे हाईजैक कर लिया है। यह विरोध प्रदर्शन पूर्वोतर से पश्चिम बंगाल तक पहुंच चुका है। शुक्रवार को, पश्चिम बंगाल राज्य में भी भयंकर हिंसा देखी गई थी।
This is Sujnipara railway station under Malda division of @EasternRailway
Here too, the station has been openly vandalised by protesters today. Complete free for all in Murshidabad pic.twitter.com/S1kD8Dep5h
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) December 14, 2019
बता दें कि कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों के लिए खुलकर आह्वान किया था, जो हिंसक हो गया। CAB के विरोधी प्रदर्शनकारियों ने मुर्शिदाबाद के एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया, और मुर्शिदाबाद के बेलडांगा स्टेशन पर भी तोड़फोड़ की।
Anti-CAB protesters have set a toll plaza on fire at Suti crossing in West #Bengal's Murshidabad district today pic.twitter.com/ukeAC9DtlF
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) December 14, 2019
हिंसक प्रदर्शनकारियों ने एक एम्बुलेंस को भी नहीं छोड़ा और उस पर पथराव शुरू कर दिया। हावड़ा में चलने वाली ट्रेनों पर विरोधी CAB गुंडों द्वारा पथराव करने के दृश्य तो हतोत्साहित करने वाले थे।
Multiple vehicles on NH-117 set on fire by mob protesting against CAB in Howrah pic.twitter.com/FZnnXGgVoc
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) December 14, 2019
Anti-CAB protest turns violent in #Bengal. In Murshidabad stones pelted on an ambulance. Beldanga station vandalised by protesters. Muslim organisations had given protest call across the state after Friday prayers today pic.twitter.com/bdDyAIwEAc
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) December 13, 2019
Video shot from inside the drivers cabin at Uluberia. Anti-CAB protest in Bengal pic.twitter.com/DE5Y1YKrRf
— Indrajit Kundu | ইন্দ্রজিৎ (@iindrojit) December 13, 2019
दिल्ली में तो पूछना ही नहीं है। दिल्ली के कुछ यूनिवर्सिटी जैसे जामिया-मिलिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में तो बात पत्थरबाजी तक पहुंच चुकी है।
पढ़ाई करने आए विद्यार्थियों ने खुल कर धार्मिक नारे जैसे अल्लाहु अकबर लगाए। रिपोर्ट के अनुसार इस हिंसक प्रदर्शन में 12 पुलिस से घायल हो गए। विश्वविद्यालय अल्लाहु अकबर के नारों से गूँज रहा था। केंद्रीय विश्वविद्यालय में तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
हिंसक विरोध के साथ-साथ धार्मिक नारों के स्पष्ट प्रमाण सामने आए हैं। अन्य वीडियो भी स्पष्ट सबूत देते हैं कि कैसे मुस्लिम समुदाय को हिंसा भड़काने के प्रयास में CAB के बारे में भड़काया और गुमराह किया जा रहा है। यह भ्रम पैदा करने की भी लगातार कोशिश की जा रही है कि मोदी सभी मुसलमानों की नागरिकता को संदेह के घेरे में ला रही है।
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 14, 2019
These are not Kashmiri terrorists but #JamiaMillia students pelting stones
They play the victim card when police takes actionBut as per Barkha & Arfa Khanum this is Peaceful #JamiaProtest
Aisi jhoothi media se भारत बचाओ#BharatBachaoRally#CABProtestspic.twitter.com/J7hdI6eq9c
— Archie 🇮🇳🚩(Modi Ka Parivaar) (@archu243) December 14, 2019
जब #Masjid में हुई #Announcement, ‘#Musalman तैयार रखे जरूरी #Document’
Full Video – https://t.co/n07Uk3RZkk#CitizenshipAmendmentAct #NRCBill @mustafashk pic.twitter.com/5SCtGrEBMA
— Mumbai Tak (@mumbaitak) December 14, 2019
यह जान लेते है कि यह नागरिकता संशोधन कानून क्या है?
यह संशोधन कानून यह कहता है कि पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय का कोई भी व्यक्ति अगर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आया है तो उसे तुरंत ही भारतीय नागरिकता दी जाएगी। अगर कोई इस तिथि के बाद आता है तो उसे अब 11 वर्ष के बजाय 5 वर्ष तक भारत में रहने के बाद ही नागरिकता दे दी जाएगी।
इस कानून के सेक्शन 6B के चौथे खंड में स्पष्ट तौर से लिखा है कि इस खंड का कुछ भी असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों, जो संविधान की छठी अनुसूची में शामिल है और बंगाल पूर्वी सीमा नियमन, 1873 के तहत अधिसूचित “इनर लाइन” के तहत शामिल क्षेत्र पर यह लागू नहीं होगा।’
इन सभी को प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री और हरीश साल्वे जैसे अधिवक्ता ने इसे कानूनी रूप से संवैधानिक करार दिया है। इस कानून में कहीं से भी यह नहीं लिखा यह मुस्लिम विरोधी है या फिर जो झूठ फैलाया जा रहा कि यह भारत के मुस्लिमों के लिए खतरा है।
विरोध करने के अधिकार पर कोई रोक नहीं है, लेकिन CAB के खिलाफ झूठी कहानी सिर्फ इस कानून के खिलाफ भ्रामक खबर फैलाकर वैमनष्य फैलाना है। विरोध प्रदर्शनों का हिंसक स्वरूप और उनके सांप्रदायिक होना चिंता का विषय है। छात्र सभ्य तरीके से विरोध कर सकते थे और संवैधानिक अदालतों याचिका लगा सकते थे, लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने धार्मिक नारेबाजी और हिंसात्मक विरोध का सहारा लिया है। जिस क्षण आप हिंसा का सहारा लेते हैं और, सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट करने के साथ साथ, आगजनी, सांप्रदायिक दंगे करते और और कराते हैं, उसी क्षण आप स्टेट के दुश्मन बन जाते हैं।
दुर्भाग्य से, नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों ने इस तरह से विरोध प्रदर्शन कर और सांप्रदायिक रंग देकर अपने आप को देश के आम नागरिक और कानून की नज़र में गिर चुके है। वे देशव्यापी स्तर पर तनाव पैदा करने के लिए सांप्रदायिक तर्कों और हिंसा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनका विरोध प्रदर्शन अब एक दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से सांप्रदायिक मोड़ ले चुका है जो झूठ और अफवाहों पर आधारित है।